लखनऊ : अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विषय में कहा जाता है कि वह हमेशा चुनाव की तैयारी मे रहती है. एक चुनाव जीतने के बाद ही पार्टी दूसरी चुनाव की तैयारी में जुट जाती है. उत्तर प्रदेश में भाजपा की जमीन तैयार करने के लिए संघ ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले एक सप्ताह के उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं. संघ और उसका नेतृत्व सीधे तौर पर राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहते हैं, हालांकि वह हिंदुत्व की जमीन तैयार करते हैं और इसका स्वाभाविक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलता है.
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले अपने प्रवास के दौरान संघ के प्रचारकों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों में शामिल होंगे. वह प्रदेश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों का जायजा लेने के साथ संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारियों और भी चर्चा करेंगे. सरकार्यवाह काशी और गोरखपुर में भी अपनी बैठकें करने वाले हैं. गौरतलब है कि 2025 में आरएसएस के 100 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि 2024 में लोकसभा चुनाव की तैयारी के साथ-साथ संघ अपने शताब्दी वर्ष की तैयारियों को भी धार देगा. संघ का एजेंडा हिंदुत्व की भावनाएं जगाकर जनमानस में चेतना पैदा करना है. स्वाभाविक है इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलता है. संघ के विचारक हमेशा कहते हैं कि छोटे-छोटे विषयों को छोड़कर हमेशा बड़े परिपेक्ष में चीजों को देखना चाहिए. बड़े मुद्दों और देश हित को देखते हुए ही जनता को अपना फैसला करना चाहिए. माना जा रहा है कि संघ के इस कार्यक्रम के साथ शुरू हो रही संघ की यह गतिविधियां लोकसभा चुनाव तक ऐसे ही जारी रहेंगी. भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि यदि एक बार फिर केंद्र में सरकार बनानी है, तो उसे उत्तर प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सांसद चुनकर भेजने होंगे. पार्टी इस विषय में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती.
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि 'सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले इन दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं. इस दौरान वह कई जगह जाएंगे. इस यात्रा को एक सामान्य यात्रा की तरह देख रहा हूं. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है. इसकी किसी भी गतिविधि को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. यह सही है कि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन संघ की आज की जो दृष्टि है, उसका चुनाव से फिलहाल कोई लेना-देना नहीं है. यह काम राजनीतिक दलों का है और वह अपने हिसाब से करेंगे. संघ की जो यात्रा है, यदि दत्तात्रेय जी न आते तो कोई और पदाधिकारी आता.'
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि 'दत्तात्रेय होसबोले जी का कार्यक्रम प्रचारकों और कार्यकारिणी के सदस्यों से क्षेत्र और प्रांत स्तर पर बैठक करने का है. उनका सार्वजनिक कार्यक्रम मकर संक्रांति का है. इस तरह के जितने भी पर्व हैं, जिनमें मुख्यरूप से सामाजिक समरसता को बहुत महत्व दिया जाता है, उन सभी पर्वों को संघ सामाजिक रूप से मनाता आया है. मकर संक्रांति का जो पर्व है, वह नव चेतना का पर्व है. उस दिन सामाजिक समरसता का भाव सबसे ऊपर होता है. इस तरह का एक संदेश संघ के सरकार्यवाह जी देंगे. एक तो इस यात्रा का महत्व संघ से संगठन की दृष्टि से है और दूसरा सामाजिक समरसता को जाग्रत करना भी है. उनके प्रवास का यही प्रमुख उद्देश्य हो सकता है.'
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