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डेंगू जैसे लक्षणों वाले वायरल बुखार से मरीज हो रहे हलकान, सांस लेने में हो रही दिक्कत

वायरल बुखार में भी मरीज की स्थिति काफी खराब हो जाती है. मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत (patient also has trouble breathing) हो जाती है. इन दिनों अस्पतालों में बहुत से मरीज इसी समस्या से निजात के लिए आ रहे हैं. ऐसे मरीजों में भी प्लेटलेट्स अचानक कम (platelets suddenly low) होते हैं. यह लक्षण डेंगू के लक्षणों से मिलते हैं.

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Published : Nov 10, 2022, 12:32 PM IST

लखनऊ : वायरल बुखार में भी मरीज की स्थिति काफी खराब हो जाती है. मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत हो जाती है. इन दिनों अस्पतालों में बहुत से मरीज इसी समस्या से निजात के लिए आ रहे हैं. ऐसे मरीजों में भी प्लेटलेट्स अचानक कम होते हैं. यह लक्षण डेंगू के लक्षणों से मिलते हैं, लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आ रही है. कई बार मरीज पैनिक हो जाते हैं. ऐसे में घबराने की बजाय नियमित इलाज के साथ आराम की जरूरत है.

यह बातें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एस देव (Dr S Dev, Senior Physician, Civil Hospital) ने कहीं. डॉ देव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में इस समय 90 फीसदी मरीज वायरल बुखार से पीड़ित आ रहे हैं. ज्यादातर मरीजों में जोड़ों के दर्द की समस्या है. बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जो अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिनका प्रॉपर इलाज भी हो चुका है. बावजूद उनके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द है. कई बार डेंगू पॉजिटिव होने के बाद भी मरीज की प्लेटलेट्स कम नहीं होती हैं. ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. ज्यादा पैनिक होने की जरूरत नहीं है. खाने पीने पर विशेष ख्याल रखें, खासकर लिक्विड डाइट लेते रहें. कई बार एक लाख पर जब प्लेटलेट्स होती है तब भी मरीज पैनिक हो जाते हैं. ऐसे में पैनिक होने के कारण प्लेटलेट्स और डाउन होती है. इसलिए मानसिक तौर पर मजबूत रहें.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

डॉ देव के अनुसार (According to Dr Dev) मेरे पास ओपीडी में रोजाना 250 से 400 के बीच में मरीज आते हैं. सिविल अस्पताल में चार फिजिशियन डॉक्टरों की ओपीडी चलती हैं. सभी को जोड़ते हुए 1000 से अधिक मरीज सिर्फ फिजीशियन डॉक्टर को दिखाने के लिए आ रहे हैं. इस समय मरीजों की इम्युनिटी सिस्टम पहले की तरह मजबूत नहीं है. यही कारण है कि जो वायरल है वह काफी ज्यादा असर मरीज के शरीर पर डाल रहा है. कोरोना वायरस ने पहले ही मरीजों के शरीर को तोड़ रखा है और अब यह वायरल भी काफी ज्यादा भयानक है. इसका असर भी काफी ज्यादा हो रहा है सभी मरीजों में एक जैसे लक्षण हैं. जो मरीज डायबिटीज गैस या फिर किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं और उनको वायरल बुखार पकड़ रहे तो उनके सीने में दर्द हो रहा है. साथ ही साथ में सांस लेने में भी समस्या हो रही है.



सिविल अस्पताल (civil hospital) में इस वक्त मरीजों की संख्या बढ़कर 3500-3800 हो चुकी है. रोजाना 300 मरीजों के सैंपल लिए जाते थे. अब 500 तक सैंपल अस्पताल प्रशासन इकट्ठा कर रहा है. जांच रिपोर्ट आने में 36 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है. मरीजों के भी अचानक बढ़ जाने से पैथोलॉजी में भी खून के नमूने देने वाले मरीजों की भीड़ लग रही है. वहीं बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) में रोजाना चार हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. 10 दिन पहले यह संख्या तीन हजार के आसपास थी. फिलवक्त अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में लगी तीन मशीनों में दो मशीनें पहले से खराब हैं. इस वजह से रोजाना 500 से 700 नमूनों की जांच नहीं हो पा रही है.

यह भी पढ़ें : मलिहाबाद सीएचसी में टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू, मरीजों को घर बैठे मिलेगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह

लखनऊ : वायरल बुखार में भी मरीज की स्थिति काफी खराब हो जाती है. मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत हो जाती है. इन दिनों अस्पतालों में बहुत से मरीज इसी समस्या से निजात के लिए आ रहे हैं. ऐसे मरीजों में भी प्लेटलेट्स अचानक कम होते हैं. यह लक्षण डेंगू के लक्षणों से मिलते हैं, लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आ रही है. कई बार मरीज पैनिक हो जाते हैं. ऐसे में घबराने की बजाय नियमित इलाज के साथ आराम की जरूरत है.

यह बातें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एस देव (Dr S Dev, Senior Physician, Civil Hospital) ने कहीं. डॉ देव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में इस समय 90 फीसदी मरीज वायरल बुखार से पीड़ित आ रहे हैं. ज्यादातर मरीजों में जोड़ों के दर्द की समस्या है. बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जो अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिनका प्रॉपर इलाज भी हो चुका है. बावजूद उनके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द है. कई बार डेंगू पॉजिटिव होने के बाद भी मरीज की प्लेटलेट्स कम नहीं होती हैं. ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. ज्यादा पैनिक होने की जरूरत नहीं है. खाने पीने पर विशेष ख्याल रखें, खासकर लिक्विड डाइट लेते रहें. कई बार एक लाख पर जब प्लेटलेट्स होती है तब भी मरीज पैनिक हो जाते हैं. ऐसे में पैनिक होने के कारण प्लेटलेट्स और डाउन होती है. इसलिए मानसिक तौर पर मजबूत रहें.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

डॉ देव के अनुसार (According to Dr Dev) मेरे पास ओपीडी में रोजाना 250 से 400 के बीच में मरीज आते हैं. सिविल अस्पताल में चार फिजिशियन डॉक्टरों की ओपीडी चलती हैं. सभी को जोड़ते हुए 1000 से अधिक मरीज सिर्फ फिजीशियन डॉक्टर को दिखाने के लिए आ रहे हैं. इस समय मरीजों की इम्युनिटी सिस्टम पहले की तरह मजबूत नहीं है. यही कारण है कि जो वायरल है वह काफी ज्यादा असर मरीज के शरीर पर डाल रहा है. कोरोना वायरस ने पहले ही मरीजों के शरीर को तोड़ रखा है और अब यह वायरल भी काफी ज्यादा भयानक है. इसका असर भी काफी ज्यादा हो रहा है सभी मरीजों में एक जैसे लक्षण हैं. जो मरीज डायबिटीज गैस या फिर किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं और उनको वायरल बुखार पकड़ रहे तो उनके सीने में दर्द हो रहा है. साथ ही साथ में सांस लेने में भी समस्या हो रही है.



सिविल अस्पताल (civil hospital) में इस वक्त मरीजों की संख्या बढ़कर 3500-3800 हो चुकी है. रोजाना 300 मरीजों के सैंपल लिए जाते थे. अब 500 तक सैंपल अस्पताल प्रशासन इकट्ठा कर रहा है. जांच रिपोर्ट आने में 36 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है. मरीजों के भी अचानक बढ़ जाने से पैथोलॉजी में भी खून के नमूने देने वाले मरीजों की भीड़ लग रही है. वहीं बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) में रोजाना चार हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. 10 दिन पहले यह संख्या तीन हजार के आसपास थी. फिलवक्त अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में लगी तीन मशीनों में दो मशीनें पहले से खराब हैं. इस वजह से रोजाना 500 से 700 नमूनों की जांच नहीं हो पा रही है.

यह भी पढ़ें : मलिहाबाद सीएचसी में टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू, मरीजों को घर बैठे मिलेगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह

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