लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए, कहा अहै कि पोस्टमॉर्टम और इंजरी रिपोर्ट को डॉक्टर के हस्तलेख में तैयार करने के साथ-साथ टाइप प्रयरोप में भी तैयार किया जाए. न्यायालय ने यह आदेश डॉक्टरों के हस्तलेख में तैयार किए जाने वाले दस्तावेजों को पढ़ने में कठिनाई को देखते हुए दिया है. न्यायालय ने कहा कि टाइप प्रारूप में तैयार किए जाने से ऐसे दस्तावेजों को कोर्ट में पढ़ने में आसानी होगी. न्यायालय आदेश की प्रति प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य को भेजने का आदेश देते हुए, दो महीने में आदेश का अनुपालन कराए जाने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई दो माह पश्चात होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने हरदोई जनपद के विश्वनाथ की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया. गैर इरादतन हत्या के इस मामले में केस डायरी के साथ आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को अपर शासकीय अधिवक्ता भी नहीं पढ़ सके. इस पर न्यायालय ने कहा कि इस कोर्ट का विचार है कि भविष्य में पोस्टमॉर्टम और इंजरी रिपोर्ट टाइप प्रारूप में भी तैयार की जाए ताकि इसे आसानी से पढ़ा जा सके. न्यायालय ने आगे कहा कि लिहाजा प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य को आदेश दिया जाता है कि वह सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पोस्टमॉर्टम और इंजरी रिपोर्ट टाइप प्रारूप में तैयार कराने का निर्देश दें.
उल्लेखनीय है कि पूर्व में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ भी ऐसा ही आदेश राज्य सरकार को दे चुकी है. तब भी खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (शव विच्छेदन आख्या) और इंजरी रिपोर्ट (आहत आख्या) डॉक्टर अपने लिए नहीं बल्कि मामले की विवेचना और ट्रायल के लिए तैयार करता है. लिहाजा ये रिपोर्ट्स पठनीय होनी चाहिए. कोर्ट ने दो महीने में आदेश के अनुपालन का आदेश दिया है.
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