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Navratri 2019: काशी, प्रयागराज और अयोध्या के मंदिरों में देवी-दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

आज शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. शहर के देवी मंदिरों में जबरदस्त भीड़ भी देखने को मिल रही है. इसी क्रम में काशी और प्रयागराज, अयोध्या के मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला लगा है.

मंदिरों में देवी-दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़.
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Published : Sep 29, 2019, 1:27 PM IST

लखनऊ: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और इस मौके पर देवी मंदिरों में जबरदस्त भीड़ भी देखने को मिल रही है. इसी क्रम में आज काशी स्थित देवी शैलपुत्री के मंदिर में सुबह से ही जबरदस्त बारिश के बावजूद भी लोगों की भीड़ उमड़ी. वहीं प्रयागराज के प्रसिद्ध आलोप शंकरी देवी ललिता देवी कल्याणी देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला जारी रहा. इसी क्रम में अयोध्या के श्री राम की कुलदेवी मां बड़ी देवकाली में मां के जयकारों के साथ ही बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिली.

मंदिरों में देवी-दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़.

वाराणसी के देवी शैलपुत्री के मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
देवी शैलपुत्री का यह मंदिर वाराणसी के अलीपुरा क्षेत्र में स्थित है. देवी शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि पार्वती के रूप में देवी शैलपुत्री ने महादेव को अपना वर स्वीकार कर लिया था. उन्हीं से शादी करने की रट लगाई थी, जिसके बाद उनका विवाह भोलेनाथ से हुआ था. इसलिए कुंवारी कन्याओं के लिए देवी के आज के दर्शन का विशेष महत्व है.

देवी भक्तों पर बरसाती हैं अमृत
देवी के 1 हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरु और कलश के साथ कमल पुष्प है. बताया जाता है कि जिस हाथ में कलश है, उसमें अमृत है जो देवी भक्तों पर बरसाती हैं. यही वजह है कि आज सुबह से ही अमृत रूपी बारिश जबरदस्त तरीके से हो रही है, लेकिन उसका कोई असर भक्तों पर नहीं है और माता की एक झलक पाने के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त , पूजा विधि

प्रयागराज के अलोपशंकरी मां के मंदिर का है खास महत्व
पौराणिक महत्व वाले इस अलोपशंकरी मां के मंदिर का खास महत्व है. इसके चलते यहा पर दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ जुटती है और भक्तों में दर्शन उत्साह देखने को मिलता है. मान्यता है कि यहा पर मां सती के दाहिने हाथ का पंजा कट कर गिरा था जो गिरने के साथ वह यहां पर आकर अदृश्य हो गया. इसी वजह से इस सिद्ध पीठ का नाम अलोपशंकरी पड़ा है. यहां पर मूर्ति न होने के चलते यहा पर देवी मां का पंजा गिरने के कारण उनके प्रतीक रूप झूले की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस झूले पर जो भी चुनरी और रक्षा सूत्र बांधा है उसकी मन्नत भी पूर्ण होती है.

इसे भी पढ़ें-Navratri 2019: प्रथम दिन देवी मां शैलपुत्री का करें दर्शन-पूजन

अयोध्या के बड़ी देवकाली देवी के मंदिर का भागवत में है वर्णन
भागवत में बड़ी देवकाली जी का वर्णन है. कहा जाता है की बड़ी देवकाली जी भगवान श्री राम की कुलदेवी है, तभी से एक परंपरा चली आ रही है की जब भी किसी के घर में बच्चा होता है तो घर के सदस्य बच्चे के साथ मां के दर्शन करने जरुर आते है, साथ ही सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत मां के दर्शन से ही प्रारंभ होती है. भक्त जन अपने पापो के प्राश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी श्री बड़ी देवकाली जी की पूजा अर्चना करते है.

कहा जाता है कि नवरात में सिद्धि प्राप्त करने के लिए बड़े देवकाली जी की विशेष तरीके से पूजा की जाती है. साल भर दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु नवरात में जरुर आते है पहले मां के तीनो रूप की पूजा अर्चना करते है. मंदिर के बाहर मां शक्ति का वाहन सिंह विराजमान है.

लखनऊ: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और इस मौके पर देवी मंदिरों में जबरदस्त भीड़ भी देखने को मिल रही है. इसी क्रम में आज काशी स्थित देवी शैलपुत्री के मंदिर में सुबह से ही जबरदस्त बारिश के बावजूद भी लोगों की भीड़ उमड़ी. वहीं प्रयागराज के प्रसिद्ध आलोप शंकरी देवी ललिता देवी कल्याणी देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला जारी रहा. इसी क्रम में अयोध्या के श्री राम की कुलदेवी मां बड़ी देवकाली में मां के जयकारों के साथ ही बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिली.

मंदिरों में देवी-दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़.

वाराणसी के देवी शैलपुत्री के मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
देवी शैलपुत्री का यह मंदिर वाराणसी के अलीपुरा क्षेत्र में स्थित है. देवी शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि पार्वती के रूप में देवी शैलपुत्री ने महादेव को अपना वर स्वीकार कर लिया था. उन्हीं से शादी करने की रट लगाई थी, जिसके बाद उनका विवाह भोलेनाथ से हुआ था. इसलिए कुंवारी कन्याओं के लिए देवी के आज के दर्शन का विशेष महत्व है.

देवी भक्तों पर बरसाती हैं अमृत
देवी के 1 हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरु और कलश के साथ कमल पुष्प है. बताया जाता है कि जिस हाथ में कलश है, उसमें अमृत है जो देवी भक्तों पर बरसाती हैं. यही वजह है कि आज सुबह से ही अमृत रूपी बारिश जबरदस्त तरीके से हो रही है, लेकिन उसका कोई असर भक्तों पर नहीं है और माता की एक झलक पाने के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं.

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प्रयागराज के अलोपशंकरी मां के मंदिर का है खास महत्व
पौराणिक महत्व वाले इस अलोपशंकरी मां के मंदिर का खास महत्व है. इसके चलते यहा पर दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ जुटती है और भक्तों में दर्शन उत्साह देखने को मिलता है. मान्यता है कि यहा पर मां सती के दाहिने हाथ का पंजा कट कर गिरा था जो गिरने के साथ वह यहां पर आकर अदृश्य हो गया. इसी वजह से इस सिद्ध पीठ का नाम अलोपशंकरी पड़ा है. यहां पर मूर्ति न होने के चलते यहा पर देवी मां का पंजा गिरने के कारण उनके प्रतीक रूप झूले की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस झूले पर जो भी चुनरी और रक्षा सूत्र बांधा है उसकी मन्नत भी पूर्ण होती है.

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अयोध्या के बड़ी देवकाली देवी के मंदिर का भागवत में है वर्णन
भागवत में बड़ी देवकाली जी का वर्णन है. कहा जाता है की बड़ी देवकाली जी भगवान श्री राम की कुलदेवी है, तभी से एक परंपरा चली आ रही है की जब भी किसी के घर में बच्चा होता है तो घर के सदस्य बच्चे के साथ मां के दर्शन करने जरुर आते है, साथ ही सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत मां के दर्शन से ही प्रारंभ होती है. भक्त जन अपने पापो के प्राश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी श्री बड़ी देवकाली जी की पूजा अर्चना करते है.

कहा जाता है कि नवरात में सिद्धि प्राप्त करने के लिए बड़े देवकाली जी की विशेष तरीके से पूजा की जाती है. साल भर दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु नवरात में जरुर आते है पहले मां के तीनो रूप की पूजा अर्चना करते है. मंदिर के बाहर मां शक्ति का वाहन सिंह विराजमान है.

Intro:वाराणसी: आज शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है और देवी मंदिरों में जबरदस्त भीड़ भी देखने को मिल रही है इस क्रम में आज देवाधिदेव दी देव महादेव की नगरी काशी में स्थित देवी शैलपुत्री के मंदिर में सुबह से ही जबरदस्त बारिश के बाद भी लोगों की भीड़ उमड़ी है. देवी शैलपुत्री का यह मंदिर वाराणसी के अलीपुरा क्षेत्र में स्थित है.Body:वीओ-01 देवी शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि पार्वती के रूप में देवी शैलपुत्री ने देवा दी देव महादेव को अपना वर स्वीकार कर लिया था. उन्हीं से शादी करने की रट लगाई थी जिसके बाद उनका विवाह भोलेनाथ से हुआ इसलिए कुंवारी कन्याओं के लिए देवी के आज के दर्शन का विशेष महत्व है देवी के 1 हाथ में त्रिशूल दूसरे में डमरु और कलश के साथ कमल पुष्प है बताया जाता है कि जिस हाथ में कलश है उसमें अमृत है जो देवी भक्तों पर बरसाती हैं यही वजह है कि आज सुबह से ही अमृत रूपी बारिश जबरदस्त तरीके से हो रही है लेकिन उसका कोई असर भक्तों पर नहीं है और माता की एक झलक पाने के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं.Conclusion:वीओ-02 बता देंगी काशी में देवी के अलग-अलग नौ रूपों के अलग-अलग मंदिर हैं और सभी पुरातन समय के हैं इस वजह से दूर दूर से भक्तों की कतार वाराणसी के इन देवी मंदिरों में लगती है.

बाईट- गजेंद्र गोस्वामी, पुजारी
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