लखनऊ: आतंकी गतिविधियों के एक मामले में निरुद्ध हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी दानिश नसीर के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर एनआईए/एटीएस के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने संज्ञान ले लिया है. अदालत ने आदेश दिया है कि अभियुक्त दानिश को आरोप पत्र की प्रतियां 5 दिसम्बर को उपलब्ध करा दी जाएं. सुनवाई के दौरान अभियुक्त जेल से जरिए वीडियो कान्फ्रेसिंग विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित रहा.
शुक्रवार को विशेष अदालत के समक्ष इस मामले के विवेचक व एनआईए के इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार यादव ने अभियुक्त के विरुद्ध पूरक आरोप पत्र दाखिल किया. जिसमें अभियुक्त को आईपीसी की धारा 120बी के साथ ही विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 17, 18 व 38 का आरोपी बनाया गया है. एनआईए के विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह के मुताबिक बीते एक जून को एनआईए ने अभियुक्त को जम्मू-कश्मीर की किश्तवाड़ जेल से जरिए प्रोडक्शन वारंट विशेष अदालत के समक्ष पेश किया था. यह एक दूसरे मामले में किश्तवाड़ जेल में निरुद्ध था. विशेष अदालत ने अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में लखनऊ जेल भेज दिया था.
12 सितंबर, 2018 को इस मामले की एफआईआर एटीएस के उप निरीक्षक हरेंद्र यादव ने थाना एटीएस में दर्ज कराई थी. एटीएस ने इस मामले में कानपुर से हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक सदस्य कमरुजमां को गिरफ्तार किया था. यह कानपुर में दो प्रमुख मंदिरों में विस्फोट करना चाहता था. 24 सितंबर, 2018 को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई. विवेचना में पता चला कि कमरुजमां असम का मूल निवासी है लेकिन कश्मीर के किश्तवाड़ में रहने लगा था.
आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की उसकी योजना में निसार अहमद शेख व निशाद अहमद बट्ट नाम के दो आतंकी उसकी मदद कर रहे थे. दोनों उसे जरुरी सामान वगैरह मुहैया करा रहे थे, एनआईए ने कमरुजमां की निशानदेही पर कश्मीर के किश्तवाड़ से दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जबकि इस मामले का एक अभियुक्त ओसमा बिन जावेद एनकाउंटर में मारा गया और दो अभियुक्त मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर व हजारी उर्फ रियाज अहमद फरार हैं, उनके खिलाफ ईनाम भी घोषित है. वहीं विवेचना के दौरान अभियुक्त दानिश नसीर का नाम भी सामने आया. एनआईए की विवेचना अभी प्रचलित है.
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