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मॉब लिंचिंग पर रोकथाम के लिए DGP ने जारी की एडवाइजरी, हर जिले में नियुक्त होंगे नोडल अफसर - लखनऊ की खबरें

उत्तर प्रदेश में भीड़ में हत्या जैसी वारदातों की रोकथाम के लिए DGP ने सोमवार को एडवाइजरी जारी की. मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अब हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे. मॉबलिंचिंग के शिकार पीड़ितों को मुआवजा दिलाना, सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर रोक लगाना, साथ ही इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी की होगी.

मॉब लिंचिंग पर रोकथाम के लिए DGP ने जारी की एडवाइजरी
मॉब लिंचिंग पर रोकथाम के लिए DGP ने जारी की एडवाइजरी
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Published : Sep 13, 2021, 11:01 PM IST

लखनऊ : मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) को लेकर उत्तर प्रदेश डीजीपी द्वारा सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की गई. यूपी में भीड़ में हत्या जैसी वारदातों की रोकथाम के लिए DGP ने यह एडवाइजरी जारी की है. माबलिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अब हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे. इसके उपाय और इसके शिकार पीड़ितों को मुआवजा दिलाना नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के भी इसमें निर्देश दिए गए हैं.

एडवाइजरी में DGP ने कहा है कि सभी जोनल अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक अपने जिलों में इसके लिए नोडल अधिकारी नामित करेंगे. नोडल अफसर इन 6 बिंदुओं पर काम करेंगे.


1. सोशल मीडिया पर इसके के सम्बन्ध में फैलाई जा रही अफवाहों का त्वरित तत्काल खण्डन किया जाय। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले अफवाहों को रोकने के लिए जिम्मेदार नागरिकों और डिजिटल वालिन्टियर्स का सहयोग लिया जाय।

2. इस प्रकार की घटनाओं में संलिप्त पाये जाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध बिना देर किए तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए।

3. नोडल अधिकारी भीड़ द्वारा की गयी हिंसा, हत्या से पीड़ित परिवार के सदस्यों को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के अन्तर्गत अनुमन्य आर्थिक क्षतिपूर्ति आदि दिलाने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें।

4. विगत में भीड़ द्वारा कारित हिंसा, हत्या की घटनाओं का आकलन कर संवेदनशील स्थानों का चिन्हिकरण करते हुए अतिरिक्त सजगता के साथ प्रभावी कार्यवाही की जाये।

5. इस तरह की घटना आदि को बढ़ावा देने वाले आपत्तिजनक संदेशों और वीडियों आदि को प्रसारित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कठोर कार्यवाही की जाय।

6. चिन्हित स्थानों पर सूचना तंत्र को और अधिक सक्रिय करते हुए प्रभावी पुलिस पेट्रोलिंग की कार्यवाही करायी जाय।


क्या होती है मॉब लिंचिंग ?

जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही (बिना अपराध किये भी) तत्काल सजा दी जाए अथवा उसे पीट-पीटकर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉबलिंचिंग कहते हैं.

इसे भी पढे़ं- राहुल गांधी से लेकर रवि किशन की फेवरेट बनी संध्या

IPC में ये है प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इन्हें धारा-302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के तहत ही निपटाया जाता है. भीड़ द्वारा किसी की हत्या किये जाने पर IPC की धारा 302 और 149 को मिलाकर पढ़ा जाता है. और इसी तरह भीड़ द्वारा किसी की हत्या का प्रयास करने पर धारा 307 और 149 को मिलाकर पढ़ा जाता है तथा इसी के तहत कार्रवाई की जाती है. CRPC में भी इस संबंध में कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है. भीड़ द्वारा की गई हिंसा की प्रकृति और उत्प्रेरण सामान्य हत्या से अलग होते हैं. इसके बावजूद भारत में इसके लिये अलग से कोई कानून मौजूद नहीं है.

लखनऊ : मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) को लेकर उत्तर प्रदेश डीजीपी द्वारा सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की गई. यूपी में भीड़ में हत्या जैसी वारदातों की रोकथाम के लिए DGP ने यह एडवाइजरी जारी की है. माबलिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अब हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे. इसके उपाय और इसके शिकार पीड़ितों को मुआवजा दिलाना नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के भी इसमें निर्देश दिए गए हैं.

एडवाइजरी में DGP ने कहा है कि सभी जोनल अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक अपने जिलों में इसके लिए नोडल अधिकारी नामित करेंगे. नोडल अफसर इन 6 बिंदुओं पर काम करेंगे.


1. सोशल मीडिया पर इसके के सम्बन्ध में फैलाई जा रही अफवाहों का त्वरित तत्काल खण्डन किया जाय। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले अफवाहों को रोकने के लिए जिम्मेदार नागरिकों और डिजिटल वालिन्टियर्स का सहयोग लिया जाय।

2. इस प्रकार की घटनाओं में संलिप्त पाये जाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध बिना देर किए तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए।

3. नोडल अधिकारी भीड़ द्वारा की गयी हिंसा, हत्या से पीड़ित परिवार के सदस्यों को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के अन्तर्गत अनुमन्य आर्थिक क्षतिपूर्ति आदि दिलाने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें।

4. विगत में भीड़ द्वारा कारित हिंसा, हत्या की घटनाओं का आकलन कर संवेदनशील स्थानों का चिन्हिकरण करते हुए अतिरिक्त सजगता के साथ प्रभावी कार्यवाही की जाये।

5. इस तरह की घटना आदि को बढ़ावा देने वाले आपत्तिजनक संदेशों और वीडियों आदि को प्रसारित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कठोर कार्यवाही की जाय।

6. चिन्हित स्थानों पर सूचना तंत्र को और अधिक सक्रिय करते हुए प्रभावी पुलिस पेट्रोलिंग की कार्यवाही करायी जाय।


क्या होती है मॉब लिंचिंग ?

जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही (बिना अपराध किये भी) तत्काल सजा दी जाए अथवा उसे पीट-पीटकर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉबलिंचिंग कहते हैं.

इसे भी पढे़ं- राहुल गांधी से लेकर रवि किशन की फेवरेट बनी संध्या

IPC में ये है प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इन्हें धारा-302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के तहत ही निपटाया जाता है. भीड़ द्वारा किसी की हत्या किये जाने पर IPC की धारा 302 और 149 को मिलाकर पढ़ा जाता है. और इसी तरह भीड़ द्वारा किसी की हत्या का प्रयास करने पर धारा 307 और 149 को मिलाकर पढ़ा जाता है तथा इसी के तहत कार्रवाई की जाती है. CRPC में भी इस संबंध में कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है. भीड़ द्वारा की गई हिंसा की प्रकृति और उत्प्रेरण सामान्य हत्या से अलग होते हैं. इसके बावजूद भारत में इसके लिये अलग से कोई कानून मौजूद नहीं है.

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