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किसानों की आमदनी बढ़ाता सीएसआईआर सीमैप 'किसान मेला'

यूपी के लखनऊ में 15 जनवरी से चल रहे किसान मेले का पांच फरवरी को अंतिम दिन रहा. आज मेले में विभिन्न राज्यों के किसानों और उद्यमियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य मंत्री महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार स्वाति सिंह ने शिरकत की.

सीएसआईआर सीमैप किसान मेला
सीएसआईआर सीमैप किसान मेला
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Published : Feb 6, 2021, 4:22 PM IST

लखनऊः राजधानी में 15 जनवरी से पांच फरवरी के मध्य सीएसआईआर केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान सीएसआईआर सीमैप लखनऊ में किसान मेले का आयोजन किया गया. मेले के आखरी दिन पांच फरवरी को मुख्य समारोह में देश के विभिन्न राज्यों से किसानों व उद्यमियों ने भाग लिया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य मंत्री महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार स्वाति सिंह ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि औषधि एवं सगंध पौधों के उत्पादन में सीएसआईआर सीमैप संस्थान का योगदान महत्वपूर्ण है.

किसान मेले में करीब 4000 किसानों ने की शिरकत.

2003 में शुरू हुई थी किसान मेले की शुरुआत
वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सीएसआईआर- सीमैप के पूर्व निदेशक डॉक्टर सुमन प्रीत सिंह खनुजा शामिल हुए. यहां उन्होंने कहा कि सीएसआईआर सीमैप किसान मेला की शुरुआत वर्ष 2003 से की गई थी. इस किसान मेले के माध्यम से किसान वैज्ञानिक और औषधीय एवं सगंध पौधे से जुड़े खरीदारों से सीधे संवाद करते हैं. इससे यह पता चलता है कि वर्तमान में किस फसल की मांग बढ़ रही है. ताकि किसान उसी फसल को उगा कर अधिक लाभ पा सकें. संस्थान विकसित नई-नई प्रजातियों व तकनीकीयों के बारे में जानकारी देता है.

मेले से किसानों और वैज्ञानिकों के बीच होता है संवाद
सीएसआईआर सीमैप के निदेशक डॉ प्रमोद कुमार त्रिवेदी ने अतिथियों कृषको और उद्यमियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते किसानों को पूर्व पंजीकरण के द्वारा केवल 100 प्रतिभागियों को ही किसान मेले में आने का मौका मिला. कोविड-19 महामारी के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य था. उन्होंने कहा कि किसान मेला किसानों, उद्यमियों तथा वैज्ञानिकों के बीच सीधे संवाद का अनूठा अवसर प्रदान करता है.

छह दशकों से काम कर रहा सीएसआईआर सीमैप
बता दें कि सीएसआईआर सीमैप लगभग छह दशकों से आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की नई नई प्रजातियों का संशोधन कर किसानों को आर्थिक लाभ दिलाने हेतु कार्य करता आ रहा है. सीएसआईआर सीमैप अपने शोध एवं विस्तार कार्य से किसानों के बीच जनजागृति करता है. उस कार्य के फल स्वरूप आज मेंथा के तेल उत्पादन और बिक्री में भारत विश्व में अग्रणी श्रेणी पर विराजमान है. उन्होंने आगे कहा कि किसान मेले को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य संस्थान में हो रहे नित्य नए शोधों को किसानों व आम जन मानस से रूबरू कराना है.

पूजा के फूलों से बनती अगरबत्ती
पूजा के फूलों पर आधारित अगरबत्ती और कोन बनाने के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन में महिलाओं ने काफी उत्साह दिखाया. किसान मेले में आसवन सयंत्र चलाने का विशेष प्रदर्शन, जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए विकसित किफायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगेती मिंट टेक्नोलॉजी इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई और प्रदर्शनी लगाई गई. इस अवसर पर किसान मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ अब्दुल समद ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं सवाल-जवाब सत्र में उपस्थित सभी वैज्ञानिकों ने किसानों से सवालों के जवाब प्रस्तुत किए. सीएसआईआर-सीमैप के सहयोग से चल रहे पिछले 20 दिन से किसान मेले में आए विभिन्न राज्यों के लगभग 4000 किसानों ने प्रतिभाग किया.

लखनऊः राजधानी में 15 जनवरी से पांच फरवरी के मध्य सीएसआईआर केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान सीएसआईआर सीमैप लखनऊ में किसान मेले का आयोजन किया गया. मेले के आखरी दिन पांच फरवरी को मुख्य समारोह में देश के विभिन्न राज्यों से किसानों व उद्यमियों ने भाग लिया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य मंत्री महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार स्वाति सिंह ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि औषधि एवं सगंध पौधों के उत्पादन में सीएसआईआर सीमैप संस्थान का योगदान महत्वपूर्ण है.

किसान मेले में करीब 4000 किसानों ने की शिरकत.

2003 में शुरू हुई थी किसान मेले की शुरुआत
वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सीएसआईआर- सीमैप के पूर्व निदेशक डॉक्टर सुमन प्रीत सिंह खनुजा शामिल हुए. यहां उन्होंने कहा कि सीएसआईआर सीमैप किसान मेला की शुरुआत वर्ष 2003 से की गई थी. इस किसान मेले के माध्यम से किसान वैज्ञानिक और औषधीय एवं सगंध पौधे से जुड़े खरीदारों से सीधे संवाद करते हैं. इससे यह पता चलता है कि वर्तमान में किस फसल की मांग बढ़ रही है. ताकि किसान उसी फसल को उगा कर अधिक लाभ पा सकें. संस्थान विकसित नई-नई प्रजातियों व तकनीकीयों के बारे में जानकारी देता है.

मेले से किसानों और वैज्ञानिकों के बीच होता है संवाद
सीएसआईआर सीमैप के निदेशक डॉ प्रमोद कुमार त्रिवेदी ने अतिथियों कृषको और उद्यमियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते किसानों को पूर्व पंजीकरण के द्वारा केवल 100 प्रतिभागियों को ही किसान मेले में आने का मौका मिला. कोविड-19 महामारी के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य था. उन्होंने कहा कि किसान मेला किसानों, उद्यमियों तथा वैज्ञानिकों के बीच सीधे संवाद का अनूठा अवसर प्रदान करता है.

छह दशकों से काम कर रहा सीएसआईआर सीमैप
बता दें कि सीएसआईआर सीमैप लगभग छह दशकों से आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की नई नई प्रजातियों का संशोधन कर किसानों को आर्थिक लाभ दिलाने हेतु कार्य करता आ रहा है. सीएसआईआर सीमैप अपने शोध एवं विस्तार कार्य से किसानों के बीच जनजागृति करता है. उस कार्य के फल स्वरूप आज मेंथा के तेल उत्पादन और बिक्री में भारत विश्व में अग्रणी श्रेणी पर विराजमान है. उन्होंने आगे कहा कि किसान मेले को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य संस्थान में हो रहे नित्य नए शोधों को किसानों व आम जन मानस से रूबरू कराना है.

पूजा के फूलों से बनती अगरबत्ती
पूजा के फूलों पर आधारित अगरबत्ती और कोन बनाने के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन में महिलाओं ने काफी उत्साह दिखाया. किसान मेले में आसवन सयंत्र चलाने का विशेष प्रदर्शन, जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए विकसित किफायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगेती मिंट टेक्नोलॉजी इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई और प्रदर्शनी लगाई गई. इस अवसर पर किसान मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ अब्दुल समद ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं सवाल-जवाब सत्र में उपस्थित सभी वैज्ञानिकों ने किसानों से सवालों के जवाब प्रस्तुत किए. सीएसआईआर-सीमैप के सहयोग से चल रहे पिछले 20 दिन से किसान मेले में आए विभिन्न राज्यों के लगभग 4000 किसानों ने प्रतिभाग किया.

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