लखनऊ: प्रदेश में निजी लैब में कोविड जांच कराने वाले 15 फीसदी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिल रही है. वहीं, जिला अस्पताल में यह दर .73 व मेडिकल कॉलेजों में 1.90 फीसदी है. ऐसे में निजी लैब में संक्रमण दर अधिक होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि यहां जांच के लिए जाने वाले सर्जरी या गंभीर लक्षण वाले होते हैं. ऐसे में वहां पॉजिटिव की दर अधिक है. अन्य जगह लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले दोनों के सैंपल की जांच की जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक 12 करोड़ चार लाख 41 हजार 492 सैंपल में 22 लाख 26 हजार 35 की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है. यह कुल सैंपल का 1.84 फीसदी है. इनमें प्राइवेट लैब की आरटीपीसीआर जांच में कुल सैंपल में 15 फीसदी संक्रमित हैं. वहीं, सेंट्रल लैब में संक्रमित आने की दर 3.21 फीसदी, मेडिकल कॉलेजों में 1.90 फीसदी और जिला अस्पताल में 0.73 फीसदी है.
चौकाता है जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों का अंतर
स्वास्थ्य विभाग के तर्क को सही मान भी लिया जाए तो भी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में पॉजिटिव दर चौंकाती है. दोनों जगह लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं. इसके बाद भी यहां मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पताल की लैब में पॉजिटिव आने की दर में 1.17 फीसदी का अंतर है, जबकि दोनों जगह जांच की तकनीक और दायरा बराबर है. ऐसे में यहां का अंतर सवाल खड़े करता हैं. हालांकि टूनेट जांच की स्थिति में कोई खास अंतर नहीं दिख रहा है. टूनेट से मेडिकल कॉलेजों में आठ और जिला अस्पताल अस्पताल में सात फीसदी सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. निजी लैब में टूनेट जांच में पॉजिटिव आने की दर 12 फीसदी है.
यह भी पढ़ें:कोविड के बाद अचानक से बढ़ रहे पेट के मरीज, दिये सुझाव
स्टेट सर्विलांस आफिसर डॉ. विकाशेंदु अग्रवाल ने कहा कि निजी अस्पतालों में उन्हीं लोगों की जांच होती है, जिनमें लक्षण स्पष्ट होंगे. जबकि सरकारी अस्पतालों की लैब में कांटैक्ट ट्रेसिंग वाले सैंपल भेजे जाते हैं, इसलिए यहां पॉजिटिव आने की दर कम होती है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप