लखनऊः पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड (Former Block Chief Ajit Singh Murder Case) के आरोपी माफिया धनंजय सिंह (Mafia Dhananjay Singh) की गिरफ्तारी अभी तक लखनऊ पुलिस नहीं कर पायी है. अब चुनावी समर चल रहा है और फरारी काट रहे धनंजय को चुनाव लड़ना है. इसके लिए उसने बीते दिनों कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाल दी थी. जिसकी सुनवाई 14 फरवरी को होनी है. अब सवाल उठ रहा है कि आखिरकार पहले लखनऊ पुलिस और अब एसटीएफ एक माफिया को इतनी ढील क्यों दे रही है कि वो जब चाहे क्रिकेट खेले, पत्नी के लिए प्रचार करे और जब चाहे कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए दरख्वास्त दे दें.
धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी सीट से 16 फरवरी को नामांकन करने की तैयारी में है. इसके लिए उसके वकील ने पर्चा लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी भी कर ली है. इसके लिए उसने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाली है और जिसकी 14 फरवरी को सुनवाई होनी है. कानून विशेषज्ञों के मुताबिक सेशन कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने से पहले ही नामांकन करना होगा. क्योंकि नामांकन की आखिरी तारीख 17 फरवरी है. अब सवाल उठता है कि क्या धनंजय सिंह बिना अग्रिम जमानत मिले ही नामांकन करेगा और अगर ऐसा होता है तो ये एसटीएफ और पुलिस की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा करेगा.
पेंच ये भी है कि धनंजय सिंह को जिस लखनऊ पुलिस ने भगोड़ा घोषित किया है, उससे जांच लेकर एसटीएफ को दे दी है. वहां पर जांच प्रचलित है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एसटीएफ अपनी जांच पूरी होने के बाद धनंजय की गिरफ्तारी पर कोई फैसला लेगी. इसका जवाब देते हुए पूर्व डीजीपी ए के जैन कहते हैं कि जब लखनऊ पुलिस ने उसे वांक्षित किया है, तब इस हालत में अन्य एजेंसी उसका नाम एक झटके में निकाल दे, ये बहुत मुश्किल है और आमतौर पर एजेंसी ऐसा करती भी नहीं है. उसके पीछे की वजह ये है कि पुलिस ने इस केस में तमाम गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर ही उसे आरोपी बनाया होगा. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की होगी.
पूर्व डीजीपी ने कहा कि ये तय है कि जब तक एसटीएफ धनंजय को क्लीन चिट नहीं दे देती तब तक वो वांछित ही रहेगा. वो कहते हैं कि वैसे भी अगर उसने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाली है तो उसे खुद गिरफ्तारी का डर है.
कोरोना में गैंगस्टर एक्ट में वांछित चल रहे एसपी प्रत्याशी नाहिद हसन को गिरफ्तार करने में तत्परता दिखाने वाली पुलिस के सामने अब माफिया डॉन धनंजय सिंह को गिरफ्तार करने की चुनौती होगी. जांच एसटीएफ कर रही है और वांछित लखनऊ पुलिस ने घोषित किया है. ऐसे में दोनों के लिए संयुक्त रूप से चुनौतियां इंतजार कर रही हैं. हालांकि धनंजय खुलेआम अपनी विधानसभा में जुलूस लेकर चुनावी प्रचार कर रहा है और इसमें भी कोई दो राय नहीं कि उसे अग्रिम जमानत मिले या फिर नहीं. वो नामांकन जरूर करेगा.
हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद पांडेय के मुताबिक किसी भी उम्मीदवार को नामांकन करने के लिए रिटर्निंग अधिकारी के सामने एक बार शपथ लेने के लिए जाना आवश्यक है. ऐसे में सेशन कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने की कम संभावना को देखते हुए वांछित को हाईकोर्ट से राहत मिलने का इंतजार करना होगा. अगर वहां से भी राहत नहीं मिलती है तो वांक्षित अपराधी का नामांकन करना मुश्किल है. अगर वो नामांकन करने में सफल होता है तो ये पुलिस और जांच एजेंसी की सबसे बड़ी विफलता होगी.
करीब एक साल पहले 6 जनवरी 2021 की शाम राजधानी लखनऊ के विभूति खंड में कठौता चौराहे पर आजमगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी. लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को इस हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता माना था. पुलिस ने उसे फरार बताकर उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित किया था.
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लखनऊ पुलिस का मोस्ट वांटेड इनामी अपराधी होने के बाद भी धनंजय खुलेआम शादी समारोह में हिस्सा ले रहा था और क्रिकेट खेल रहा था. जिसके बाद डीजीपी मुकुल गोयल ने 8 जनवरी 2022 को इस पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी थी. एसटीएफ ने बीते दिनों 8 फरवरी को कोर्ट में दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी. उन्होंने इस मामले में बताया था कि जांच चल रही है. वहीं दो दिनों बाद ही 10 फरवरी को धनंजय ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.
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