ETV Bharat / state

एक साल में 80 हजार लोग साइबर ठगी के बने शिकार, एडीजी क्राइम ने बताए बचाव के तरीके - up adg cyber crime

लखनऊ में साइबर अपराध विषय पर आयोजित कार्यशाला में एडीजी क्राइम सुभाष चंद्रा ने कहा कि यूपी में साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं. उन्होंने इनकी रोकथाम के लिए निर्देश जारी किए हैं.

ADG CRIME
ADG CRIME
author img

By

Published : Jun 9, 2022, 11:13 AM IST

लखनऊ: प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने के लिए शासन स्तर से लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में बुधवार को लखनऊ पुलिस मुख्यालय में कार्यशाला हुई. इसमें प्रदेश के 18 पुलिस मुख्यालयों में साइबर अपराध से आधारित कार्यशाला को लाइव टेलीकास्ट किया गया. कार्यशाला में बताया गया कि बीते एक साल में 80 हजार से अधिक साइबर क्राइम के मामले नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंंग पोर्टल पर दर्ज किए गए हैं. इस संख्या को कम करने और साइबर अपराध को रोकने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं.

लखनऊ पुलिस मुख्यालय में साइबर अपराध से आज़ादी विषय पर आधारित कार्यशाला में साइबर अपराध से संबंधित दर्जनों मामले सामने आए. कार्यशाला में इनसे बचाव व जालसाजों पर शिकंजा कैसे कसा जाए इस पर गहन चर्चा हुई. भारत में हरदिन साइबर ठग नए-नए तरीकों से ठगी कर रहे हैं. कभी क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर तो कभी सोशल मीडिया के जरिये कॉन्टैक्ट नंबर चुराकर या फिर वीडियो कॉल कर सेक्सटॉर्शन के जरिए मोटी रकम वसूल ले रहे हैं.



एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया कि मौजूदा समय में किसी का भी मोबाइल डाटा चुराना साइबर क्रिमिनल्स के लिए आसान बात हो गई है. साइबर क्रिमिनल्स ऐसे नौजवानों को अपना शिकार बनाते हैं जो ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलते हैं. गेम खेलने के दौरान साइबर क्रिमिनल्स लिंक भेजकर मोबाइल में एंट्री करते हैं और पूरा डेटा एक्सेस कर लेते हैं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर स्कूफ प्रोफाइल बना कर आपके ही दोस्तों से मदद के नाम पर पैसों की डिमांड करते हैं. जबकि, बच्चों को ब्लैकमेल कर गलत काम करवा लेते हैं.

ओटीपी मांगा जाए तो समझ जाएं आप रडार पर हैं: एक्सपर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में ठगी आम बात हो गई है. बार-बार प्रचार प्रसार के बाद भी लोग जानकारी के अभाव में क्रिमिनल्स का शिकार हो रहे हैं. उन्होने बताया साइबर क्रिमिनल्स यूपीआई के माध्यम से लोगों को पैसे भेजकर ओटीपी मांगते हैं और ओटीपी देने पर बैंक खाता पूरा खाली कर देते हैं. उन्होंने बताया कि यूपीआई के जरिए पैसे का लेनदेन करने पर बैंक की ओर से कभी भी ओटीपी की मांग नहीं की जाती है. अगर कोई ऐसा करे तो समझ जाइये कि आप क्रिमिनल्स के रडार पर हैं.


कीटनाशक दवाओं में छुपाकर ले जा रहे थे डेढ़ करोड़ का गांजा, पुलिस ने किया गिरफ्तार


एक साल में 80 हजार से अधिक मामले: कार्यशाला में एडीजी साइबर क्राइम सुभाष चंद्रा ने कहा कि साइबर क्राइम के मामले सबसे ज्यादा यूपी में बढ़े हैं. बीते एक साल में 80 हजार से अधिक मामले नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंंग पोर्टल पर दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया कि पीड़ितों की शिकायत के बाद अबतक 37 हजार से अधिक मोबाइल नंबर, सोशल मीडिया एकाउंट और बैंक खातों को ब्लॉक कराया गया है. राज्य में साइबर क्राइम की रोकथाम व साइबर क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए साइबर क्राइम निगरानी केंद्र पर 24 घंटे 60 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी रहती है. उन्होंने कहा कि बीते एक साल में यूपी में जो कैश लेनदेन के साइबर फ्राॅड हुए उनमें सवा नौ करोड़ रुपये खातों में फ्रीज कराए गए हैं या पीड़ितों को वापस कराए गए हैं.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने के लिए शासन स्तर से लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में बुधवार को लखनऊ पुलिस मुख्यालय में कार्यशाला हुई. इसमें प्रदेश के 18 पुलिस मुख्यालयों में साइबर अपराध से आधारित कार्यशाला को लाइव टेलीकास्ट किया गया. कार्यशाला में बताया गया कि बीते एक साल में 80 हजार से अधिक साइबर क्राइम के मामले नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंंग पोर्टल पर दर्ज किए गए हैं. इस संख्या को कम करने और साइबर अपराध को रोकने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं.

लखनऊ पुलिस मुख्यालय में साइबर अपराध से आज़ादी विषय पर आधारित कार्यशाला में साइबर अपराध से संबंधित दर्जनों मामले सामने आए. कार्यशाला में इनसे बचाव व जालसाजों पर शिकंजा कैसे कसा जाए इस पर गहन चर्चा हुई. भारत में हरदिन साइबर ठग नए-नए तरीकों से ठगी कर रहे हैं. कभी क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर तो कभी सोशल मीडिया के जरिये कॉन्टैक्ट नंबर चुराकर या फिर वीडियो कॉल कर सेक्सटॉर्शन के जरिए मोटी रकम वसूल ले रहे हैं.



एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया कि मौजूदा समय में किसी का भी मोबाइल डाटा चुराना साइबर क्रिमिनल्स के लिए आसान बात हो गई है. साइबर क्रिमिनल्स ऐसे नौजवानों को अपना शिकार बनाते हैं जो ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलते हैं. गेम खेलने के दौरान साइबर क्रिमिनल्स लिंक भेजकर मोबाइल में एंट्री करते हैं और पूरा डेटा एक्सेस कर लेते हैं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर स्कूफ प्रोफाइल बना कर आपके ही दोस्तों से मदद के नाम पर पैसों की डिमांड करते हैं. जबकि, बच्चों को ब्लैकमेल कर गलत काम करवा लेते हैं.

ओटीपी मांगा जाए तो समझ जाएं आप रडार पर हैं: एक्सपर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में ठगी आम बात हो गई है. बार-बार प्रचार प्रसार के बाद भी लोग जानकारी के अभाव में क्रिमिनल्स का शिकार हो रहे हैं. उन्होने बताया साइबर क्रिमिनल्स यूपीआई के माध्यम से लोगों को पैसे भेजकर ओटीपी मांगते हैं और ओटीपी देने पर बैंक खाता पूरा खाली कर देते हैं. उन्होंने बताया कि यूपीआई के जरिए पैसे का लेनदेन करने पर बैंक की ओर से कभी भी ओटीपी की मांग नहीं की जाती है. अगर कोई ऐसा करे तो समझ जाइये कि आप क्रिमिनल्स के रडार पर हैं.


कीटनाशक दवाओं में छुपाकर ले जा रहे थे डेढ़ करोड़ का गांजा, पुलिस ने किया गिरफ्तार


एक साल में 80 हजार से अधिक मामले: कार्यशाला में एडीजी साइबर क्राइम सुभाष चंद्रा ने कहा कि साइबर क्राइम के मामले सबसे ज्यादा यूपी में बढ़े हैं. बीते एक साल में 80 हजार से अधिक मामले नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंंग पोर्टल पर दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया कि पीड़ितों की शिकायत के बाद अबतक 37 हजार से अधिक मोबाइल नंबर, सोशल मीडिया एकाउंट और बैंक खातों को ब्लॉक कराया गया है. राज्य में साइबर क्राइम की रोकथाम व साइबर क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए साइबर क्राइम निगरानी केंद्र पर 24 घंटे 60 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी रहती है. उन्होंने कहा कि बीते एक साल में यूपी में जो कैश लेनदेन के साइबर फ्राॅड हुए उनमें सवा नौ करोड़ रुपये खातों में फ्रीज कराए गए हैं या पीड़ितों को वापस कराए गए हैं.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.