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फर्जी मार्कशीट मामले में खब्बू तिवारी की अपील पर फैसला सुरक्षित, दोष सिद्ध करार दिए जाने पर दी है चुनौती

फर्जी मार्कशीट मामले में भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बु की अपील पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. पूर्व विधायक ने ट्रायल कोर्ट द्वारा खुद को दोष सिद्ध किए जाने व सजा के खिलाफ अपील दाखिल की हुई है.

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Published : Nov 15, 2022, 8:30 PM IST

लखनऊ : फर्जी मार्कशीट मामले में भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू (Former BJP MLA Indra Pratap Tiwari alias Khabbu) की अपील पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. पूर्व विधायक ने ट्रायल कोर्ट द्वारा खुद को दोष सिद्ध किए जाने व सजा के खिलाफ अपील दाखिल की हुई है.


न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने मंगलवार को पूर्व विधायक व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के पश्चात अपना निर्णय सुरक्षित किया. अपीलार्थी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह (Senior Advocate IB Singh) ने दलील दी कि अभियोजन कथानक की पुष्टि किसी भी गवाह के बयान से नहीं होती है. यह भी दलील दी गई कि मामले में जो दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे, वे मूल प्रतियां नहीं थीं. कहा गया कि मूल प्रतियां न होने अथवा मूल प्रतियों से मिलान न होने के कारण उक्त दस्तावेजों को साक्ष्य नहीं माना जा सकता.

वहीं अपील का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा (But government advocate Umesh Chandra Verma) ने विरोध करते हुए दलील दी कि अपीलार्थी इस मामले में 30 साल तक फरार रहा. उसके फ़रारी से ट्रायल बहुत अधिक विलंब हुआ. कहा गया कि मामले की एफआईआर अयोध्या जनपद के थाना रामजन्म भूमि में वर्ष 1992 में ही दर्ज कराई गई थी. यह भी दलील दी गई कि मुकदमे के ट्रायल के दौरान अभियोजन साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर कोई प्रश्न नहीं उठाया है. लिहाजा अपील में दस्तावेजों की प्रामाणिकता के विरुद्ध दलील नहीं दी जा सकती.

यह भी पढ़ें : योगी कैबिनेट की बैठक कल लोक भवन में सुबह 11 बजे, हो सकते हैं कई अहम फैसले

लखनऊ : फर्जी मार्कशीट मामले में भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू (Former BJP MLA Indra Pratap Tiwari alias Khabbu) की अपील पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. पूर्व विधायक ने ट्रायल कोर्ट द्वारा खुद को दोष सिद्ध किए जाने व सजा के खिलाफ अपील दाखिल की हुई है.


न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने मंगलवार को पूर्व विधायक व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के पश्चात अपना निर्णय सुरक्षित किया. अपीलार्थी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह (Senior Advocate IB Singh) ने दलील दी कि अभियोजन कथानक की पुष्टि किसी भी गवाह के बयान से नहीं होती है. यह भी दलील दी गई कि मामले में जो दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे, वे मूल प्रतियां नहीं थीं. कहा गया कि मूल प्रतियां न होने अथवा मूल प्रतियों से मिलान न होने के कारण उक्त दस्तावेजों को साक्ष्य नहीं माना जा सकता.

वहीं अपील का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा (But government advocate Umesh Chandra Verma) ने विरोध करते हुए दलील दी कि अपीलार्थी इस मामले में 30 साल तक फरार रहा. उसके फ़रारी से ट्रायल बहुत अधिक विलंब हुआ. कहा गया कि मामले की एफआईआर अयोध्या जनपद के थाना रामजन्म भूमि में वर्ष 1992 में ही दर्ज कराई गई थी. यह भी दलील दी गई कि मुकदमे के ट्रायल के दौरान अभियोजन साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर कोई प्रश्न नहीं उठाया है. लिहाजा अपील में दस्तावेजों की प्रामाणिकता के विरुद्ध दलील नहीं दी जा सकती.

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