लखनऊ : केजीएमयू के डेंटल विभाग की बिल्डिंग काफी पुरानी है और यह अब जर्जर हो चुकी है. बिल्डिंग के पिछले हिस्से में दरारें पड़ रही हैं. इसके अलावा बिल्डिंग में कई जगहों पर सीलन भी देखी जा सकती है. बता दें कि डेंटल विभाग की बिल्डिंग अलग बनी हुई है जोकि करीब 50 साल पुरानी है.
केजीएमयू दंत संकाय के पुराने भवन में सैकड़ों डॉक्टर, मेडिकल छात्र, कर्मचारी, मरीज और तीमारदारों की जान कभी भी जोखिम में पड़ सकती है. जर्जर भवन में मरीजों का इलाज चल रहा है. विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हो रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, केजीएमयू के दंत संकाय में नौ विभाग का संचालन हो रहा है. दो भवनों में सभी विभाग चल रहे हैं. पुराने भवन में पांच विभागों का संचालन हो रहा है. इसमें ओरल पैथोलॉजी, ऑर्थोडॉन्टिक्स, कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री, पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री व ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग हैं. ओरल मैक्सिलो फिएशल सर्जरी का ऑपरेशन थिएटर भी इसी पुराने भवन में चल रहा है. भवन में दो बेसमेंट हैं. इसके पिलर में दरारें आ चुकी हैं. जोकि भवन के लिए खतरा बन गई हैं. सबसे पहले केजीएमयू प्रशासन की शिकायत के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. उसके बाद कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन देखा. पिलर में दरारे दिखीं. जोकि खतरनाक स्थिति में हैं.
विशेषज्ञों ने दी थी शिफ्ट करने की सलाह : मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 में रुड़की आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. नॉन डिस्ट्रेक्टिव टेस्ट (एनडीटी) जांच की सलाह दी. वर्ष 2018 में विशेषज्ञों ने नमूने लेकर एनडीटी जांच की. 2019 में रिपोर्ट आई, जिसमें विशेषज्ञों ने भवन को भूकंप की दशा म में खतरनाक बताया. लिहाजा भवन को ध्वस्त करने की सलाह दी. विशेषज्ञों ने जल्द से जल्द भवन में संचालित विभागों को नई जगह शिफ्ट करने की सलाह दी. लंबा समय गुजरने के बाद भी अभी तक विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हुआ.
केजीएमयू के दंत रोग विभाग के एचओडी डॉ. नीरज मिश्रा ने कहा कि 'यह बात सच है कि विशेषज्ञों ने यह बात कहा है कि यह बिल्डिंग भूकंप आने पर दिक्कत पैदा कर सकती है. नई बिल्डिंग के लिए केजीएमयू प्रशासन ने डेंटल बिल्डिंग के पिछले हिस्से को चुना है जहां पर दंत रोग विभाग की नयी बिल्डिंग बनेगी. फिलहाल कार्य अभी प्रगति पर है, इस पर विचार विमर्श होने के बाद काम की शुरुआत होगी.'