लखनऊ : राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में संचारी रोग से निपटने के लिए पुख्ता व्यवस्था की जा रही है. सितंबर से डेंगू के मरीज बढ़ाने शुरू हो जाते हैं ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिला अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाने के लिए आदेशित हुआ है ताकि व्यवस्थाएं पहले से बनी रहे. जाहिर तौर पर पिछले साल डेंगू चिकनगुनिया ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. स्थिति ऐसी थी कि लोगों को भर्ती होने की भी नौबत आ रही थी जबकि डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया की रिपोर्ट नेगेटिव आ रहे थे लेकिन इनके लक्षणों के साथ मरीजों का इलाज किया जा रहा था. हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल व कानपुर रोड स्थित लोकबंधु राज नारायण अस्पताल में डेंगू मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की तैयारी पुख्ता कर ली गई है. यहां मच्छरदानी में डेंगू मरीज भर्ती किए जाएंगे. डेंगू वार्ड के सभी बेड पर मच्छरदानी लगा दिए गए हैं. वही हजरतगंज से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में आठ सीरियस मरीज डेंगू के भर्ती हैं. सिविल अस्पताल में 27 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है. सीएमएस के मुताबिक सभी बेड पर मच्छरदानी लगनी बाकी है.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल एक ऐसा अस्पताल है जहां पर मरीजों की संख्या काफी ज्यादा होती है. इसके अलावा वीवीआईपी मरीजों की संख्या में अधिक होती है. डेंगू को लेकर पहले से ही पूरी व्यवस्था की जा रही है. अलग वार्ड बना दिया गया है. अभी वर्तमान में डेंगू आठ बेड़ का वार्ड बनाया गया है. आवश्यकता पड़ने पर 50 बेड का अस्पताल प्रशासन के पास इमरजेंसी वार्ड है. जिसमें लगभग 24-24 बेड का महिला और पुरुष का अलग वार्ड है. महिला और पुरुष का आठ बेड़ का अलग-अलग रिमूवल बनाया गया है. पीडियाट्रिशियन में अलग से बच्चों के लिए वार्ड है. यहां पर डेंगू से पीड़ित बच्चों को भर्ती किया जाएगा. पहले से व्यवस्था की जा रही है ताकि एक बार में जब मरीज बढ़ते हैं तो मरीजों को कोई समस्या न हो और समय पर उनका समुचित इलाज हो सके.
लोकबंधु अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है. इसमें 10 बेड हैं. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक डेंगू मरीजों को दूसरे के साथ भर्ती नहीं किया जा सकता है. क्योंकि यदि साधारण मच्छर ने डेंगू मरीज को काट लिया तो उस मच्छर के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी दशा में संक्रमित मच्छर ने दूसरी बीमारी से पीड़ित को काट लिया तो वह भी डेंगू की चपेट में आ सकता है. इसीलिए डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखने का फैसला किया गया है. इस बार लैब बनकर तैयार हो चुकी है. और अस्पताल में ही पीड़ित मरीज की एलाइजा जांच हो सकेगी.
केजीएमयू को 25वें सफल लिवर प्रत्यारोपण के लिए मुख्यमंत्री ने दी बधाई
केजीएमयू उत्तर प्रदेश राज्य में लिवर प्रत्यारोपण और अंग दान में सबसे आगे है और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग पिछले चार वर्षों से इस कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है. इस दौरान 22 लीवर दान, 48 किडनी दान और 50 से अधिक कॉर्निया मरीजों को उपलब्ध कराए गए हैं. अंग दान के लिए राज्य का पहला ग्रीन कॉरिडोर तब बनाया गया जब दान किए गए लिवर को 28 अगस्त, 2015 को प्रत्यारोपण के लिए दिल्ली ले जाया गया. हाल ही में विभाग ने राज्य का पहला सफल कैडवेरिक संयुक्त लिवर किडनी प्रत्यारोपण किया. केजीएमयू में पहला लिवर प्रत्यारोपण 14 मार्च को हुआ था. इसके बाद से शुरू हुआ प्रत्यारोपण का सिलसिला लगातार चल रहा है. एक मामला 47 वर्षीय पुरुष का था, जिसका दानकर्ता उसका बेटा था और इसका खर्च पूरी तरह से मुख्यमंत्री राहत कोष द्वारा दिया गया था.
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का चिकित्सा जगत में विशिष्ट स्थान है. इस विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने अपनी उपलब्धियों से चिकित्सा क्षेत्र को समृद्ध किया है. केजीएमयू चिकित्सा विश्वविद्यालय 25 लिवर ट्रांसप्लाण्ट करने वाला देश का प्रथम सरकारी चिकित्सा संस्थान है. विश्वविद्यालय द्वारा रियायती मूल्य पर लिवर ट्रांसप्लाण्ट किया जाना सराहनीय है.
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