लखनऊ : सरकारी अस्पताल व मेडिकल संस्थानों में रोगियों के इलाज में किसी भी दशा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. रोगी व उनके परिजनों से अभद्रता करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. रोगियों को चिकित्सालय में उपलब्ध संसाधनों का लाभ दिया जाए. इलाज में बजट की कमी आड़े न आने दी जाए. यह निर्देश रविवार को उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने प्रदेश के सभी सीएमओ-सीएमएस व मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को दिए.
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 'जरूरतमंद रोगियों को ओपीडी व इमरजेंसी में स्ट्रेचर व व्हील चेयर के लिए भटकना न पड़े. इमरजेंसी व ओपीडी गेट के पास पर्याप्त स्ट्रेचर-व्हील चेयर की व्यवस्था करें. सफाई-व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाए. अस्पताल से निकलने वाले कचरे का नियमित निस्तारण किया जाए. भर्ती रोगियों की बेड शीट नियमित बदली जाए ताकि रोगियों को संक्रमण से बचाया जा सके. इमरजेंसी में आने वाले सभी रोगियों को भर्ती किया जाए. अगर कोई रोगी ज्यादा गंभीर अवस्था में आया है उसका इलाज अस्पताल में संभव नहीं है और रेफर करने की जरूरत है तो कम से कम प्राथमिक इलाज मुहैया कराने के बाद ही रेफर किया जाए. सरकारी एम्बुलेंस से ही मरीज को रेफर किया जाए. रोगी को सरकारी अस्पताल में ही रेफर किया जाए. किसी भी दशा में नियमों के खिलाफ रोगी को निजी अस्पताल में न भेजा जाए.'
आयुष्मान योजना से जुड़ें : डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि 'जो सरकारी अस्पताल और मेडिकल संस्थान अभी भी प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत नहीं हैं वह जल्द से जल्द संबंधित जिलों के सीएमओ कार्यालय में संपर्क करें, ताकि गरीब व पात्र रोगी को पांच लाख रुपये तक का उपचार मुफ्त मिल सके. इसके अलावा असाध्य, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष योजना का लाभ भी जरूरतमंदों तक पहुंचे. इसका अस्पताल प्रबंधन इंतजाम करें.'
दिये ये निर्देश : 'समय पर डॉक्टर-कर्मचारी चिकित्सालय पहुंचें, ओपीडी तय समय पर शुरू करें, वार्ड का राउंड लें, भर्ती रोगियों को अच्छी देखभाल करें. रोगियों को बाहर की दवा व जांच न लिखें, चिकित्सालय में धूम्रपान निषेध है. चिकित्सक व पैरामेडिकल भी इस नियम का पालन करें.'
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