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रेप मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं

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Published : Jan 17, 2020, 3:11 PM IST

उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली. कोर्ट ने आदेश दिया है कि दो महीने में कुलदीप सेंगर पीड़िता को 10 लाख रुपये का मुआवजा दें.

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रेप मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट से उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को राहत नहीं मिली. जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेंगर को निर्देश दिया है कि वो दो महीने के अंदर 25 लाख रुपये मुआवजे की रकम जमा करे.

रेप मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं.


तीस हजारी कोर्ट ने सुनाई थी सजा

बता दें कि दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने साथ ही 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. जुर्माने की इस रकम में से 10 लाख रुपये पीड़िता को देने का आदेश दिया था.

कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए तीस हजारी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं. जिनसे जूझ कर लड़कियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नरकीय जीवन काटती हैं.

'पुरुषवादी सोच हावी'

कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार से इस जांच मैं पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है. यही वजह है कि जांच के दौरान इस मामले में कई जगह ऐसा लगा कि पीड़ित उसके परिवार वालों के साथ निष्पक्ष जांच नही हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से दिल्ली ट्रांसफर किया था केस

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पीड़िता को 28 जुलाई 2019 को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था. 11 और 12 सितंबर 2019 को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट से उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को राहत नहीं मिली. जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेंगर को निर्देश दिया है कि वो दो महीने के अंदर 25 लाख रुपये मुआवजे की रकम जमा करे.

रेप मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं.


तीस हजारी कोर्ट ने सुनाई थी सजा

बता दें कि दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने साथ ही 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. जुर्माने की इस रकम में से 10 लाख रुपये पीड़िता को देने का आदेश दिया था.

कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए तीस हजारी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं. जिनसे जूझ कर लड़कियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नरकीय जीवन काटती हैं.

'पुरुषवादी सोच हावी'

कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार से इस जांच मैं पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है. यही वजह है कि जांच के दौरान इस मामले में कई जगह ऐसा लगा कि पीड़ित उसके परिवार वालों के साथ निष्पक्ष जांच नही हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से दिल्ली ट्रांसफर किया था केस

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पीड़िता को 28 जुलाई 2019 को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था. 11 और 12 सितंबर 2019 को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोट से उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कोई राहत नहीं मिली है। जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेंगर को निर्देश दिया है कि वो दो महीने के अंदर 25 लाख रुपये मुआवजे की रकम जमा करें। इस 25 लाख में से 10 लाख रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। कोर्ट ने सेंगर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया है।



Body:तीस हजारी कोर्ट ने सुनाई थी सजा
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उम्रकैद के अलावा 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। जुर्माने की इस रकम में से 10 लाख रुपये पीड़िता को देने का आदेश दिया था। 
डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं महिलाएं
कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए तीस हजारी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं। जिनसे जूझ कर लडकियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं।
पुरुषवादी सोच हावी
कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार से इस जांच मैं पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है। यही वजह है कि जांच के दौरान इस मामले में कई जगह ऐसा लगा कि पीड़ित उसके परिवार वालों के साथ निष्पक्ष जांच नही हुई।




Conclusion:सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से दिल्ली ट्रांसफर किया था केस
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पीड़िता को28 जुलाई 2019 को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था। 11 और 12 सितंबर 2019 को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था।
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