ETV Bharat / state

हिमाचल में जीत का श्रेय प्रियंका को पर उप्र की हार का कोई जिम्मेदार नहीं

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh assembly elections) में कांग्रेस पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई है. पार्टी के नेताओं में इस जीत का श्रेय प्रियंका गांधी को देने की होड़ सी मची हुई है, वहीं बात की जाए उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा 2022 चुनाव की तो उसकी हार का जिम्मेदार कोई नहीं...पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

a
a
author img

By

Published : Dec 12, 2022, 8:48 AM IST

Updated : Dec 12, 2022, 10:47 AM IST

लखनऊ : कांग्रेस पार्टी की राजनीति भी अजब-गजब है. पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से हो या फिर कोई बाहरी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. ‌पार्टी नेताओं की निष्ठा चापलूसी की हद तक गांधी परिवार से जुड़ी दिखाई देती है. हाल ही में संपन्न हुए हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh assembly elections) के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को पराजित कर बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई है. पार्टी नेताओं में इस जीत का श्रेय प्रियंका गांधी को देने की होड़ सी मची हुई है. हालांकि 2022 में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें प्रियंका गांधी ही प्रभारी थीं. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने वह दुर्गति देखी जो पहले कभी नहीं हुई थी. पार्टी महज दो सीटों तक सिमट कर रह गई. बावजूद इसके किसी नेता ने हार का दोषी प्रियंका गांधी को नहीं ठहराया.


किसी भी चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के हार और जीत का न कोई एक कारण होता है और न ही इसके लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार हो सकता है. चुनाव में छोटी-छोटी ऐसी तमाम बातें होती हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर मतदाता अपना मन बनाता है. इसलिए किसी एक चुनाव में हार और जीत का श्रेय किसी एक नेता को देना बेमानी है. हालांकि चाटुकारिता के इस दौर में नेताओं में प्रतिस्पर्धा का माहौल है. एक से बढ़कर एक चाटुकार नेता वरिष्ठ को खुश करना चाहते हैं. यही कारण है कि वह जीत का श्रेय किसी व्यक्ति विशेष को देने लगते हैं. इसी वर्ष के शुरुआती महीनों में उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश के विधानसभा चुनावों की कमान संभाली और जीतोड़ मेहनत भी की. उन्होंने तमाम जिलों के दौरे किए. धरना प्रदर्शन और प्रशासन के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रहने का काम किसी ने किया तो वह थीं प्रियंका गांधी. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे बुरी हार हुई. उसे महज दो सीटों पर संतोष करना पड़ा. यह दोनों सीटें भी पार्टी के बजाय व्यक्तिगत छवि वाली थीं और प्रत्याशियों ने अपने बलबूते पर इन पर विजय हासिल की थी. कांग्रेस की इस अभूतपूर्व पराजय की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई भी नेता आगे नहीं आया. हां अपनी भी विधानसभा सीट न बचा सके तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने पद से त्यागपत्र जरूर दिया. हालांकि उनके त्यागपत्र के और भी कई कारण बताए गए. यदि प्रियंका गांधी इस चुनाव में हुई हार की जिम्मेदारी नहीं ले सकीं अथवा पार्टी ने हार के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं माना, तो हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जीत के लिए अकेले उन्हें श्रेय देना कहां तक उचित है.


विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इस्तीफा दिया तो पार्टी को दूसरा नेता ढूंढने में चार महीने से भी ज्यादा का समय लग गया. प्रदेश को नया नेतृत्व मिलने के बावजूद उत्तर प्रदेश की कमान प्रियंका गांधी के पास ही मानी जा रही है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के बाद रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में पूरे हाथ पैर मारने पर भी कांग्रेस को प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिला. इन जिलों में पार्टी के जो नेता थे वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. हाल ही में मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर व खतौली विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव संपन्न हो, लेकिन कांग्रेस पार्टी में प्रत्याशी का टोटा बरकरार रहा. रामपुर सीट पर दो कांग्रेस के नेताओं ने अपने चिर प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी को मोहम्मद आजम के खिलाफ समर्थन दे दिया. इस दुर्गति के लिए भी पार्टी में कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ी समस्या है निचले स्तर पर संगठन का खत्म होना और पार्टी की आंतरिक राजनीति. निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं में पैठ बढ़ाने के बजाय ज्यादातर नेता नेतृत्व की चाटुकारिता में अपना वक्त बिताते हैं, हालांकि ऐसे नेताओं का कोई वजूद नहीं होता, जिनके पीछे जनसमर्थन न हो. प्रियंका गांधी पार्टी का नेतृत्व कितनी भी मेहनत से कर लें, सफलता तब तक नहीं मिल सकती जब तक निचले स्तर पर कार्यकर्ता तैयार नहीं होते. इस विषय में पार्टी की ओर से अब तक कोई खास प्रयास होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. यानी यह साफ है कि 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी भूमिका निभा पाएगी ऐसा नहीं लगता.

लखनऊ : कांग्रेस पार्टी की राजनीति भी अजब-गजब है. पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से हो या फिर कोई बाहरी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. ‌पार्टी नेताओं की निष्ठा चापलूसी की हद तक गांधी परिवार से जुड़ी दिखाई देती है. हाल ही में संपन्न हुए हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh assembly elections) के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को पराजित कर बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई है. पार्टी नेताओं में इस जीत का श्रेय प्रियंका गांधी को देने की होड़ सी मची हुई है. हालांकि 2022 में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें प्रियंका गांधी ही प्रभारी थीं. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने वह दुर्गति देखी जो पहले कभी नहीं हुई थी. पार्टी महज दो सीटों तक सिमट कर रह गई. बावजूद इसके किसी नेता ने हार का दोषी प्रियंका गांधी को नहीं ठहराया.


किसी भी चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के हार और जीत का न कोई एक कारण होता है और न ही इसके लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार हो सकता है. चुनाव में छोटी-छोटी ऐसी तमाम बातें होती हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर मतदाता अपना मन बनाता है. इसलिए किसी एक चुनाव में हार और जीत का श्रेय किसी एक नेता को देना बेमानी है. हालांकि चाटुकारिता के इस दौर में नेताओं में प्रतिस्पर्धा का माहौल है. एक से बढ़कर एक चाटुकार नेता वरिष्ठ को खुश करना चाहते हैं. यही कारण है कि वह जीत का श्रेय किसी व्यक्ति विशेष को देने लगते हैं. इसी वर्ष के शुरुआती महीनों में उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश के विधानसभा चुनावों की कमान संभाली और जीतोड़ मेहनत भी की. उन्होंने तमाम जिलों के दौरे किए. धरना प्रदर्शन और प्रशासन के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रहने का काम किसी ने किया तो वह थीं प्रियंका गांधी. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे बुरी हार हुई. उसे महज दो सीटों पर संतोष करना पड़ा. यह दोनों सीटें भी पार्टी के बजाय व्यक्तिगत छवि वाली थीं और प्रत्याशियों ने अपने बलबूते पर इन पर विजय हासिल की थी. कांग्रेस की इस अभूतपूर्व पराजय की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई भी नेता आगे नहीं आया. हां अपनी भी विधानसभा सीट न बचा सके तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने पद से त्यागपत्र जरूर दिया. हालांकि उनके त्यागपत्र के और भी कई कारण बताए गए. यदि प्रियंका गांधी इस चुनाव में हुई हार की जिम्मेदारी नहीं ले सकीं अथवा पार्टी ने हार के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं माना, तो हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जीत के लिए अकेले उन्हें श्रेय देना कहां तक उचित है.


विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इस्तीफा दिया तो पार्टी को दूसरा नेता ढूंढने में चार महीने से भी ज्यादा का समय लग गया. प्रदेश को नया नेतृत्व मिलने के बावजूद उत्तर प्रदेश की कमान प्रियंका गांधी के पास ही मानी जा रही है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के बाद रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में पूरे हाथ पैर मारने पर भी कांग्रेस को प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिला. इन जिलों में पार्टी के जो नेता थे वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. हाल ही में मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर व खतौली विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव संपन्न हो, लेकिन कांग्रेस पार्टी में प्रत्याशी का टोटा बरकरार रहा. रामपुर सीट पर दो कांग्रेस के नेताओं ने अपने चिर प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी को मोहम्मद आजम के खिलाफ समर्थन दे दिया. इस दुर्गति के लिए भी पार्टी में कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ी समस्या है निचले स्तर पर संगठन का खत्म होना और पार्टी की आंतरिक राजनीति. निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं में पैठ बढ़ाने के बजाय ज्यादातर नेता नेतृत्व की चाटुकारिता में अपना वक्त बिताते हैं, हालांकि ऐसे नेताओं का कोई वजूद नहीं होता, जिनके पीछे जनसमर्थन न हो. प्रियंका गांधी पार्टी का नेतृत्व कितनी भी मेहनत से कर लें, सफलता तब तक नहीं मिल सकती जब तक निचले स्तर पर कार्यकर्ता तैयार नहीं होते. इस विषय में पार्टी की ओर से अब तक कोई खास प्रयास होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. यानी यह साफ है कि 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी भूमिका निभा पाएगी ऐसा नहीं लगता.

यह भी पढ़ें : वाराणसी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- समाज को जोड़ने की कड़ी है काशी तमिल संगमम

Last Updated : Dec 12, 2022, 10:47 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.