लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने कहा है कि ग्राम्य विकास विभाग की योजनाओं में महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित किए जाने और मनरेगा जैसी रोजगारपरक योजना में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण महिलाओं के आजीविका संवर्धन और अधिक बल मिल रहा है. साथ ही महिलाओं के स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.
डिप्टी सीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी पिछले वर्षों में लगातार बढ़ रही है और इस वर्ष में कुल मानव दिवस का 38 प्रतिशत मानव दिवस सृजित हुए हैं. ग्रामीण रोजगार योजनाओ में महिलाओं की भागीदारी 2019- 20 और 20-21 में 34 प्रतिशत रही. वर्ष 21-22 में 37 प्रतिशत रही और वर्ष 2022-23 में अब तक बढ़कर औसतन 38 प्रतिशत हो गई है.पिछले साढ़े पांच वर्षों में महिला लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने में उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है.
उन्होंने बताया कि 2022-23 में, इस योजना के तहत कुल 1738.41 लाख मानव दिवस सृजित किए गए, जिनमें से 653.64 लाख महिलाएं हैं, जो लगभग 38 प्रतिशत है. 2021-22 में, 3256.42 लाख मानव दिवस थे, जिसमें 1212.13 लाख (37.20 प्रतिशत) महिलाए थीं. जबकि 2020-21 में कुल 3,945 लाख मानव दिवस सृजि किए गए, जिनमें से 1325.26 लाख महिलाएं थी. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए गांवों में महिला मेट नियुक्त किए जा रहे हैं. महिला मेट मनरेगा मे प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए महिला श्रमिकों के लिए बहुत ही सहायक सिद्ध हो रही हैं.
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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से महिलाओं का चयन किया गया है और राज्य में 35,000 से अधिक महिला मेटों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके सापेक्ष 30,540 महिला मेटों का क्लास रूम एवं फील्ड प्रशिक्षण पूरा हो गया है और 16,674 महिला मेटों को कार्य उपलब्ध करा दिया गया है.
ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022-23मे 2,600 लाख मानव दिवसों के सृजन का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें से अब तक 1719 लाख मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं. कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए श्रमिकों की आधार सीडिंग की जा रही है.
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