लखनऊ : एमपी एमएलए कोर्ट के जरिये उत्तर प्रदेश में माननीय को सजा मिलने का रिकॉर्ड बन गया है. आजादी के बाद इतनी सजा पहले कभी नहीं हुई, जो पिछले पांच साल में हुई हैं. एमपी एमएलए कोर्ट से हुई सजा के मामले में सबसे बड़ा नुकसान आजम खान के परिवार को हुआ है. कोर्ट से निर्णय की चपेट में न सिर्फ आजम खान बल्कि उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम भी आए. अब दोनों की विधानसभा से सदस्यता खत्म हो चुकी है. कई मामलों में 2 साल से कम सजा होने की वजह से विधायकों की सदस्यता तो नहीं गई मगर उनको राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इन फैसलों में सरकार की ओर से बैठाया गया कोर्ट कमिश्नर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.
यूपी में अब्दुल्लाह आजम सहित सात ऐसे विधायक हैं, जिन्हें योगी के छह साल के शासन में सजा मिलने की वजह से विधानसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है. इनमें अब्दुल्लाह आजम ऐसे विधायक हैं, जिन्हें दो बार अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी. पहले योगी के पहले शासनकाल में यानी 17वीं विधानसभा में भी उन्हें फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के कारण सदस्यता गंवानी पड़ी थी और अब 18वीं विधानसभा में भी सदस्यता चली गई है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में चार विधानसभा सदस्यों और दूसरे कार्यकाल में तीन सदस्यों की सदस्यता रद हुई है.
बीजेपी वालों की लिस्ट लंबी : सदस्यता गंवाने वाले बीजेपी विधायकों की फेहरिस्त भी लंबी है. नवंबर 2022 में खतौली (मुजफ्फरनगर) के विधायक विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता गई है. उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में दो साल की सजा हुई थी. इसके बाद उनकी पत्नी खतौली में हुए उप चुनाव में भी हार गईं. भाजपा विधायक अशोक चंदेल, कुलदीप सिंह सेंगर और इंद्रमणि तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की भी सदस्यता खत्म हो चुकी है. उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को रेप के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सदस्यता गंवानी पड़ी. उन्नाव रेप केस में सेंगर को सजा मिलने के बाद भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी. हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिलने पर खत्म हुई थी. अयोध्या के विधायक इंद्र तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता अक्टूबर 2021 में पांच साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी.