ETV Bharat / state

हे भगवान! नर्सों का पंजीकरण नंबर भी बेच रहे हैं दलाल

उत्तर प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ के नाम पर खूब धांधली चल रही है. आरोप है कि तमाम नर्सिंग कॉलेजों और अस्पतालों में मानक पूरा करने के लिए महज कागजों पर ही स्टाफ है. नर्सों के पंजीकरण नंबर हथियाकर उन्हें अपने यहां कर्मी दिखाया जाता है.

लखनऊ:
लखनऊ:
author img

By

Published : Jun 11, 2021, 12:24 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 2:18 PM IST

लखनऊ: यूपी की स्टेट मेडिकल फैकल्टी में पंजीकरण नंबरों में धांधली चल रही है. यहां के कर्मचारी-दलालों का गुपचुप लंबा रैकेट चल रहा है. आरोप है कि वह मानकों को पूरा करने के लिए नर्सिंग कॉलेजों-अस्पतालों को पंजीकरण बेचने का धंधा कर रहे हैं. ऐसे में कोर्स पूरा कर घर पर बैठे अभ्यर्थियों को भी कागजों पर नौकरी में दर्शाया जा रहा है. लिहाजा, एक छात्र ने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की लिखित शिकायत की है.

ये है पूरी शिकायत
राजधानी निवासी मुहम्मद आकिब अंसारी ने नर्सिंग का कोर्स किया है. आकिब के मुताबिक 14 दिसंबर 2018 को उनका स्टेट मेडिकल फैकल्टी के नर्सिंग काउंसिल में पंजीकरण हुआ. इसका नंबर काउंसिल द्वारा 70662 जारी किया गया. इसके बाद 2020 मई तक शहर के निजी अस्पतालों में काम किया. जुलाई 2020 से वह किसी अस्पताल में नौकरी नहीं कर रहा है. ऐसे में जून में उसने घर में काउंसिल की वेबसाइट चेक की. इस पर सर्विस स्टेट्स में उसको मथुरा के निजी अस्पताल में नौकरी पर दिखाया गया. आकिब के मुताबिक उसने मथुरा में कभी नौकरी नहीं की. आकिब का आरोप है कि दलाल-विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से पैसा लेकर पंजीकरण नंबर बेचा गया है. यह भविष्य के साथ खिलवाड़ है. वेबसाइट पर से निजी अस्पताल से पंजीकरण का लिंक हटाया जाए. पीड़ित ने मामले की लिखित शिकायत काउंसिल में की है.

नर्सों के पंजीकरण नंबर से धांधली
मानकों को पूरा करने के नाम पर बड़ा खेल, कागजों पर स्टाफनर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक निजी नर्सिंग कॉलेज-अस्पताल मानकों को पूरा करने के लिए लंबा खेल करते हैं. इसमें तमाम स्थानों में नर्सेज शिक्षक कागजों पर ही नौकरी में होते हैं. उनके पंजीकरण नंबर से ही सरकारी दफ्तरों में कागज दौड़ते रहते हैं. इसमें कर्मचारियों, दलालों, कॉलेज, अस्पताल संचालकों का लंबा गठजोड़ है. वहीं स्टेट मेडिकल फैकल्टी में स्थाई सचिव की नियुक्ति न होने से अव्यवस्थाएं हावी हैं. सरकार मामले की जांच कराएं. साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई हो. हर वर्ष निकलते हजारों छात्र (पूरे प्रदेश की स्थिति)कोर्स कॉलेज सीटएमएससी नर्सिंग 23 580बीएससी नर्सिंग 142 6073जीएनएम 307 14,094एएनएम 299, 10,570

इसे भी पढ़ेंः चोरी का शुभ मुहूर्त: गिरफ्तार चोरों ने बताया ये प्लान, खबर पढ़ आप भी हो जाएंगे हैरान

क्या कहते हैं अफसर
स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव डॉ एके सिंह से बात की कोशिश की गई, तो फोन रिसीव नहीं हुआ. वहीं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुनीता मलिक ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. उसकी पड़ताल कराई जा रही है.

लखनऊ: यूपी की स्टेट मेडिकल फैकल्टी में पंजीकरण नंबरों में धांधली चल रही है. यहां के कर्मचारी-दलालों का गुपचुप लंबा रैकेट चल रहा है. आरोप है कि वह मानकों को पूरा करने के लिए नर्सिंग कॉलेजों-अस्पतालों को पंजीकरण बेचने का धंधा कर रहे हैं. ऐसे में कोर्स पूरा कर घर पर बैठे अभ्यर्थियों को भी कागजों पर नौकरी में दर्शाया जा रहा है. लिहाजा, एक छात्र ने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की लिखित शिकायत की है.

ये है पूरी शिकायत
राजधानी निवासी मुहम्मद आकिब अंसारी ने नर्सिंग का कोर्स किया है. आकिब के मुताबिक 14 दिसंबर 2018 को उनका स्टेट मेडिकल फैकल्टी के नर्सिंग काउंसिल में पंजीकरण हुआ. इसका नंबर काउंसिल द्वारा 70662 जारी किया गया. इसके बाद 2020 मई तक शहर के निजी अस्पतालों में काम किया. जुलाई 2020 से वह किसी अस्पताल में नौकरी नहीं कर रहा है. ऐसे में जून में उसने घर में काउंसिल की वेबसाइट चेक की. इस पर सर्विस स्टेट्स में उसको मथुरा के निजी अस्पताल में नौकरी पर दिखाया गया. आकिब के मुताबिक उसने मथुरा में कभी नौकरी नहीं की. आकिब का आरोप है कि दलाल-विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से पैसा लेकर पंजीकरण नंबर बेचा गया है. यह भविष्य के साथ खिलवाड़ है. वेबसाइट पर से निजी अस्पताल से पंजीकरण का लिंक हटाया जाए. पीड़ित ने मामले की लिखित शिकायत काउंसिल में की है.

नर्सों के पंजीकरण नंबर से धांधली
मानकों को पूरा करने के नाम पर बड़ा खेल, कागजों पर स्टाफनर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक निजी नर्सिंग कॉलेज-अस्पताल मानकों को पूरा करने के लिए लंबा खेल करते हैं. इसमें तमाम स्थानों में नर्सेज शिक्षक कागजों पर ही नौकरी में होते हैं. उनके पंजीकरण नंबर से ही सरकारी दफ्तरों में कागज दौड़ते रहते हैं. इसमें कर्मचारियों, दलालों, कॉलेज, अस्पताल संचालकों का लंबा गठजोड़ है. वहीं स्टेट मेडिकल फैकल्टी में स्थाई सचिव की नियुक्ति न होने से अव्यवस्थाएं हावी हैं. सरकार मामले की जांच कराएं. साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई हो. हर वर्ष निकलते हजारों छात्र (पूरे प्रदेश की स्थिति)कोर्स कॉलेज सीटएमएससी नर्सिंग 23 580बीएससी नर्सिंग 142 6073जीएनएम 307 14,094एएनएम 299, 10,570

इसे भी पढ़ेंः चोरी का शुभ मुहूर्त: गिरफ्तार चोरों ने बताया ये प्लान, खबर पढ़ आप भी हो जाएंगे हैरान

क्या कहते हैं अफसर
स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव डॉ एके सिंह से बात की कोशिश की गई, तो फोन रिसीव नहीं हुआ. वहीं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुनीता मलिक ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. उसकी पड़ताल कराई जा रही है.

Last Updated : Jun 11, 2021, 2:18 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.