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Medical News : बलरामपुर की ओपीडी में उमड़े मरीज, कंप्यूटर से साढ़े चार हजार और 12 सौ पर्चे मैनुअल बने

बलरामपुर अस्पताल में सोमवार को ओपीडी में मरीजों और तीमारदारों की भीड़ उमड़ पड़ी. स्थिति यह हो गई कि पर्चा व जांच काउंटर पर मरीजों की कई कतारें लग गईं. मरीजों की भीड़ की जानकारी होने पर आननफानन अस्पताल के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मैनुअल पर्चे बनवाने की व्यवस्था शुरू कराई. इसके अलावा जांच केंद्रों और दवा काउंटरों पर अतिरिक्त कर्मचारी लगवाए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 9:45 AM IST

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल में सोमवार को ओपीडी में करीब छह हजार मरीज पहुंचे. उनके साथ तीमारदार भी रहे. इतनी संख्या में मरीज आने से ओपीडी के सभी पर्चा काउंटर पर लंबी लाइनें लग गईं. काउंटर पर सभी कंप्यूटर पर कर्मचारी पर्चे बना रहे थे, लेकिन इतनी भीड़ थी कि तब भी एक पर्चा बनवाने के लिए मरीज या तीमारदार को आधा घंटा तक लग जा रहा था.

मरीजों की अधिक भीड़ होने की जानकारी पर ओपीडी में अस्पताल के निदेशक डॉ. एके सिंह, सीएमएस डॉ. अतुल मेहरोत्रा पहुंचे. अफसरों ने मरीजों की भीड़ देखते हुए उन्हें राहत पहुंचाने के लिए कंप्यूटर, आभा एप के अलावा मैनुअल पर्चे बनाने के लिए अतरिक्त कर्मचारी लगाए गए. मैनुअल करीब 1200 पर्चे बनाए गए, जबकि कंप्यूटर से साढ़े चार हजार से अधिक पर्चे बने. खून व एक्सरे आदि की जांच पर कुछ देर के लिए दूसरी जगह से अतिरिक्त कर्मचारी बुलाकर काम करवाया गया. जिसके बाद करीब 12 बजे तक ओपीडी में मरीजों की भीड़ कुछ कम हुई. काउंटर से दवा भी प्रशिक्षु फार्मासिस्टों की संख्या बढ़ाकर बंटवाई गई.

टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण

योगी सरकार राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब टीबी मरीजों की समुचित देखभाल के लिए फैमिली केयरगिवर कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को टीबी मुक्त बनाने के विजन को मिशन के रूप में अपनाकर प्रदेश में काम किया जा रहा है.

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.

इसी उद्देश्य के साथ योगी सरकार अब टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों या रोगी के करीबी लोगों में से प्राथमिक देखभालकर्ता की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही है. इस पहल के तहत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रत्येक टीबी रोगी के लिए परिवार से एक जिम्मेदार देखभालकर्ता की पहचान की जाएगी. उन्हें टीबी रोगी के साथ अस्पताल जाने के लिए कहा जाएगा और इस दौरान रोगी की देखभाल के प्रमुख पहलुओं, उपचार और उसके अनुपालन पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. इससे उपचार के नियमों के पालन सहित स्वस्थ व्यवहार अपनाने के लिए टीबी रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ेगा. परिवार के सदस्यों और समुदाय में टीबी पर जानकारी और जागरुकता बढ़ेगी. इसके अलावा बेहतर सहयोग प्रदान करने के लिए समुदाय की क्षमता में वृद्धि होगी.


परिवार के सदस्यों की भूमिका को मजबूत करना उद्​देश्य

डीजी हेल्थ डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि "गाइडेंस डॉक्यूमेंट ऑन इंगेजिंग फैमिली केयरगिवर्स फॉर सपोर्टिंग पर्सन्स विद ट्यूबरक्लोसिस” के अनुसार कई अध्ययनों से पता चला है कि पारिवारिक देखभाल से रोगी और देखभाल करने वाले के सम्बन्ध बेहतर होते हैं और देखभालकर्ता का आत्मविश्वास बढ़ता है. देखभाल करने वाले कठिन परिस्थितियों को संभालना सीखते हैं, जिससे उनमें संतुष्टि का भाव आता है और इसका सीधा प्रभाव रोगी के स्वास्थ्य परिणाम पर पड़ता है.

टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण.
टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण.

Lucknow Medical News : क्विज कंपटीशन में नेपाल के डेंटल स्टूडेंट्स ने मारी बाजी

फैमिली केयरगिवर कार्यक्रम का उद्देश्य प्राथमिक देखभालकर्ताओं के रूप में परिवार के सदस्यों की भूमिका को मजबूत करना, देखभाल, रोकथाम के विभिन्न पहलुओं में उनकी क्षमताओं का निर्माण करना और मरीजों के सफल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए परिवारों को आवश्यकता-आधारित सहायता प्रदान करना है. यह टीबी मरीज के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है. यह जटिलताओं के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को व्यापक और समग्र देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगा. इसके अलावा इससे इलाज, उचित पोषण सुनिश्चित करने और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी. जिससे टीबी से पीड़ित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा. इसके अलावा इससे टीबी से जुड़े भेदभाव और मिथकों को कम करने, टीबी मरीजों के लिए सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी और टीबी देखभाल में समानता भी सुनिश्चित होगी.


छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस, अल्ट्रासाउंड मशीन और आरटीपीसीआर मशीन की सुविधाएं

जीवन रक्षक सुविधाओं से सुसज्जित एडवांस एम्बुलेंस सहित अल्ट्रासाउंड मशीन और आरटीपीसीआर मशीन, आईसीआईसीआई फाउंडेशन की तरफ से लखनऊ छावनी परिषद के सदर बाजार स्थित जनरल अस्पताल के लिए दिया गया है. अस्पताल में इन सुविधाओं के बढ़ जाने से मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी. काफी संख्या में सदर स्थित छावनी अस्पताल में मरीज इलाज करने आते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड न होने के चलते उन्हें कहीं और इलाज कराना पड़ता है. अब एम्बुलेंस, अल्ट्रासाउंड और आरटीपीसीआर मशीन मिल जाने से अस्पताल में मरीज को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी.

छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.
छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.
मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि इस मौके पर छावनी परिषद सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. (प्रो) आरके धीमन, विशिष्ट अतिथि सैफ काजमी और आईसीआईसीआई बैक लिमिटेड के जोनल हेड ने इसे डिजिटली माध्यम से लोकार्पित किया. आईसीआईसीआई फाउडेंशन ने एम्बुलेंस व चिकित्सीय उपकरणों को सीएसआर फंड से प्रदान किए हैं.
छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.
छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.

वर्ष 2018 से बंद है सिविल अस्पताल की कैथ लैब, शासन से जारी हो चुका है बजट

अभी तक सदर बाजार स्थित छावनी परिषद अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. अस्पताल में इस सुविधा को स्थापित करने में छावनी परिषद के कर्मचारी अभिनव गुप्ता और श्याम सिंह ने अहम योगदान दिया है. इन दोनों कर्मियों का डॉ. प्रोफेसर आरके धीमन और विलास एच.पवार, मुख्य अधिशासी अधिकारी ने सराहना की. डाॅ. आरके धीमन, निदेशक एसजीपीजीआई ने कहा कि किसी भी अस्पताल में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा उपकरणों की आवश्यकता होती है. सभी उपकरण अस्पताल में होने चाहिए जिससे मरीज को इलाज के लिए किसी दूसरे अस्पताल के चक्कर न काटने पड़े. अब एडवांस एंबुलेंस मिलने से मरीज समय पर अस्पताल पहुंच सकेंगे. यहां पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल सकेगी जिससे उन्हें काफी राहत होगी. इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सैफ काजमी, जोनल हेड, आईसीआईसीआई बैक लिमिटेड, विलास एच. पवार, मुख्य अधिशासी अधिकारी, लखनऊ छावनी परिषद, पारितोष त्रिपाठी, प्राजेक्ट मैनेजर उपस्थित रहे.





यह भी पढ़ें : किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का डॉक्टर बताकर मरीज को कराया निजी अस्पताल में शिफ्ट, जांच का आदेश

लखनऊ लोहिया संस्थान के डॉक्टरों पर निजी अस्पताल में ट्रायल करने का आरोप

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल में सोमवार को ओपीडी में करीब छह हजार मरीज पहुंचे. उनके साथ तीमारदार भी रहे. इतनी संख्या में मरीज आने से ओपीडी के सभी पर्चा काउंटर पर लंबी लाइनें लग गईं. काउंटर पर सभी कंप्यूटर पर कर्मचारी पर्चे बना रहे थे, लेकिन इतनी भीड़ थी कि तब भी एक पर्चा बनवाने के लिए मरीज या तीमारदार को आधा घंटा तक लग जा रहा था.

मरीजों की अधिक भीड़ होने की जानकारी पर ओपीडी में अस्पताल के निदेशक डॉ. एके सिंह, सीएमएस डॉ. अतुल मेहरोत्रा पहुंचे. अफसरों ने मरीजों की भीड़ देखते हुए उन्हें राहत पहुंचाने के लिए कंप्यूटर, आभा एप के अलावा मैनुअल पर्चे बनाने के लिए अतरिक्त कर्मचारी लगाए गए. मैनुअल करीब 1200 पर्चे बनाए गए, जबकि कंप्यूटर से साढ़े चार हजार से अधिक पर्चे बने. खून व एक्सरे आदि की जांच पर कुछ देर के लिए दूसरी जगह से अतिरिक्त कर्मचारी बुलाकर काम करवाया गया. जिसके बाद करीब 12 बजे तक ओपीडी में मरीजों की भीड़ कुछ कम हुई. काउंटर से दवा भी प्रशिक्षु फार्मासिस्टों की संख्या बढ़ाकर बंटवाई गई.

टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण

योगी सरकार राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब टीबी मरीजों की समुचित देखभाल के लिए फैमिली केयरगिवर कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को टीबी मुक्त बनाने के विजन को मिशन के रूप में अपनाकर प्रदेश में काम किया जा रहा है.

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम.

इसी उद्देश्य के साथ योगी सरकार अब टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों या रोगी के करीबी लोगों में से प्राथमिक देखभालकर्ता की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही है. इस पहल के तहत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रत्येक टीबी रोगी के लिए परिवार से एक जिम्मेदार देखभालकर्ता की पहचान की जाएगी. उन्हें टीबी रोगी के साथ अस्पताल जाने के लिए कहा जाएगा और इस दौरान रोगी की देखभाल के प्रमुख पहलुओं, उपचार और उसके अनुपालन पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. इससे उपचार के नियमों के पालन सहित स्वस्थ व्यवहार अपनाने के लिए टीबी रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ेगा. परिवार के सदस्यों और समुदाय में टीबी पर जानकारी और जागरुकता बढ़ेगी. इसके अलावा बेहतर सहयोग प्रदान करने के लिए समुदाय की क्षमता में वृद्धि होगी.


परिवार के सदस्यों की भूमिका को मजबूत करना उद्​देश्य

डीजी हेल्थ डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि "गाइडेंस डॉक्यूमेंट ऑन इंगेजिंग फैमिली केयरगिवर्स फॉर सपोर्टिंग पर्सन्स विद ट्यूबरक्लोसिस” के अनुसार कई अध्ययनों से पता चला है कि पारिवारिक देखभाल से रोगी और देखभाल करने वाले के सम्बन्ध बेहतर होते हैं और देखभालकर्ता का आत्मविश्वास बढ़ता है. देखभाल करने वाले कठिन परिस्थितियों को संभालना सीखते हैं, जिससे उनमें संतुष्टि का भाव आता है और इसका सीधा प्रभाव रोगी के स्वास्थ्य परिणाम पर पड़ता है.

टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण.
टीबी मरीज के परिवार के एक सदस्य को दिया जाएगा प्रशिक्षण.

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फैमिली केयरगिवर कार्यक्रम का उद्देश्य प्राथमिक देखभालकर्ताओं के रूप में परिवार के सदस्यों की भूमिका को मजबूत करना, देखभाल, रोकथाम के विभिन्न पहलुओं में उनकी क्षमताओं का निर्माण करना और मरीजों के सफल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए परिवारों को आवश्यकता-आधारित सहायता प्रदान करना है. यह टीबी मरीज के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है. यह जटिलताओं के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को व्यापक और समग्र देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगा. इसके अलावा इससे इलाज, उचित पोषण सुनिश्चित करने और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी. जिससे टीबी से पीड़ित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा. इसके अलावा इससे टीबी से जुड़े भेदभाव और मिथकों को कम करने, टीबी मरीजों के लिए सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी और टीबी देखभाल में समानता भी सुनिश्चित होगी.


छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस, अल्ट्रासाउंड मशीन और आरटीपीसीआर मशीन की सुविधाएं

जीवन रक्षक सुविधाओं से सुसज्जित एडवांस एम्बुलेंस सहित अल्ट्रासाउंड मशीन और आरटीपीसीआर मशीन, आईसीआईसीआई फाउंडेशन की तरफ से लखनऊ छावनी परिषद के सदर बाजार स्थित जनरल अस्पताल के लिए दिया गया है. अस्पताल में इन सुविधाओं के बढ़ जाने से मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी. काफी संख्या में सदर स्थित छावनी अस्पताल में मरीज इलाज करने आते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड न होने के चलते उन्हें कहीं और इलाज कराना पड़ता है. अब एम्बुलेंस, अल्ट्रासाउंड और आरटीपीसीआर मशीन मिल जाने से अस्पताल में मरीज को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी.

छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.
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छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.
छावनी परिषद को मिली एडवांस एम्बुलेंस.

वर्ष 2018 से बंद है सिविल अस्पताल की कैथ लैब, शासन से जारी हो चुका है बजट

अभी तक सदर बाजार स्थित छावनी परिषद अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. अस्पताल में इस सुविधा को स्थापित करने में छावनी परिषद के कर्मचारी अभिनव गुप्ता और श्याम सिंह ने अहम योगदान दिया है. इन दोनों कर्मियों का डॉ. प्रोफेसर आरके धीमन और विलास एच.पवार, मुख्य अधिशासी अधिकारी ने सराहना की. डाॅ. आरके धीमन, निदेशक एसजीपीजीआई ने कहा कि किसी भी अस्पताल में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा उपकरणों की आवश्यकता होती है. सभी उपकरण अस्पताल में होने चाहिए जिससे मरीज को इलाज के लिए किसी दूसरे अस्पताल के चक्कर न काटने पड़े. अब एडवांस एंबुलेंस मिलने से मरीज समय पर अस्पताल पहुंच सकेंगे. यहां पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल सकेगी जिससे उन्हें काफी राहत होगी. इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सैफ काजमी, जोनल हेड, आईसीआईसीआई बैक लिमिटेड, विलास एच. पवार, मुख्य अधिशासी अधिकारी, लखनऊ छावनी परिषद, पारितोष त्रिपाठी, प्राजेक्ट मैनेजर उपस्थित रहे.





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