लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्रांतीय पुलिस सेवा (PPS) संवर्ग के अधिकारियों द्वारा ट्रांसफर हो जाने के बाद भी बार-बार रुकवाने के मामले पर डीजीपी मुख्यालय ने सख्त रुख अपनाया है. मुख्यालय की ओर से एक पत्र जारी करते हुए चेतावनी दी है कि यदि अब किसी भी पीपीएस अधिकारी ने ट्रांसफर ऑर्डर को निरस्त करवाने के लिए खुद या परिवार सदस्य की ओर से कोशिश करवाई तो उसे उ.प्र. सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 का सीधा उल्लंघन माना जायेगा. ऐसे में उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, एडीजी प्रशासन नीरा रावत ने सभी एडीजी जोन, पुलिस कप्तान और पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए पीपीएस अधिकारियों के तबादले के बाद भी आदेश के अनुसार ज्वाइन न करने व वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रिलीव न किए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की है. नीरा रावत ने पत्र लिखते हुए कहा है कि पीपीएस अधिकारियों को रिलीव करने में देरी करना शासन के आदेशों का अवहेलना है, ऐसे पीपीएस अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्यमुक्त किया जाय.
एडीजी प्रशासन ने पीपीएस अधिकारियों की भूमिका पर भी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने लिखा है कि, किसी भी पीपीएस अधिकारी का तबादला उसके कार्यों, कानून व्यवस्था और इकाई की जरूरत के हिसाब से ही किया जाता है. जिसका अनुमोदन डीजीपी व शासन द्वारा किया जाता है, लेकिन कुछ अधिकारी तबादला होने पर स्थानांतरण आदेश को निरस्त करवाने के लिए खुद, परिवार के सदस्य या अन्य लोगों के द्वारा अनुरोध करवाते हैं जो कि उप्र सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम-27 (क) का स्पष्ट उल्लंघन है. ऐसे में यदि भविष्य में ऐसा सामने आया तो संबंधित अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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