लखनऊः एलयू के छात्रावासों को भी कोविड सेंटर के रूप में विकसित किए जाने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. ये पहल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी की गई है.
यूनिवर्सिटी के छात्रावास में कोविड सेंटर
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में करीब 17 छात्रावास हैं. अगर 12 को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर छात्रावास खाली पड़े हैं. औसतन 60 से 70 कमरे सभी छात्रावासों में उपलब्ध हैं. अगर इनकी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल किया जाए तो कम से कम एक हजार मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है. मौजूदा छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार मिलकर मौजूदा हालातों में इस दिशा में कदम उठाएं. छात्र महेंद्र यादव का कहना है कि यूनिवर्सिटी में सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. जगह होने की वजह से संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा. छात्र आलोक कुमार का कहना है कि मौजूदा आपदा के दौर में समाज के लिए खड़ा होना विश्वविद्यालय का दायित्व है.
बीएचयू में ये पहल की गई है
देश में वैश्विक महामारी कोरोना को बढ़ता देख वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कुछ दिन पहले मीटिंग की थी. मीटिंग के बाद बीएचयू के एमपी एटर मैदान में 1000 बेड का अस्थाई कोविड-19 हॉस्टल बनाने का निर्णय लिया गया. जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है. हॉस्पिटल में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को 200 कमरे का हॉस्टल भी दिया जाएगा.
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने की है पहल
प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए हॉस्टल को तत्काल खाली कराने के आदेश दिए. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक अस्पतालों में कोविड मरीजों की भर्ती के लिए जगह कम पड़ सकती है. उस हालात में हॉस्टल को कोविड वार्ड में बदला जाएगा. बताया जा रहा है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हॉस्टल के कमरों को खाली करने के बाद कोरोना वार्ड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के शिक्षक और कर्मचारियों के संक्रमित मिलने पर उन्हें भी हॉस्टलों में आइसोलेशन की सुविधा दी जा सकती है.