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Court News : फर्जी मार्कशीट के सहारे बन बैठा सरकारी विद्यालय का प्रधानाध्यापक, कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी की खारिज

माधवगंज हरदोई स्थित जनता जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मौर्या (Court News) पर पंद्रह लाख की रिश्वत देकर व फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी प्राप्त करने का आरोप था.

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Published : Feb 3, 2023, 10:22 PM IST

लखनऊ : दो बार हाईस्कूल फेल होने के बाद फर्जी मार्कशीट के आधार पर बीएड तक की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति लेने के आरोपी माधवगंज हरदोई स्थित जनता जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मौर्या की अग्रिम जमानत अर्ज़ी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने ख़ारिज कर दिया है.


कोर्ट में सरकारी वकील महेश कुमार त्रिपाठी ने दलील दी कि इस मामले की रिपोर्ट सतर्कता अधिष्ठान थाने में दर्ज कराई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मौर्या के ख़िलाफ़ प्रधानाध्यापक के पद के लिए पंद्रह लाख की रिश्वत देकर व फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी प्राप्त करने का आरोप था. इस मामले की जांच की गई तो पता चला कि आरोपी ने 20 जुलाई 1982 की जन्म तिथि के साथ वर्ष 1996 व 1997 में हाई स्कूल की परीक्षा दी थी, जिसमें आरोपी फेल हो गया था. उसके बाद आरोपी ने आजमगढ़ से कक्षा नौ उत्तीर्ण की फर्जी टीसी बनवाई और अपनी जन्म तिथि दो वर्ष कम करके 20 जुलाई 1984 दर्ज करवा कर सत्र 1999 में हाई स्कूल की परीक्षा पास की. यह भी आरोप लगाया गया है कि हालांकि आरोपी ने आजमगढ़ की कक्षा नौ की मार्कशीट के बाद वास्तविकता में परीक्षा पास तो की, लेकिन उन परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये कक्षा नौ की फर्जी टीसी बनवाई थी और इसमें उम्र भी कम लिखवाई थी. बताया गया है कि आरोपी अशोक कुमार ने अनुचित लाभ लेने की मंशा से कूटरचित टीसी बनवाकर अपनी उम्र को दो वर्ष कम दिखाया और उसके बाद पास की गई परीक्षाओं के आधार पर प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त हुए और सरकार से वेतन प्राप्त करके सरकारी धन का दुरुपयोग किया.

लखनऊ : दो बार हाईस्कूल फेल होने के बाद फर्जी मार्कशीट के आधार पर बीएड तक की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति लेने के आरोपी माधवगंज हरदोई स्थित जनता जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मौर्या की अग्रिम जमानत अर्ज़ी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने ख़ारिज कर दिया है.


कोर्ट में सरकारी वकील महेश कुमार त्रिपाठी ने दलील दी कि इस मामले की रिपोर्ट सतर्कता अधिष्ठान थाने में दर्ज कराई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानाध्यापक अशोक कुमार मौर्या के ख़िलाफ़ प्रधानाध्यापक के पद के लिए पंद्रह लाख की रिश्वत देकर व फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी प्राप्त करने का आरोप था. इस मामले की जांच की गई तो पता चला कि आरोपी ने 20 जुलाई 1982 की जन्म तिथि के साथ वर्ष 1996 व 1997 में हाई स्कूल की परीक्षा दी थी, जिसमें आरोपी फेल हो गया था. उसके बाद आरोपी ने आजमगढ़ से कक्षा नौ उत्तीर्ण की फर्जी टीसी बनवाई और अपनी जन्म तिथि दो वर्ष कम करके 20 जुलाई 1984 दर्ज करवा कर सत्र 1999 में हाई स्कूल की परीक्षा पास की. यह भी आरोप लगाया गया है कि हालांकि आरोपी ने आजमगढ़ की कक्षा नौ की मार्कशीट के बाद वास्तविकता में परीक्षा पास तो की, लेकिन उन परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये कक्षा नौ की फर्जी टीसी बनवाई थी और इसमें उम्र भी कम लिखवाई थी. बताया गया है कि आरोपी अशोक कुमार ने अनुचित लाभ लेने की मंशा से कूटरचित टीसी बनवाकर अपनी उम्र को दो वर्ष कम दिखाया और उसके बाद पास की गई परीक्षाओं के आधार पर प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त हुए और सरकार से वेतन प्राप्त करके सरकारी धन का दुरुपयोग किया.

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