लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही अब निजी स्कूल और यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों पर भारी पड़ने लगी है. शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के दाखिले कराए गए हैं. नियमानुसार, इनकी फीस का भुगतान बेसिक शिक्षा विभाग करता है. बीते एक साल से इनकी फीस स्कूलों में जमा नहीं कराई गई है. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के बैनर तले इन स्कूल संचालकों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर से मिला. उन्होंने सांसद से इस पूरे प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की.
कोरोना के कारण बंदी की कगार पर हैं स्कूल
कोरोना संक्रमण और उसके बाद की स्थितियों के चलते प्रदेश के निजी स्कूलों की स्थिति खराब हो चुकी है. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो छोटे स्कूलों के पास अपने शिक्षकों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. कक्षा 8 तक के बच्चे दाखिले के लिए भी नहीं आ रहे हैं. ऐसे में हालात इतने खराब हैं कि बड़ी संख्या में स्कूल बंद होने लगे हैं. इतने खराब हालातों में भी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भुगतान न किए जाने के चलते और भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मीडिया प्रभारी ने बताया कि सांसद कौशल किशोर की तरफ से इस मुद्दे पर आश्वासन दिया गया है. उन्होंने जल्द ही इस मुद्दे को सरकार और जिम्मेदारों के सामने रखने की बात कही है.
प्रतिनिधिमंडल में यह लोग थे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में मो. हारून अजीज, अयोध्या प्रसाद, आशुतोश गुप्ता, मो. रिजवान, दानिश जफर, मो. आरिफ, जुनैद अहमद, विमल कुमार, सुषील कुमार, अतुल सिंह, मुजीब अहमद, मो. फहीम, अभिशेक कुमार सिंह आदि शामिल रहे.
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यह मांग रखी गई
प्रतिनिधिमंडल ने सांसद से कहा कि सत्र 2020-21 की आरटीई की शुल्क प्रतिपूर्ति जो अभी तक विद्यालयों एवं अभिभावकों को प्राप्त नहीं हुई है, उसका शीघ्र भुगतान कराया जाए.