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दुराचार करने के आरोपी को 10 साल की सजा, मां-बाप भी दोषी पाए गए - फास्ट ट्रैक कोर्ट

राजधानी लखनऊ की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुराचार के एक मामले में अभियुक्त को दोषी करार देते हुए 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

District and session court Lucknow
जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखनऊ.
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Published : Mar 26, 2021, 11:49 PM IST

लखनऊ : फास्ट ट्रैक कोर्ट की विशेष जज अन्जू कनौजिया ने दुराचार के एक मामले में अभियुक्त संतोष को दोषसिद्ध किया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दोषी करार दिए गए अभियुक्त को कोर्ट ने 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त के पिता पच्चू लाल और मां फूल कुमारी को भी अभियुक्त का साथ देने के आरोप में दोषसिद्ध किया है. कोर्ट ने दोनों को छह-छह माह के साधारण कारावास की सजा से दंडित किया है. इन दोनों पर पीड़िता को गलत तरीके से कैद में रखने का आरोप है.

यह भी पढ़ेंः सीएम योगी का निर्देश, हर दिन 1.50 लाख लोगों की हो कोरोना जांच

बस स्टैंड पर हुई थी मुलाकात

सरकारी वकील अरुण पांडेय के मुताबिक, पीड़िता काम के सिलसिले में लखीमपुर खीरी जनपद के एक गांव से लखनऊ आई थी. 23 मई, 2016 को उसने इस मामले की एफआईआर थाना निगोहा में दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया था कि अभियुक्त से उसकी बस स्टैंड पर ही मुलाकात हुई.

माता-पिता करते थे निगरानी

मुलाकात के बाद अभियुक्त उसे काम दिलाने का झांसा देकर अपने घर ले गया. यहां उसने पीड़िता को बंधक बना लिया और कई दिनों तक दुराचार करता रहा. अभियुक्त के न रहने पर उसके माता-पिता पीड़िता की निगरानी करते थे. किसी तरह से वहां से निकल कर उसने पुलिस की शरण ली.

लखनऊ : फास्ट ट्रैक कोर्ट की विशेष जज अन्जू कनौजिया ने दुराचार के एक मामले में अभियुक्त संतोष को दोषसिद्ध किया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दोषी करार दिए गए अभियुक्त को कोर्ट ने 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त के पिता पच्चू लाल और मां फूल कुमारी को भी अभियुक्त का साथ देने के आरोप में दोषसिद्ध किया है. कोर्ट ने दोनों को छह-छह माह के साधारण कारावास की सजा से दंडित किया है. इन दोनों पर पीड़िता को गलत तरीके से कैद में रखने का आरोप है.

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बस स्टैंड पर हुई थी मुलाकात

सरकारी वकील अरुण पांडेय के मुताबिक, पीड़िता काम के सिलसिले में लखीमपुर खीरी जनपद के एक गांव से लखनऊ आई थी. 23 मई, 2016 को उसने इस मामले की एफआईआर थाना निगोहा में दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया था कि अभियुक्त से उसकी बस स्टैंड पर ही मुलाकात हुई.

माता-पिता करते थे निगरानी

मुलाकात के बाद अभियुक्त उसे काम दिलाने का झांसा देकर अपने घर ले गया. यहां उसने पीड़िता को बंधक बना लिया और कई दिनों तक दुराचार करता रहा. अभियुक्त के न रहने पर उसके माता-पिता पीड़िता की निगरानी करते थे. किसी तरह से वहां से निकल कर उसने पुलिस की शरण ली.

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