लखनऊ : मोहर्रम पर यूपी के डीजीपी(DGP) मुकुल गोयल ने गाइडलाइन की भाषा शैली पर आपत्ति दर्ज होने के बाद सफाई दी है. उन्होंने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुहर्रम के जुलूस पर रोक है. पिछले काफी समय से मुहर्रम पर यही सर्कुलर जारी हो रहा है, ये कोई नया नियम नहीं है. डीजीपी के मुताबिक ये सर्कुलर फोर्स के लिए है, जो पिछले कुछ मामलों को देखते हुए तैयार किया गया है.
डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि मोहर्रम के दौरान बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह सर्कुलर जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी मंशा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की नहीं है. बात दें कि, मोहर्रम पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए डीजीपी(DGP) मुकुल गोयल द्वारा एक गाइडलाइन जारी की गई थी. जारी की गई गाइडलाइन में मुहर्रम(मातम) को त्योहार बताया गया था. डीजीपी(DGP) ने सभी पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए थे कि चन्द्र दर्शन के अनुसार, इस साल मोहर्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा.
मातम के अलम जुलूस व ताजिया उठाने पर प्रतिबंध लगते हुए डीजीपी की ओर से दिशा-निर्देश दिए गए थे. सर्कुलर में कहा गया था कि मुस्लिमों के दोनों समुदायों (शिया-सुन्नी) द्वारा मोहर्रम पर मातम मनाया जाता है. जिसकी वजह से आपसी विवाद की संभावना बनी रहती है. 7वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर ताजिये रखे जाते हैं. इस दौरान अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है, ऐसे में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए.
डीजीपी द्वारा जारी इस सर्कुलर पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद और मौलाना सैफ अब्बास ने नाराजगी जाहिर की थी. धर्मगुरुओं द्वारा गाइडलाइन की भाषा पर प्रतिक्रिया दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाइडलाइन में लिखी भाषा से शिया समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. धर्मगुरुओं द्वारा गाइडलाइन के ड्राफ्ट को बदलने की मांग की थी.
भाषा शैली को लेकर दोनों समुदाय में बना तनाव
डीजीपी द्वारा जारी की गई गाइडलाइन पर मुश्लिमों के शिया व सुन्नी दोनों समुदाय ने आपत्ति जताई थी. शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद व मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि, डीजीपी की गाइडलाइन में प्रयोग की गई भाषा से समूचे उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया है. धर्मगुरु ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में कोई गड़बड़ी होती है तो इसके जिम्मेंदार डीजीपी मुकुल गोयल होंगे.
शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद और मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि, मोहर्रम को त्योहार का नाम न दिया जाए. इसमें हम ये मातम मानते हैं, हम ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे दूसरों के दिल को ठेस पहुंचे, न ही हम ऐसा कोई काम करते हैं जिससे माहौल खराब हो. मौलाना सैफ ने दोनों समुदायों के लोगों से अपील करते हुए कहा कि, सभी को एकजुट होकर पूरे प्रदेश में मोहर्रम को लेकर थानों में बुलाई जा रही ऐसी किसी मीटिंग "पीस कमेटी" में शामिल नहीं होना चाहिए. जब तक ये गाइडलाइन के ड्राफ्ट को बदला नहीं जाता.
मुहर्रम को त्योहार लिखने पर हुआ था बवाल
मोहर्रम पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यूपी डीजीपी द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था. सर्कुलर में मोहर्रम को त्योहार लिखा गया था. जिसको लेकर मुश्लिम समुदाय ने आपत्ति जताई थी. इसके अलावा धर्मगुरुओ ने समुदाय के लोगों से अपील की थी कि वह पुलिस प्रशासन द्वारा बनाई गई पीस कमेटी में हिस्सा न लें. धर्मगुरुओं का कहना था कि जब तक सर्कुलर के ड्राफ्ट की भाषा बदली नहीं जाती, तब तक समुदाय के लोग पीस कमेटी की मीटिंग में भाग न लें.
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