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डेंगू से परेशान मरीज, पीड़ितों से निजी अस्पताल वसूल रहे जांच के नाम पर अतिरिक्त शुल्क

डेंगू के मरीजों से लखनऊ में अनाप-शनाप वसूली हो रही है. निजी अस्पताल और जांच सेंटर वाले मरीजों को लूटने में लगे हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : Nov 2, 2022, 3:45 PM IST

Updated : Nov 2, 2022, 5:54 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने से पैथोलॉजी पर डेंगू की जांच के लिए मरीजों की भीड़ लग रही है. इसका फायदा उठाकर निजी अस्पताल जमकर पैसा वसूल रहे हैं. डेंगू के लिए एलाइजा जांच के लिए लोगों को 1400 से अधिक की कीमत चुकानी पड़ रही है. वहीं, डेंगू सीबीसी, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड की जांच करानी है तो 2500 से अधिक शुल्क लिए जा रहे हैं. दो से तीन निजी अस्पातल में भर्ती रहने के बाद मरीजों से 50-60 हजार का बिल वसूल जा रहा है.

लखनऊ के सिविल अस्पताल में अमेठी से इलाज कराने आए एक मरीज ने बताया कि निजी अस्पताल से परेशान होकर बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है. गाजीपुर निवासी शैलेन्द्र यादव ने बताया कि मरीज को डेंगू हुआ है. ऐसे में प्लेटलेट्स काफी ज्यादा डाउन हो गईं. इस कारण अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बनी. निजी अस्पताल में काफी पैसा वसूला जाता है इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

निजी अस्पताल में डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए हो रहे अतरिक्त वसूली पर स्पेशल रिपोर्ट

आलमबाग के कनिष्क ने बताया कि निजी अस्पताल काफी ज्यादा लूट मचाए हुए हैं. एक बार में अगर कोई मरीज वहां इलाज के लिए पहुंचता है तो 50 से 60 हजार तक का बिल बना देते है. आलमबाग के निजी अस्पताल में कोई भी गरीब व्यक्ति इलाज भी नहीं करा सकता है. वहां पर इतना पैसे वसूला जाता है की पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाए. हमें पहले से इसका अनुभव था. इसलिए हम कहीं निजी अस्पताल की तरफ रूख न करते हुए सिविल अस्पताल लेकर आए हैं. यहां पर थोड़ी भाग दौड़ करनी पड़ती है. डॉक्टरों और स्टॉफ के पीछे थोड़ा लगे रहना पड़ता है लेकिन इलाज अच्छा मिलता है.

अमेठी के विजय कुमार अपने बेटे का इलाज कराने के लिए सिविल अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बताया कि बेटे की तबीयत काफी ज्यादा खराब हो जाने की वजह से सबसे पहले हम नीचे अस्पताल भागे. जहां हॉस्पिटल और पैथोलॉजी काफी पैसा वसूल रहे थे. जगदीशपुर के एक निजी असपताल में 500, 600, 1400, जल्दी रिपोर्ट चाहिए तो 3000 रूपये की मांग करते है. उन्होंने बताया कि जबकि इस अस्पताल में इलाज के दौरान 5 मरीजों की जान भी चली गई थी.

अस्पताल पैसा बनाने के चक्कर में मरे हुए मरीजों का भी इलाज करने के नाम पर पैसा वसूल करते हैं. यह अस्पताल सरकार द्वारा तय किए गए मानक से अधिक पैसे लेते हैं इसलिए जब मरीज की जांच होती है तो उसका कोई रसीद नहीं बनाते हैं. मरीज की तबीयत को लेकर परेशान तीमारदार इस बात की तरफ गौर भी नहीं करते हैं. इस स्थिति में तो इंसान सोचता है कि पैसा देकर किसी तरह इंसान की जान बचाया जाए. हालांकि वहां पर सरकारी अस्पताल में भी बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने की वजह से सिविल अस्पताल पहुंचे. सिविल अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा मिली है.

ये भी पढ़ेंः यूपी के कई जिलों के तापमान में लगातार गिरावट, सात दिनों बाद प्रदेश में ठंड बढ़ जाएगी

उत्तर प्रदेश के कई जिलों के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में इस बार सर्दी ने यहां समय से पहले ही दस्तक दे दी है. मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार करीब सात दिनों बाद उत्तर प्रदेश में ठंड और बढ़ जाएगी. बुधवार सुबह हल्की धुंध छायी रहेगी. अधिकतम तापमान 31 व न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है.

जूनियर रेजिडेंट मेडिसिन विभाग डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि मच्छरों का मौसम है. इस मौसम में विशेष ख्याल रखना होता है कि घर में मच्छरदानी लगाकर सोए. कहीं भी पानी न जमा होने पाए. अस्पताल के डेंगू वार्ड में एक बेड नहीं बचे हैं. वहीं, इमरजेंसी में कुछ बैठे हैं. मरीजों से वार्डों की भीड़ बहुत ज्यादा हैं. वहीं अस्पताल की ओपीडी में भी मरीजों के काफी संख्या है इस समय डेंगू कंट्रोल है. लेकिन वायरल फीवर से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें मिले-जुले वायरस हैं. जिसकी वजह से 15 से 20 दिन मरीज बुखार से पीड़ित रह रहा है.

डॉ. संदीप ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या इसमें भी ज्यादा है, क्योंकि प्रदेश के अन्य छोटे जिलों से भी रेफर के ज्यादा मामले आते हैं. अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. तो ऐसे में जिन मरीजों की तबियत जरा भी खराब होती हैं, तो वह तुरंत इलाज के लिए सिविल अस्पताल में आ जाते हैं. उन्हें यहां पर बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होती होती है.

इस दौरान जब इस मामले में डिप्टी सीएम व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से ईटीवी भारत ने बात कि तो उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास इस बात की कोई जानकारी आती है कि निजी पैथोलॉजी मरीजों से जांच के लिए अधिक पैसे वसूल रहे हैं, तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी. सरकार के द्वारा जो मानक तय किए गए हैं. उसी के अंतर्गत निजी अस्पतालों को जांच के लिए शुल्क लेना है. ऐसे में अगर कोई भी अधिक लेते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कारवाई जरूर होगी.

ये भी पढ़ेंः लखनऊ में पुलिस कस्टडी से कैदी फरार, इलाज के लिए लाया गया था KGMU

लखनऊ: प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने से पैथोलॉजी पर डेंगू की जांच के लिए मरीजों की भीड़ लग रही है. इसका फायदा उठाकर निजी अस्पताल जमकर पैसा वसूल रहे हैं. डेंगू के लिए एलाइजा जांच के लिए लोगों को 1400 से अधिक की कीमत चुकानी पड़ रही है. वहीं, डेंगू सीबीसी, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड की जांच करानी है तो 2500 से अधिक शुल्क लिए जा रहे हैं. दो से तीन निजी अस्पातल में भर्ती रहने के बाद मरीजों से 50-60 हजार का बिल वसूल जा रहा है.

लखनऊ के सिविल अस्पताल में अमेठी से इलाज कराने आए एक मरीज ने बताया कि निजी अस्पताल से परेशान होकर बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है. गाजीपुर निवासी शैलेन्द्र यादव ने बताया कि मरीज को डेंगू हुआ है. ऐसे में प्लेटलेट्स काफी ज्यादा डाउन हो गईं. इस कारण अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बनी. निजी अस्पताल में काफी पैसा वसूला जाता है इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

निजी अस्पताल में डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए हो रहे अतरिक्त वसूली पर स्पेशल रिपोर्ट

आलमबाग के कनिष्क ने बताया कि निजी अस्पताल काफी ज्यादा लूट मचाए हुए हैं. एक बार में अगर कोई मरीज वहां इलाज के लिए पहुंचता है तो 50 से 60 हजार तक का बिल बना देते है. आलमबाग के निजी अस्पताल में कोई भी गरीब व्यक्ति इलाज भी नहीं करा सकता है. वहां पर इतना पैसे वसूला जाता है की पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाए. हमें पहले से इसका अनुभव था. इसलिए हम कहीं निजी अस्पताल की तरफ रूख न करते हुए सिविल अस्पताल लेकर आए हैं. यहां पर थोड़ी भाग दौड़ करनी पड़ती है. डॉक्टरों और स्टॉफ के पीछे थोड़ा लगे रहना पड़ता है लेकिन इलाज अच्छा मिलता है.

अमेठी के विजय कुमार अपने बेटे का इलाज कराने के लिए सिविल अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बताया कि बेटे की तबीयत काफी ज्यादा खराब हो जाने की वजह से सबसे पहले हम नीचे अस्पताल भागे. जहां हॉस्पिटल और पैथोलॉजी काफी पैसा वसूल रहे थे. जगदीशपुर के एक निजी असपताल में 500, 600, 1400, जल्दी रिपोर्ट चाहिए तो 3000 रूपये की मांग करते है. उन्होंने बताया कि जबकि इस अस्पताल में इलाज के दौरान 5 मरीजों की जान भी चली गई थी.

अस्पताल पैसा बनाने के चक्कर में मरे हुए मरीजों का भी इलाज करने के नाम पर पैसा वसूल करते हैं. यह अस्पताल सरकार द्वारा तय किए गए मानक से अधिक पैसे लेते हैं इसलिए जब मरीज की जांच होती है तो उसका कोई रसीद नहीं बनाते हैं. मरीज की तबीयत को लेकर परेशान तीमारदार इस बात की तरफ गौर भी नहीं करते हैं. इस स्थिति में तो इंसान सोचता है कि पैसा देकर किसी तरह इंसान की जान बचाया जाए. हालांकि वहां पर सरकारी अस्पताल में भी बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने की वजह से सिविल अस्पताल पहुंचे. सिविल अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा मिली है.

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उत्तर प्रदेश के कई जिलों के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में इस बार सर्दी ने यहां समय से पहले ही दस्तक दे दी है. मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार करीब सात दिनों बाद उत्तर प्रदेश में ठंड और बढ़ जाएगी. बुधवार सुबह हल्की धुंध छायी रहेगी. अधिकतम तापमान 31 व न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है.

जूनियर रेजिडेंट मेडिसिन विभाग डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि मच्छरों का मौसम है. इस मौसम में विशेष ख्याल रखना होता है कि घर में मच्छरदानी लगाकर सोए. कहीं भी पानी न जमा होने पाए. अस्पताल के डेंगू वार्ड में एक बेड नहीं बचे हैं. वहीं, इमरजेंसी में कुछ बैठे हैं. मरीजों से वार्डों की भीड़ बहुत ज्यादा हैं. वहीं अस्पताल की ओपीडी में भी मरीजों के काफी संख्या है इस समय डेंगू कंट्रोल है. लेकिन वायरल फीवर से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें मिले-जुले वायरस हैं. जिसकी वजह से 15 से 20 दिन मरीज बुखार से पीड़ित रह रहा है.

डॉ. संदीप ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या इसमें भी ज्यादा है, क्योंकि प्रदेश के अन्य छोटे जिलों से भी रेफर के ज्यादा मामले आते हैं. अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. तो ऐसे में जिन मरीजों की तबियत जरा भी खराब होती हैं, तो वह तुरंत इलाज के लिए सिविल अस्पताल में आ जाते हैं. उन्हें यहां पर बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होती होती है.

इस दौरान जब इस मामले में डिप्टी सीएम व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से ईटीवी भारत ने बात कि तो उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास इस बात की कोई जानकारी आती है कि निजी पैथोलॉजी मरीजों से जांच के लिए अधिक पैसे वसूल रहे हैं, तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी. सरकार के द्वारा जो मानक तय किए गए हैं. उसी के अंतर्गत निजी अस्पतालों को जांच के लिए शुल्क लेना है. ऐसे में अगर कोई भी अधिक लेते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कारवाई जरूर होगी.

ये भी पढ़ेंः लखनऊ में पुलिस कस्टडी से कैदी फरार, इलाज के लिए लाया गया था KGMU

Last Updated : Nov 2, 2022, 5:54 PM IST
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