लखनऊः चित्रकूट की जेल में नियमों की अनदेखी कर मुख्तार अंसारी के बेटे विधायक अब्बास अंसारी से उनकी पत्नी निखत बानो की मिलाई कराने के मामले में मददगार जेल वार्डेन जगमोहन की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश लोकेश वरुण ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त की मामले में संलिप्तता व आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए यह आदेश किया है.
बहस के दौरान जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष अधिवक्ता एमके सिंह का तर्क था कि अब्बास अंसारी से उसकी पत्नी निखत बानो की मुलाकात कराने में आरोपी जेल वार्डन जगमोहन की अहम भूमिका रही है. जगनमोहन मुलाकात कराने के लिए अब्बास अंसारी से लाभ भी कमाता था. अदालत को बताया गया कि अभियुक्त की ड्यूटी जेल द्वार पर थी लेकिन उसके द्वारा जेल में जांच के दौरान आनन-फानन में मुख्य अभियुक्त अब्बास अंसारी को कमरे से निकालकर पुनः बैरक की ओर ले जाया गया.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सबसे पहले अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो एवं ड्राइवर नियाज अंसारी को पुलिस एवं प्रशासन ने छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया था. इसके बाद निखत बानो को चित्रकूट जेल के पास मकान की व्यवस्था करवाने एवं बिना पर्ची के मुलाकात करवाने के आरोप में फराज खान को गिरफ्तार किया गया. इसी के साथ-साथ पुलिस ने आरोपी जेल वार्डन जगमोहन, जेलर संतोष कुमार, जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर व डिप्टी जेलर चंद्रकला की गिरफ्तारी की गई.
इस मामले में अब्बास अंसारी उनकी पत्नी निखत बानो, ड्राइवर नियाज अंसारी, फराज खान एवं नवनीत सचान के विरुद्ध विभिन्न धाराओं एवं आरोपों में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. जबकि जेल वार्डन जगमोहन, जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर, जेलर संतोष कुमार एवं डिप्टी जेलर चंद्रकला के विरुद्ध विवेचना चल रही है. अभियोजन के अनुसार इस मामले की रिपोर्ट गत 11 फरवरी को थाना कोतवाली कर्वी में उप निरीक्षक श्याम देव सिंह ने दर्ज कराई थी.
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