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यूपी में विधायकों को सजा मिलने का बना रिकॉर्ड, आजम परिवार की राजनीति तो खत्म हो गई

पहले लोगों को बीच ऐसी धारणा थी कि राजनेताओं को कभी सजा नहीं हो सकती. मगर उत्तर प्रदेश में यह धारणा पिछले पांच साल में बदल गई है. यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के 8 विधायकों को एमपी-एमएलए कोर्ट समेत अन्य अदालतों से सजा मिली. कुलदीप सेंगर, आजम खान जैसे 6 दिग्गज नेताओं को अपनी सदस्यता भी गंवानी पड़ी.

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Published : Feb 27, 2023, 7:48 PM IST

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लखनऊ : एमपी एमएलए कोर्ट के जरिये उत्तर प्रदेश में माननीय को सजा मिलने का रिकॉर्ड बन गया है. आजादी के बाद इतनी सजा पहले कभी नहीं हुई, जो पिछले पांच साल में हुई हैं. एमपी एमएलए कोर्ट से हुई सजा के मामले में सबसे बड़ा नुकसान आजम खान के परिवार को हुआ है. कोर्ट से निर्णय की चपेट में न सिर्फ आजम खान बल्कि उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम भी आए. अब दोनों की विधानसभा से सदस्यता खत्म हो चुकी है. कई मामलों में 2 साल से कम सजा होने की वजह से विधायकों की सदस्यता तो नहीं गई मगर उनको राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इन फैसलों में सरकार की ओर से बैठाया गया कोर्ट कमिश्नर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

यूपी के कई राजनेताओं को मिल चुकी है सजा.


यूपी में अब्दुल्लाह आजम सहित सात ऐसे विधायक हैं, जिन्हें योगी के छह साल के शासन में सजा मिलने की वजह से विधानसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है. इनमें अब्दुल्लाह आजम ऐसे विधायक हैं, जिन्हें दो बार अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी. पहले योगी के पहले शासनकाल में यानी 17वीं विधानसभा में भी उन्हें फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के कारण सदस्यता गंवानी पड़ी थी और अब 18वीं विधानसभा में भी सदस्यता चली गई है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में चार विधानसभा सदस्यों और दूसरे कार्यकाल में तीन सदस्यों की सदस्यता रद हुई है.

court verdict against MLA
आजम खान ने लोकसभा से इस्तीफा देकर 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था.
अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता पहली बार 2019 में नामांकन पत्र में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाने के आरोप में हाई कोर्ट के आदेश पर रद की गई थी. दिसंबर, 2019 में लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत उनका चुनाव शून्य घोषित किया गया था. हालांकि अब्दुल्लाह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध नहीं लगा था इसलिए वह 2022 में फिर स्वार सीट से ही विधानसभा सदस्य चुने गए थे. मगर 2008 में किए गए एक राजनीतिक आंदोलन में सड़क जाम के मामले में अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा मिली. इस कारण उन्हें दूसरी बार सदस्यता गंवानी पड़ी. उनके पिता आजम खां की सदस्यता 2022 में हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी.
MLA of Uttar Pradesh
अब्दुल्ला आजम की सदस्यता खत्म होने के बाद 20 साल में पहली बार हुआ कि विधानसभा में आजम परिवार का कोई सदस्य नहीं है.

बीजेपी वालों की लिस्ट लंबी : सदस्यता गंवाने वाले बीजेपी विधायकों की फेहरिस्त भी लंबी है. नवंबर 2022 में खतौली (मुजफ्फरनगर) के विधायक विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता गई है. उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में दो साल की सजा हुई थी. इसके बाद उनकी पत्नी खतौली में हुए उप चुनाव में भी हार गईं. भाजपा विधायक अशोक चंदेल, कुलदीप सिंह सेंगर और इंद्रमणि तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की भी सदस्यता खत्म हो चुकी है. उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को रेप के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सदस्यता गंवानी पड़ी. उन्नाव रेप केस में सेंगर को सजा मिलने के बाद भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी. हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिलने पर खत्म हुई थी. अयोध्या के विधायक इंद्र तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता अक्टूबर 2021 में पांच साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी.

court verdict against MLA
विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता जाने के बाद खतौली में उपचुनाव हुए, मगर उनकी पत्नी चुनाव हार गईं.
court verdict against MLA
कुलदीप सेंगर को रेप मामले में हाई कोर्ट ने सजा सुनाई थी.
कुछ और को मिली सजा मगर बच गई विधायकी : भाजपा विधायक राकेश सचान को एक साल की सजा हुई थी. प्रयागराज की प्रतापपुर सपा विधायक विजमा यादव को पिछले सप्ताह डेढ़ साल की सजा हुई थी. वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक और लेखक अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि निश्चित तौर पर राजनीति में अपराधीकरण को रोकने को लेकर यह अच्छा बदलाव हुआ है. इसमें सरकार की भी अच्छी भूमिका है. इस तरह से अगर सदस्यता जाएगी तो निश्चित तौर पर राजनीति में बेहतर चले आएंगे और यह होना भी चाहिए.
court verdict against MLA
भाजपा के विधायक अशोक चंदेल की सदस्यता खत्म हुई.

पढ़ें : Big Boss Fame अर्चना गौतम के पिता का प्रियंका गांधी के पीए पर फूटा गुस्सा, बोले- मेरी बेटी को जान का खतरा

लखनऊ : एमपी एमएलए कोर्ट के जरिये उत्तर प्रदेश में माननीय को सजा मिलने का रिकॉर्ड बन गया है. आजादी के बाद इतनी सजा पहले कभी नहीं हुई, जो पिछले पांच साल में हुई हैं. एमपी एमएलए कोर्ट से हुई सजा के मामले में सबसे बड़ा नुकसान आजम खान के परिवार को हुआ है. कोर्ट से निर्णय की चपेट में न सिर्फ आजम खान बल्कि उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम भी आए. अब दोनों की विधानसभा से सदस्यता खत्म हो चुकी है. कई मामलों में 2 साल से कम सजा होने की वजह से विधायकों की सदस्यता तो नहीं गई मगर उनको राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इन फैसलों में सरकार की ओर से बैठाया गया कोर्ट कमिश्नर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

यूपी के कई राजनेताओं को मिल चुकी है सजा.


यूपी में अब्दुल्लाह आजम सहित सात ऐसे विधायक हैं, जिन्हें योगी के छह साल के शासन में सजा मिलने की वजह से विधानसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है. इनमें अब्दुल्लाह आजम ऐसे विधायक हैं, जिन्हें दो बार अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी. पहले योगी के पहले शासनकाल में यानी 17वीं विधानसभा में भी उन्हें फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के कारण सदस्यता गंवानी पड़ी थी और अब 18वीं विधानसभा में भी सदस्यता चली गई है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में चार विधानसभा सदस्यों और दूसरे कार्यकाल में तीन सदस्यों की सदस्यता रद हुई है.

court verdict against MLA
आजम खान ने लोकसभा से इस्तीफा देकर 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था.
अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता पहली बार 2019 में नामांकन पत्र में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाने के आरोप में हाई कोर्ट के आदेश पर रद की गई थी. दिसंबर, 2019 में लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत उनका चुनाव शून्य घोषित किया गया था. हालांकि अब्दुल्लाह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध नहीं लगा था इसलिए वह 2022 में फिर स्वार सीट से ही विधानसभा सदस्य चुने गए थे. मगर 2008 में किए गए एक राजनीतिक आंदोलन में सड़क जाम के मामले में अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा मिली. इस कारण उन्हें दूसरी बार सदस्यता गंवानी पड़ी. उनके पिता आजम खां की सदस्यता 2022 में हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी.
MLA of Uttar Pradesh
अब्दुल्ला आजम की सदस्यता खत्म होने के बाद 20 साल में पहली बार हुआ कि विधानसभा में आजम परिवार का कोई सदस्य नहीं है.

बीजेपी वालों की लिस्ट लंबी : सदस्यता गंवाने वाले बीजेपी विधायकों की फेहरिस्त भी लंबी है. नवंबर 2022 में खतौली (मुजफ्फरनगर) के विधायक विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता गई है. उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में दो साल की सजा हुई थी. इसके बाद उनकी पत्नी खतौली में हुए उप चुनाव में भी हार गईं. भाजपा विधायक अशोक चंदेल, कुलदीप सिंह सेंगर और इंद्रमणि तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की भी सदस्यता खत्म हो चुकी है. उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को रेप के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सदस्यता गंवानी पड़ी. उन्नाव रेप केस में सेंगर को सजा मिलने के बाद भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी. हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिलने पर खत्म हुई थी. अयोध्या के विधायक इंद्र तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता अक्टूबर 2021 में पांच साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी.

court verdict against MLA
विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता जाने के बाद खतौली में उपचुनाव हुए, मगर उनकी पत्नी चुनाव हार गईं.
court verdict against MLA
कुलदीप सेंगर को रेप मामले में हाई कोर्ट ने सजा सुनाई थी.
कुछ और को मिली सजा मगर बच गई विधायकी : भाजपा विधायक राकेश सचान को एक साल की सजा हुई थी. प्रयागराज की प्रतापपुर सपा विधायक विजमा यादव को पिछले सप्ताह डेढ़ साल की सजा हुई थी. वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक और लेखक अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि निश्चित तौर पर राजनीति में अपराधीकरण को रोकने को लेकर यह अच्छा बदलाव हुआ है. इसमें सरकार की भी अच्छी भूमिका है. इस तरह से अगर सदस्यता जाएगी तो निश्चित तौर पर राजनीति में बेहतर चले आएंगे और यह होना भी चाहिए.
court verdict against MLA
भाजपा के विधायक अशोक चंदेल की सदस्यता खत्म हुई.

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