लखनऊ: नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल या नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन से ग्रेडिंग हासिल न कर पाने वाले निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों को न तो शुल्क की भरपाई होगी और न ही उन्हें छात्रवृत्ति मिलेगी. प्रदेश के 27 में से 17 निजी विश्वविद्यालयों ने नैक ग्रेडिंग की सूचना मांगने के बाद भी समाज कल्याण निदेशालय को उपलब्ध नहीं कराया है. अब इसे लेकर निदेशालय ने एनआईसी से 17 निजी विश्वविद्यालयों की ग्रेडिंग का ब्यौरा मांगा है. राज्य सरकार का यह फैसला शैक्षिक वर्ष 2020-21 में किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिला ले चुके या उसके बाद दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों पर लागू होगा. इस संबंध में एनआईसी के लिए जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
इन विश्वविद्यालयों के पास नहीं है नैक ग्रेडिंग
गौरतलब है कि प्रदेश में 27 निजी विश्वविद्यालय हैं. इनमें मथुरा स्थित जीएलए यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद से तीर्थंकर यूनिवर्सिटी, आईएफटीएम यूनिवर्सिटी और मेरठ से सुभारती यूनिवर्सिटी व शोभित विश्वविद्यालय के पास ही नैक की ग्रेडिंग है. इन विश्वविद्यालयों को 'ए' या 'बी' ग्रेड मिला हुआ है. जबकि आईआईएमटी यूनिवर्सिटी मेरठ, वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी अमरोहा, मोनाड यूनिवर्सिटी हापुड़ और मो. जौहर अली यूनिवर्सिटी रामपुर ने अभी तक नैक की ग्रेडिंग नहीं ली है.
ग्रेडिंग न पाने वाले तकनीकी संस्थान होंगे बाहर
छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली के अनुसार नैक से 'बी' या उससे उच्च ग्रेडिंग पाने वाले विश्वविद्यालय के विद्यार्थी योजना का लाभ पाने के हकदार हैं. लिहाजा 'बी' या उससे उच्च ग्रेड हासिल न कर पाने वाले विश्वविद्यालयों को इस बार शुल्क प्रतिपूर्ति का छात्रवृति योजना का लाभ नहीं मिलेगा. वहीं इस संबंध में निदेशक समाज कल्याण बालकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि उन निजी विवि और तकनीकी संस्थानों के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं दिया जाएगा, जिन्होंने नियमानुसार नैक व एनबीए से ग्रेडिंग हासिल नहीं की है.