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जन्मजात बीमारियों की होगी पहचान, मुफ्त मिलेगा इलाज, डिप्टी सीएम ने दिये ये निर्देश

शहरीय क्षेत्र में जन्में शिशुओं की जन्मजात बीमारियों की पहचान होगी. बीमार बच्चों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जायेगा. ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्र में भी बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जायेगा. नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) ने शहरी क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के संचालन को मंजूरी प्रदान कर दी है.

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Published : Nov 9, 2022, 11:19 PM IST

लखनऊ : शहरीय क्षेत्र में जन्में शिशुओं की जन्मजात बीमारियों की पहचान होगी. बीमार बच्चों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जायेगा. ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्र में भी बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जायेगा. नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) ने शहरी क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के संचालन को मंजूरी प्रदान कर दी है. पहले चरण में 15 जिलों में योजना लागू की जायेगी. दूसरे चरण में 16 और जिलों को शामिल किया जायेगा. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संबंधित जिलों के सीएमओ को योजना पर जल्द से जल्द अमल में लाने के निर्देश दिये हैं.

आरबीएसके के तहत चाइल्ड हेल्थ स्क्रीनिंग और अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज में स्क्रीनिंग की जाती है. जिसमें कटे होंठ तालू, तंत्रिका ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटिमन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व दिल समेत दूसरी बीमारियों की पहचान की जाती है. कार्यक्रम के तहत 18 साल तक के बच्चों में तय बीमारियों की पहचान कर इलाज मुहैया कराया जाता है. योजना के तहत मोबाइल हेल्थ टीम चिन्हित स्थानों पर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करेंगी. बीमारी की दशा में उच्च सरकारी संस्थानों में इलाज के लिए रेफर किया जायेगा, ताकि समय पर इलाज मिल सके.

संविदा पर रखे जाएंगे डॉक्टर-कर्मचारी : पहले चरण के तहत वर्ष 2020-21 में आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और वाराणसी में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जायेगा. 15 जिलों में कुल 40 मोबाइल हेल्थ टीम रखी जाएंगी. प्रत्येक टीम में चार सदस्य होंगे. जिसमें एक महिला व एक पुरुष आयुष चिकित्सक होंगे. एक एनएमएस व एलोपैथिक फार्मासिस्ट रखे जायेंगे. फार्मासिस्ट को कम्प्यूटर का ज्ञान अनिवार्य होगा. संविदा पर करीब 60 डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती होगी.

अगले साल यहां लागू होगी योजना : दूसरे चरण में 2022-2023 में आजमगढ़, बांदा, बाराबंकी, बुलंदशहर, चंदौली, फरुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा, हाथरस, जालौन, कुशीनगर, मथुरा, मिर्जापुर, रामपुर, शाहजहांपुर व सीतापुर में बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा.

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बच्चों के बेहतर उपचार को लेकर सरकार पूरी तरह से सजग है. मोबाइल हेल्थ टीम तय स्थानों में जाकर बच्चों में बीमारी की पहचान करेगी. इससे शुरूआत में रोगों की पहचान व उपचार आसान होगा. योजना पर तेजी से काम शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव ने कहा, उत्तराखंड के विकास के लिए पलायन रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए

लखनऊ : शहरीय क्षेत्र में जन्में शिशुओं की जन्मजात बीमारियों की पहचान होगी. बीमार बच्चों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जायेगा. ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्र में भी बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जायेगा. नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) ने शहरी क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के संचालन को मंजूरी प्रदान कर दी है. पहले चरण में 15 जिलों में योजना लागू की जायेगी. दूसरे चरण में 16 और जिलों को शामिल किया जायेगा. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संबंधित जिलों के सीएमओ को योजना पर जल्द से जल्द अमल में लाने के निर्देश दिये हैं.

आरबीएसके के तहत चाइल्ड हेल्थ स्क्रीनिंग और अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज में स्क्रीनिंग की जाती है. जिसमें कटे होंठ तालू, तंत्रिका ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटिमन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व दिल समेत दूसरी बीमारियों की पहचान की जाती है. कार्यक्रम के तहत 18 साल तक के बच्चों में तय बीमारियों की पहचान कर इलाज मुहैया कराया जाता है. योजना के तहत मोबाइल हेल्थ टीम चिन्हित स्थानों पर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करेंगी. बीमारी की दशा में उच्च सरकारी संस्थानों में इलाज के लिए रेफर किया जायेगा, ताकि समय पर इलाज मिल सके.

संविदा पर रखे जाएंगे डॉक्टर-कर्मचारी : पहले चरण के तहत वर्ष 2020-21 में आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और वाराणसी में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जायेगा. 15 जिलों में कुल 40 मोबाइल हेल्थ टीम रखी जाएंगी. प्रत्येक टीम में चार सदस्य होंगे. जिसमें एक महिला व एक पुरुष आयुष चिकित्सक होंगे. एक एनएमएस व एलोपैथिक फार्मासिस्ट रखे जायेंगे. फार्मासिस्ट को कम्प्यूटर का ज्ञान अनिवार्य होगा. संविदा पर करीब 60 डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती होगी.

अगले साल यहां लागू होगी योजना : दूसरे चरण में 2022-2023 में आजमगढ़, बांदा, बाराबंकी, बुलंदशहर, चंदौली, फरुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा, हाथरस, जालौन, कुशीनगर, मथुरा, मिर्जापुर, रामपुर, शाहजहांपुर व सीतापुर में बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा.

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बच्चों के बेहतर उपचार को लेकर सरकार पूरी तरह से सजग है. मोबाइल हेल्थ टीम तय स्थानों में जाकर बच्चों में बीमारी की पहचान करेगी. इससे शुरूआत में रोगों की पहचान व उपचार आसान होगा. योजना पर तेजी से काम शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं.

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