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लखनऊ: कुर्बानी के लिए बकरे की तलाश, दुबग्गा मंडी में लोगों की भीड़ जुटी - लखनऊ में बकरा मंडी

बकरीद का त्योहार आने में अभी तीन दिन बाकी हैं, लेकिन कुर्बानी के लिए बकरा बाजार में खरीददारों की भीड़ एकत्र हो रही है. राजधानी की दुबग्गा मंडी में कीमती बकरे भी लाए गए हैं. इनकी कीमत लाखों में हैं.

एक लाख तक बिक रहे बकरे.
एक लाख तक बिक रहे बकरे.
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Published : Jul 27, 2020, 7:53 AM IST

लखनऊ: आगामी शुक्रवार को पूरे देश में कुर्बानी का त्योहार बकरीद मनाया जाएगा. बकरीद त्योहार को देखते हुए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुबग्गा में बकरा मंडी लगाई गई है. यहां कई जिलों से, कई नस्ल के बकरे लाए गए हैं और इनकी कीमत 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपए तक है. बकरा बाजार में खासी भीड़ देखी जा रही है.

विभिन्न नस्लों के बकरे उपलब्ध
इस बार उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लखनऊ स्थित दुबग्गा के बकरा मंडी में एक से बढ़कर एक नस्ल के बकरे आए हुए हैं. इन बकरों की कीमत 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक बताई जा रही है. बाराबंकी के रहने वाले किसान मो. असलम ने बताया कि उसके पास जो बकरा है, उसकी कीमत करीब एक लाख है.

विभिन्न नस्लों के बेचे जाते हैं बकरे.
विभिन्न नस्लों के बेचे जाते हैं बकरे.

किसान ने बताया कि बकरों के खाने का खास ध्यान रखा जाता है. बकरों को चना, गुड़, गेहूं, चोकर, जोनहरी, भूसा खिलाते हैं. असलम ने अपने बकरों का नाम सोनू और मोनू रखा है, जो आवाज देते ही तुरंत उसके पास चले आते हैं.

बकरीद क्यों मनाई जाती है
ईद-उल-जुहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इसी दिन हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने के लिए राजी हो गए थे. इसी कारण हजरत इब्राहिम की याद में बकरीद मनाई जाती है. बकरीद पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है. ईद-उल-जुहा का यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धांत हज को भी मान्यता देता है.

लखनऊ: आगामी शुक्रवार को पूरे देश में कुर्बानी का त्योहार बकरीद मनाया जाएगा. बकरीद त्योहार को देखते हुए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुबग्गा में बकरा मंडी लगाई गई है. यहां कई जिलों से, कई नस्ल के बकरे लाए गए हैं और इनकी कीमत 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपए तक है. बकरा बाजार में खासी भीड़ देखी जा रही है.

विभिन्न नस्लों के बकरे उपलब्ध
इस बार उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लखनऊ स्थित दुबग्गा के बकरा मंडी में एक से बढ़कर एक नस्ल के बकरे आए हुए हैं. इन बकरों की कीमत 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक बताई जा रही है. बाराबंकी के रहने वाले किसान मो. असलम ने बताया कि उसके पास जो बकरा है, उसकी कीमत करीब एक लाख है.

विभिन्न नस्लों के बेचे जाते हैं बकरे.
विभिन्न नस्लों के बेचे जाते हैं बकरे.

किसान ने बताया कि बकरों के खाने का खास ध्यान रखा जाता है. बकरों को चना, गुड़, गेहूं, चोकर, जोनहरी, भूसा खिलाते हैं. असलम ने अपने बकरों का नाम सोनू और मोनू रखा है, जो आवाज देते ही तुरंत उसके पास चले आते हैं.

बकरीद क्यों मनाई जाती है
ईद-उल-जुहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इसी दिन हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने के लिए राजी हो गए थे. इसी कारण हजरत इब्राहिम की याद में बकरीद मनाई जाती है. बकरीद पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है. ईद-उल-जुहा का यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धांत हज को भी मान्यता देता है.

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