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लखनऊ: डीसीपी बोलीं, यह अपराध जिसे छुपकर करता है इंसान - केंद्र व प्रदेश सरकार

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे के साथ केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार बेटियों को अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की बात करती आ रही है. लेकिन फिरभी कुछ लोग बेटियों को कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने डीसीपी महिला अपराध सुरक्षा रुचिता चौधरी से बात की. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा अपराध है जिसे इंसान चोरी छुपकर करता है, जो निश्चित रूप से दुखद है.

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डॉ सुचिता चतुर्वेदी.
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Published : Oct 24, 2020, 7:36 PM IST

लखनऊ: केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देकर बेटियों में बेटों में समानता लाने की बात कर रही है, पर समाज में आज भी बेटियों को अभिशाप माना जाता है. यही कारण है कि बेटियों के जन्म के बाद बहुत से लोग उन्हें सुनसान स्थलों व कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं. इसके पीछे कभी सामाजिक लोक लाज कभी आर्थिक संकट तो कभी कई अन्य कारण भी होते हैं.

डीसीपी बोलीं, यह अपराध जिसे छुपकर करता है इंसान
ईटीवी भारत ने जब इस मामले की पड़ताल की तो कई तथ्य खुलकर सामने आए. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीसीपी महिला अपराध सुरक्षा रुचिता चौधरी का कहना है कि यह एक ऐसा अपराध है जिसे इंसान चोरी छुपकर करता है, जो निश्चित रूप से दुखद है. सरकार व हम लोग लगातार बेटियों व बेटों में समानता का भाव रखने की बात कर रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे हैं. बावजूद इसके इस तरह की शिकायतें कभी-कभी जरूर आती हैं. डीसीपी महिला अपराध ने कहा कि जिस समाज में लड़के और लड़कियों में अंतर रखा जाता है, वहां लड़कियों के विरुद्ध इस तरह के कार्य होते हैं.

वहीं लड़कियों के कूड़े में फेंके जाने के सवाल पर बाल आयोग की सदस्य डॉ सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि जिन बच्चों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है उनके माता-पिता को ढूंढने में काफी दिक्कत भी होती है और यदि इनके माता-पिता मिल भी जाते हैं तो उन्हें सिद्ध करने में भी एक लंबी प्रक्रिया के तहत गुजरना होता है और कई बार यह सिद्ध भी नहीं हो पाता है.


बताते चलें कि देश में बेटियों में बेटों में सरकार व लोगों की जागरूकता के बावजूद भी अंतर रखा जाता है और यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में बेटियां या तो मां के गर्भ में मार दी जाती हैं या जन्म लेने के बाद उन्हें कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है. इसके लिए सरकार व समाज दोनों को मिलकर आगे आना होगा तभी इस पर रोक लग सकेगी.

लखनऊ: केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देकर बेटियों में बेटों में समानता लाने की बात कर रही है, पर समाज में आज भी बेटियों को अभिशाप माना जाता है. यही कारण है कि बेटियों के जन्म के बाद बहुत से लोग उन्हें सुनसान स्थलों व कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं. इसके पीछे कभी सामाजिक लोक लाज कभी आर्थिक संकट तो कभी कई अन्य कारण भी होते हैं.

डीसीपी बोलीं, यह अपराध जिसे छुपकर करता है इंसान
ईटीवी भारत ने जब इस मामले की पड़ताल की तो कई तथ्य खुलकर सामने आए. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीसीपी महिला अपराध सुरक्षा रुचिता चौधरी का कहना है कि यह एक ऐसा अपराध है जिसे इंसान चोरी छुपकर करता है, जो निश्चित रूप से दुखद है. सरकार व हम लोग लगातार बेटियों व बेटों में समानता का भाव रखने की बात कर रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे हैं. बावजूद इसके इस तरह की शिकायतें कभी-कभी जरूर आती हैं. डीसीपी महिला अपराध ने कहा कि जिस समाज में लड़के और लड़कियों में अंतर रखा जाता है, वहां लड़कियों के विरुद्ध इस तरह के कार्य होते हैं.

वहीं लड़कियों के कूड़े में फेंके जाने के सवाल पर बाल आयोग की सदस्य डॉ सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि जिन बच्चों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है उनके माता-पिता को ढूंढने में काफी दिक्कत भी होती है और यदि इनके माता-पिता मिल भी जाते हैं तो उन्हें सिद्ध करने में भी एक लंबी प्रक्रिया के तहत गुजरना होता है और कई बार यह सिद्ध भी नहीं हो पाता है.


बताते चलें कि देश में बेटियों में बेटों में सरकार व लोगों की जागरूकता के बावजूद भी अंतर रखा जाता है और यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में बेटियां या तो मां के गर्भ में मार दी जाती हैं या जन्म लेने के बाद उन्हें कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है. इसके लिए सरकार व समाज दोनों को मिलकर आगे आना होगा तभी इस पर रोक लग सकेगी.

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