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Lucknow News : बर्खास्त संविदा परिचालकों ने घेरा मुख्यालय, कर्मचारियों ने बहाली की उठाई मांग

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Published : Jun 26, 2023, 7:08 PM IST

राजधानी में सोमवार को परिवहन निगम मुख्यालय पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर बर्खास्त संविदा परिचालकों ने मुख्यालय घेर लिया. इस दौरान कर्मचारियों ने बहाली की मांग उठाई

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में ऐसे तमाम संविदा परिचालकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, जिन्होंने पांच या फिर इससे ज्यादा बेटिकट यात्रियों को बस में सफर कराया. अब इन्हीं बर्खास्त संविदा परिचालकों ने एक बार फिर बहाली की मांग उठाई है. सोमवार को परिवहन निगम मुख्यालय पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर बर्खास्त संविदा परिचालकों ने मुख्यालय घेर लिया. इसके बाद परिवहन निगम के अधिकारियों के साथ वार्ता हुई. आश्वासन मिला कि कमेटी गठित कर जल्द ही समस्या का समाधान कराया जाएगा.




प्रदेश के तमाम डिपो में ऐसे संविदा परिचालकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था जो बिना टिकट पांच या इससे ज्यादा यात्रियों को यात्रा कराते हुए चेकिंग में धरे गए थे. परिवहन निगम ने नियम बना दिया था कि ऐसे संविदा परिचालक को आर्बिट्रेशन में भी सुनवाई का मौका नहीं दिया जाएगा. ऐसे परिचालक अगर आर्बिट्रेशन में जाने के लिए आवेदन भी करते हैं तो उनकी मांग पर विचार ही नहीं किया जाए. लिहाजा, इस तरह तमाम संविदा परिचालकों को नौकरी से बाहर कर दिया गया और उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं मिला. तमाम ऐसे प्रकरण भी सामने आए, जिनमें संविदा परिचालकों ने चेकिंग अधिकारियों को कमीशन नहीं दिया तो उन्हें जबरन बेटिकट लिख दिया गया. ऐसे ही बर्खास्त संविदा परिचालकों ने परिवहन निगम प्रशासन के सामने बहाली को लेकर पुरजोर तरीके से अपनी मांग रखी है. सोमवार को परिवहन निगम मुख्यालय पहुंचे सेवा से बाहर किए गए परिचालकों ने निगम के अधिकारियों से बहाली की मांग की. इसके बाद प्रधान प्रबंधक (कार्मिक व प्रशासन) के साथ वार्ता हुई और यह आश्वासन दिया गया कि 15 दिन के अंदर मुख्यालय स्तर पर कमेटी गठित कर इस मामले का निर्णय लिया जाएगा.



बर्खास्त संविदा परिचालकों के नेता रजनीश अवस्थी का कहना है कि '20 जून 2013 को एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसके तहत पांच या पांच से अधिक बिना टिकट यात्री के प्रकरण में विचार करने का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि हमारा जो अनुबंध हुआ है उसमें धारा 21 के तहत यह प्रावधान है कि किसी भी मैटर पर एआरएम और परिचालक के बीच में विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निर्णय आर्बिट्रेशन कमेटी करेगी. इधर एक सर्कुलर जारी कर दिया कि बेटिकट में पांच से अधिक प्रकरण में कोई विचार नहीं किया जाएगा. कोई दोषी हो या ना हो उसे निकालना ही है, लेकिन हमारी मांग है इस पर विचार किया जाए. अगर हम दोषी हैं तो निकाल दिया जाए. आज हमारी वार्ता प्रधान प्रबंधक कार्मिक से हुई है. प्रबंध निदेशक से वार्ता हुई. उन्होंने 15 दिन के अंदर मुख्यालय स्तर की कमेटी बनाकर इसका निराकरण कराने की बात कही है. पांच हजार लोग अब तक निकाले जा चुके हैं. तीन हजार लोग तो इधर-उधर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन दो हजार लोग नौकरी करना चाहते हैं.



परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि 'बर्खास्त संविदा परिचालकों को लेकर जल्द ही एक कमेटी गठित की जाएगी. जिसके बाद ऐसे प्रकरणों पर फैसला हो सकेगा.'

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प्रदेश के तमाम डिपो में ऐसे संविदा परिचालकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था जो बिना टिकट पांच या इससे ज्यादा यात्रियों को यात्रा कराते हुए चेकिंग में धरे गए थे. परिवहन निगम ने नियम बना दिया था कि ऐसे संविदा परिचालक को आर्बिट्रेशन में भी सुनवाई का मौका नहीं दिया जाएगा. ऐसे परिचालक अगर आर्बिट्रेशन में जाने के लिए आवेदन भी करते हैं तो उनकी मांग पर विचार ही नहीं किया जाए. लिहाजा, इस तरह तमाम संविदा परिचालकों को नौकरी से बाहर कर दिया गया और उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं मिला. तमाम ऐसे प्रकरण भी सामने आए, जिनमें संविदा परिचालकों ने चेकिंग अधिकारियों को कमीशन नहीं दिया तो उन्हें जबरन बेटिकट लिख दिया गया. ऐसे ही बर्खास्त संविदा परिचालकों ने परिवहन निगम प्रशासन के सामने बहाली को लेकर पुरजोर तरीके से अपनी मांग रखी है. सोमवार को परिवहन निगम मुख्यालय पहुंचे सेवा से बाहर किए गए परिचालकों ने निगम के अधिकारियों से बहाली की मांग की. इसके बाद प्रधान प्रबंधक (कार्मिक व प्रशासन) के साथ वार्ता हुई और यह आश्वासन दिया गया कि 15 दिन के अंदर मुख्यालय स्तर पर कमेटी गठित कर इस मामले का निर्णय लिया जाएगा.



बर्खास्त संविदा परिचालकों के नेता रजनीश अवस्थी का कहना है कि '20 जून 2013 को एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसके तहत पांच या पांच से अधिक बिना टिकट यात्री के प्रकरण में विचार करने का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि हमारा जो अनुबंध हुआ है उसमें धारा 21 के तहत यह प्रावधान है कि किसी भी मैटर पर एआरएम और परिचालक के बीच में विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निर्णय आर्बिट्रेशन कमेटी करेगी. इधर एक सर्कुलर जारी कर दिया कि बेटिकट में पांच से अधिक प्रकरण में कोई विचार नहीं किया जाएगा. कोई दोषी हो या ना हो उसे निकालना ही है, लेकिन हमारी मांग है इस पर विचार किया जाए. अगर हम दोषी हैं तो निकाल दिया जाए. आज हमारी वार्ता प्रधान प्रबंधक कार्मिक से हुई है. प्रबंध निदेशक से वार्ता हुई. उन्होंने 15 दिन के अंदर मुख्यालय स्तर की कमेटी बनाकर इसका निराकरण कराने की बात कही है. पांच हजार लोग अब तक निकाले जा चुके हैं. तीन हजार लोग तो इधर-उधर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन दो हजार लोग नौकरी करना चाहते हैं.



परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि 'बर्खास्त संविदा परिचालकों को लेकर जल्द ही एक कमेटी गठित की जाएगी. जिसके बाद ऐसे प्रकरणों पर फैसला हो सकेगा.'

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