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राजधानी में बढ़ने लगे डेंगू के मरीज, अस्पतालों का दावा तैयारी पूरी

राजधानी में बीते गुरुवार को चंदरनगर में एक महिला, एक पुरुष, इंदिरा नगर में दो महिला व एक पुरुष और अलीगंज और एनके रोड में एक-एक पुरुष में डेंगू की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद टीमों ने लार्वा रोधी रसायन का छिड़काव कराया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 4, 2023, 5:21 PM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में डेंगू के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. इन दिनों रोजाना डेंगू के नए मामले सामने आ रहे हैं. बीते गुरुवार को भी डेंगू की चपेट में तीन महिला सहित सात लोग आ गए. सभी का इलाज चल रहा है. सीएमओ प्रवक्ता योगेश रघुवंशी ने बताया कि 'बीते गुरुवार को चंदरनगर में एक महिला एक पुरुष, इंदिरा नगर में दो महिला व एक पुरुष और अलीगंज और एनके रोड में एक-एक पुरुष डेंगू की चपेट में आए हैं. सभी का डॉक्टरों की निगरानी में इलाज चल रहा है. वहीं, टीम ने 475 घरों एवं आस-पास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया. जिसमें से पांच घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाए जाने पर नोटिस जारी की गई है. इसके अलावा नगर मलेरिया इकाई एवं जिला मलेरिया अधिकारी की टीमों द्वारा जनपद के विभिन्न स्थलों व भवनों का निरीक्षण किया गया और लार्वा रोधी रसायन का छिड़काव कराया गया.

उन्होंने बताया कि 'जिला अस्पतालों में संचारी रोग से निपटने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिला अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाने के लिए आदेशित हुआ है ताकि व्यवस्थाएं पहले से बनी रहें. जाहिर तौर पर पिछले साल डेंगू व चिकनगुनिया ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. स्थिति ऐसी थी कि लोगों को भर्ती होने की भी नौबत आ रही थी, जबकि डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी, लेकिन इनके लक्षणों के साथ मरीजों का इलाज किया जा रहा था. हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल व कानपुर रोड स्थित लोकबंधु राज नारायण अस्पताल में डेंगू मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की तैयारी पुख्ता कर ली गई है. यहां डेंगू मरीज भर्ती किए जाएंगे. डेंगू वार्ड के सभी बेड पर मच्छरदानी लगा दिए गए हैं. वहीं हजरतगंज से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में आठ मरीज डेंगू के भर्ती हैं. सिविल अस्पताल में 30 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है. सीएमएस के मुताबिक, सभी बेड पर मच्छरदानी लगनी बाकी है.'

डेंगू के लक्षण
- तेज़ बुखार
- ठंड लगना
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
- आंखों के पीछे दर्द
- थकान
- ऐंठन
- त्वचा के लाल चकत्ते
- मतली और उल्टी
- नाक से खून आना
- मसूड़ों से खून आना

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 'सिविल अस्पताल एक ऐसा अस्पताल है, जहां पर मरीजों की संख्या काफी ज्यादा होती है. इसके अलावा वीवीआईपी मरीजों की संख्या में अधिक होती है. डेंगू को लेकर पहले से ही पूरी व्यवस्था की जा रही है. अलग वार्ड बना दिया गया है. महिला और पुरुष का 27 बेड का अलग-अलग रिमूवल बनाया गया है, जबकि पीडियाट्रिशियन में अलग से बच्चों के लिए वार्ड है, जहां पर डेंगू से पीड़ित बच्चों को भर्ती किया जाएगा. पहले से व्यवस्था की जा रही है ताकि एक बार में जब मरीज पढ़ते हैं तो मरीजों को कोई समस्या न हो और समय पर उनका समुचित इलाज हो सके.'

डेंगू से बचाव
- बाहर जाते समय, लंबी बाजू की शर्ट और लंबी पैंट पहनें.
- बाहर का खाना न खाएं.
- यदि संभव हो तो एयर कंडीशनिंग घर के अंदर इस्तेमाल करें.
- खिड़की और दरवाजों पर जाली लगवाएंगे.
- मच्छरदानी का उपयोग करें.
- मच्छरों को दूर रखने के लिए मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट
- पानी को अपने घर के पास इकट्ठा न होने दें.
- कूलर, प्लांटर्स, स्टोरेज और पालतू जानवरों के कटोरे में बार बार पानी बदलते रहें.
- बारिश के पानी में न खेलें, किचन में खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें.
- क्रीम, कॉइल और स्प्रे का इस्तेमाल करें.
- अपने हाथों को 20 सेकंड के लिए नियमित रूप से धोएं, विशेष रूप से भोजन से पहले.
- छींकने या खांसने के दौरान अपना मुंह और नाक ढक लें.

लोकबंधु अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है. इसमें 10 बेड हैं. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक 'डेंगू मरीजों को दूसरे के साथ भर्ती नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यदि साधारण मच्छर ने डेंगू मरीज को काट लिया तो उस मच्छर के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी दशा में संक्रमित मच्छर ने दूसरी बीमारी से पीड़ित को काट लिया तो वह भी डेंगू की चपेट में आ सकता है. इसीलिए डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखने का फैसला किया गया है.'

20 बेड में मच्छरदानी लगाई : बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल मल्होत्रा के मुताबिक, '20 बेड का डेंगू वार्ड तैयार है. अभी एक भी डेंगू का मरीज भर्ती नहीं है. उन्होंने बताया कि डेंगू वार्ड में सभी बेड पर मच्छरदानी लगाई गई है. जरूरी दवाएं भी अस्पताल में उपलब्ध करा दी गई हैं. बुखार पीड़ित बच्चों के इलाज की पुख्ता व्यवस्था है.'



यह भी पढ़ें : कोटा में डेंगू और स्क्रब टायफस पॉजिटिव छात्रा की मौत, पिता ने जिला प्रशासन पर लगाए ये आरोप

यह भी पढ़ें : लखनऊ में डेंगू के तीन मरीज मिले, इन लक्षणों से पहचानें बीमारी, रखें ख्याल

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में डेंगू के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. इन दिनों रोजाना डेंगू के नए मामले सामने आ रहे हैं. बीते गुरुवार को भी डेंगू की चपेट में तीन महिला सहित सात लोग आ गए. सभी का इलाज चल रहा है. सीएमओ प्रवक्ता योगेश रघुवंशी ने बताया कि 'बीते गुरुवार को चंदरनगर में एक महिला एक पुरुष, इंदिरा नगर में दो महिला व एक पुरुष और अलीगंज और एनके रोड में एक-एक पुरुष डेंगू की चपेट में आए हैं. सभी का डॉक्टरों की निगरानी में इलाज चल रहा है. वहीं, टीम ने 475 घरों एवं आस-पास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया. जिसमें से पांच घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाए जाने पर नोटिस जारी की गई है. इसके अलावा नगर मलेरिया इकाई एवं जिला मलेरिया अधिकारी की टीमों द्वारा जनपद के विभिन्न स्थलों व भवनों का निरीक्षण किया गया और लार्वा रोधी रसायन का छिड़काव कराया गया.

उन्होंने बताया कि 'जिला अस्पतालों में संचारी रोग से निपटने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिला अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाने के लिए आदेशित हुआ है ताकि व्यवस्थाएं पहले से बनी रहें. जाहिर तौर पर पिछले साल डेंगू व चिकनगुनिया ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. स्थिति ऐसी थी कि लोगों को भर्ती होने की भी नौबत आ रही थी, जबकि डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी, लेकिन इनके लक्षणों के साथ मरीजों का इलाज किया जा रहा था. हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल व कानपुर रोड स्थित लोकबंधु राज नारायण अस्पताल में डेंगू मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की तैयारी पुख्ता कर ली गई है. यहां डेंगू मरीज भर्ती किए जाएंगे. डेंगू वार्ड के सभी बेड पर मच्छरदानी लगा दिए गए हैं. वहीं हजरतगंज से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में आठ मरीज डेंगू के भर्ती हैं. सिविल अस्पताल में 30 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है. सीएमएस के मुताबिक, सभी बेड पर मच्छरदानी लगनी बाकी है.'

डेंगू के लक्षण
- तेज़ बुखार
- ठंड लगना
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
- आंखों के पीछे दर्द
- थकान
- ऐंठन
- त्वचा के लाल चकत्ते
- मतली और उल्टी
- नाक से खून आना
- मसूड़ों से खून आना

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 'सिविल अस्पताल एक ऐसा अस्पताल है, जहां पर मरीजों की संख्या काफी ज्यादा होती है. इसके अलावा वीवीआईपी मरीजों की संख्या में अधिक होती है. डेंगू को लेकर पहले से ही पूरी व्यवस्था की जा रही है. अलग वार्ड बना दिया गया है. महिला और पुरुष का 27 बेड का अलग-अलग रिमूवल बनाया गया है, जबकि पीडियाट्रिशियन में अलग से बच्चों के लिए वार्ड है, जहां पर डेंगू से पीड़ित बच्चों को भर्ती किया जाएगा. पहले से व्यवस्था की जा रही है ताकि एक बार में जब मरीज पढ़ते हैं तो मरीजों को कोई समस्या न हो और समय पर उनका समुचित इलाज हो सके.'

डेंगू से बचाव
- बाहर जाते समय, लंबी बाजू की शर्ट और लंबी पैंट पहनें.
- बाहर का खाना न खाएं.
- यदि संभव हो तो एयर कंडीशनिंग घर के अंदर इस्तेमाल करें.
- खिड़की और दरवाजों पर जाली लगवाएंगे.
- मच्छरदानी का उपयोग करें.
- मच्छरों को दूर रखने के लिए मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट
- पानी को अपने घर के पास इकट्ठा न होने दें.
- कूलर, प्लांटर्स, स्टोरेज और पालतू जानवरों के कटोरे में बार बार पानी बदलते रहें.
- बारिश के पानी में न खेलें, किचन में खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें.
- क्रीम, कॉइल और स्प्रे का इस्तेमाल करें.
- अपने हाथों को 20 सेकंड के लिए नियमित रूप से धोएं, विशेष रूप से भोजन से पहले.
- छींकने या खांसने के दौरान अपना मुंह और नाक ढक लें.

लोकबंधु अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है. इसमें 10 बेड हैं. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक 'डेंगू मरीजों को दूसरे के साथ भर्ती नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यदि साधारण मच्छर ने डेंगू मरीज को काट लिया तो उस मच्छर के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी दशा में संक्रमित मच्छर ने दूसरी बीमारी से पीड़ित को काट लिया तो वह भी डेंगू की चपेट में आ सकता है. इसीलिए डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखने का फैसला किया गया है.'

20 बेड में मच्छरदानी लगाई : बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल मल्होत्रा के मुताबिक, '20 बेड का डेंगू वार्ड तैयार है. अभी एक भी डेंगू का मरीज भर्ती नहीं है. उन्होंने बताया कि डेंगू वार्ड में सभी बेड पर मच्छरदानी लगाई गई है. जरूरी दवाएं भी अस्पताल में उपलब्ध करा दी गई हैं. बुखार पीड़ित बच्चों के इलाज की पुख्ता व्यवस्था है.'



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