लखनऊ: दुराचार के एक 15 साल पुराने मामले में कोर्ट ने फैसला देते हुए आरोपी छोटेलाल गुप्ता उर्फ शिवप्रसाद को दोषसिद्ध करार दिया है. कोर्ट ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के उपरांत अभियुक्त को 14 साल के कारावास और 70 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
यह आदेश फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. अविनाश कुमार ने पारित किया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जुर्माने की पूरी रकम पीड़िता को बतौर प्रतिकर दिया जाए. सरकारी वकील के मुताबिक पीड़िता के पिता ने ठाकुरगंज थाने में 12 मई 2006 को एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया था कि घर के बगल में दिनेश गुप्ता, बाबू व अशोक गुप्ता तथा उसका साला छोटेलाल उर्फ शिवप्रसाद किराए पर रहते हैं. चारों पर आरोप लगाया गया कि वे वादी की पुत्री को बहला-फुसला कर ले गए और उसके साथ गलत काम किया. हालांकि पुलिस ने विवेचना के दौरान दिनेश गुप्ता, बाबू और अशोक गुप्ता की मामले में संलिप्तता न पाते हुए, उन्हें क्लीन चिट दे दी. आरोप पत्र सिर्फ छोटेलाल गुप्ता के खिलाफ दाखिल किया गया.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक विवेचना के दौरान अभियुक्त को गिरफ्तार कर, पीड़िता को उसके पास से बरामद किया गया. हालांकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्त को मामले में झूठा फंसाया गया है. कहा गया कि वादी की शिकायत पुलिस ने ही झूठ पाई है, उसी के बाद बाकी के तीन अभियुक्तों को क्लीन चिट दी गई. हालांकि कोर्ट ने अभियुक्त की ओर से दी गई दलीलों को खारिज कर दिया.