लखनऊ: राजधानी में जहां अपराध की घटनाएं इन दिनों बढ़ रही हैं, तो वहीं साइबर अपराध भी तेजी से बढ़े हैं. तकनीक से लैस होकर जालसाज लोगों की कमाई पर डाका डाल रहे हैं. इन दिनों राजधानी में सबसे ज्यादा आर्थिक ठगी के मामले बढ़े हैं. ऑनलाइन तरीके से लोगों के खातों से पैसा निकालने के मामले भी खूब दर्ज हो रहे हैं. बढ़ रहे साइबर अपराधों को देखते हुए प्रदेश के गृह विभाग ने 18 जनपदों में साइबर थाने खोलने को मंजूरी दी थी, जिससे कि बढ़ रहे साइबर अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके, लेकिन इन दिनों साइबर अपराध करने वाले जालसाज अपराध के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं. बीते 10 महीने में राजधानी में 2395 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें ज्यादातर मामले आर्थिक अपराध के हैं. वहीं फिलहाल इन साइबर अपराध के मामलों को खोलने में फॉरेंसिक लैब न होने के कारण दिक्कत का सामना भी पुलिस को करना पड़ रहा है.
राजधानी में तेजी से बढ़ रहे हैं साइबर अपराध
प्रदेश में इन दिनों तकनीक से लैस होकर जालसाज साइबर अपराध की घटनाओं को तेजी से अंजाम दे रहे हैं. इसके कारण राजधानी में साइबर अपराध के मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. राजधानी में 10 महीनों के भीतर 2395 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए हैं. इनमें ऑनलाइन ठगी के मामले सबसे ज्यादा हैं. जनपद के हजरतगंज में साइबर थाना खुला हुआ है, लेकिन बढ़ते अपराध की संख्या के हिसाब से पुलिस भी लाचार दिखाई दे रही है.
राजधानी के साइबर थाने में नहीं है आईटी एक्सपर्ट
प्रदेश में बढ़ रहे साइबर अपराध को देखते हुए गृह विभाग ने 18 जनपदों में साइबर थाने खोलने की मंजूरी दी थी. इसके बाद 18 जनपदों में साइबर थाने खोल दिए गए. उसके बावजूद भी तकनीक के इस दौर में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. राजधानी लखनऊ में साइबर थाना खुला तो है, लेकिन यहां पर कोई भी आईटी एक्सपर्ट नहीं है. बल्कि यहां पुलिस के ऐसे लोग रखे गए हैं, जो कंप्यूटर के जानकार तो हैं, लेकिन पेशेवर आईटी एक्सपर्ट नहीं हैं. लखनऊ के साइबर थाने को 24 लोग ही चला रहे हैं.
लखनऊ साइबर थाना में तैनात कर्मी
तैनात कर्मी | संख्या |
पुलिस कॉन्स्टेबल | 18 |
हेड कॉन्स्टेबल | 1 |
सब इंस्पेक्टर | 3 |
इंस्पेक्टर | 1 |
अधिकारी | 2 |
राजधानी में नहीं है फॉरेंसिक लैब
राजधानी लखनऊ में साइबर अपराध पिछले साल की अपेक्षा काफी ज्यादा बढ़े हैं, लेकिन जिस तरीके से इन अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. उसके मुकाबले संसाधन सीमित हैं. राजधानी में साइबर थाना तो जरूर खुला है, लेकिन अभी कोई फॉरेंसिक लैब नहीं है. इसका खामियाजा पुलिस को ही भुगतना पड़ता है. क्योंकि साइबर अपराध को खोलने के लिए फॉरेंसिक लैब का होना जरूरी है, जो राजधानी में नहीं है.
प्रदेश में हैं 18 साइबर थाने
प्रदेश के गृह विभाग के बढ़ते हुए साइबर अपराध को देखते हुए 18 साइबर थानों को खोलने की मंजूरी दी थी. इसके बाद आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट, बरेली, मुरादाबाद, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, अयोध्या, लखनऊ, नोएडा, सहारनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर, वाराणसी में साइबर थाना खोला गया है.
पिछले 10 महीनों में लखनऊ में 2395 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें आर्थिक अपराध के मामले ज्यादा हैं. वहीं तत्काल कार्रवाई करते हुए अब तक 80 से 85 लाख रुपये लोगों को वापस भी दिलाए गए. राजधानी में फॉरेंसिक लैब न होने से काफी मुश्किलें भी आ रही हैं.
विवेक रंजन राय, एसीपी साइबर क्राइम