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मतदान अधिकारी से मारपीट के मामले में दोषसिद्धि के निर्णय को लंबित करने वाली राज बब्बर की याचिका खारिज

मतदान अधिकारी से मारपीट के मामले में दोषसिद्धि के निर्णय को लंबित करने वाली राज बब्बर की याचिका लखनऊ सत्र अदालत ने खारिज कर दी. इस मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.

राज बब्बर
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Published : Sep 19, 2022, 10:37 PM IST

लखनऊ: जिला व सत्र अदालत ने मतदान अधिकारी से मारपीट करने के मामले में अभियुक्त राजबब्बर के दोषसिद्धि के निर्णय को निलंबित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने निर्णय के खिलाफ दाखिल राजबब्बर की अपील पर अंतिम सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तिथि नियत की है. सोमवार को सत्र अदालत ने अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया. विगत 7 जुलाई को एमपी/एमएलए की विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में राजबब्बर को आईपीसी की धारा 143, 332, 353 व 323 में दोषी करार दिया था. कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा के साथ 6500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया था. हालांकि कानूनी प्रावधानों के मुताबिक राजबब्बर को उसी दिन अंतरिम जमानत मिल गई थी.

इसे पढ़ें- राज बब्बर को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई 2 साल कैद की सजा, ये था मामला

इसके बाद 14 जुलाई को राजबब्बर की ओर से MP/MLA की विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दाखिल की गई थी. राजबब्बर की अपील के निस्तारण तक उनकी नियमित जमानत मंजूर करने की मांग भी की गई थी. सत्र अदालत ने अपील के निस्तारण तक राजबब्बर की जमानत मंजूर करते हुए उन्हें 15 दिन में जुर्माने की धनराशि जमा करने का आदेश दिया था. हालांकि उस समय राजबब्बर की ओर से ट्रायल कोर्ट के 7 जुलाई के निर्णय को निलंबित करने की मांग नहीं की गई थी. इसी वजह से उनकी ओर से दूसरा प्रार्थना पत्र निर्णय के निलंबन की मांग के लिए दाखिल किया गया था. उल्लेखनीय है कि 2 मई 1996 को इस मामले की एफआईआर मतदान अधिकारी कृष्ण सिंह राना ने थाना वजीरगंज में दर्ज कराई थी.

इसे पढ़ें- अयोध्या में बनेगी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से भी ऊंची भगवान राम की प्रतिमा

लखनऊ: जिला व सत्र अदालत ने मतदान अधिकारी से मारपीट करने के मामले में अभियुक्त राजबब्बर के दोषसिद्धि के निर्णय को निलंबित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने निर्णय के खिलाफ दाखिल राजबब्बर की अपील पर अंतिम सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तिथि नियत की है. सोमवार को सत्र अदालत ने अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया. विगत 7 जुलाई को एमपी/एमएलए की विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में राजबब्बर को आईपीसी की धारा 143, 332, 353 व 323 में दोषी करार दिया था. कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा के साथ 6500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया था. हालांकि कानूनी प्रावधानों के मुताबिक राजबब्बर को उसी दिन अंतरिम जमानत मिल गई थी.

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इसके बाद 14 जुलाई को राजबब्बर की ओर से MP/MLA की विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दाखिल की गई थी. राजबब्बर की अपील के निस्तारण तक उनकी नियमित जमानत मंजूर करने की मांग भी की गई थी. सत्र अदालत ने अपील के निस्तारण तक राजबब्बर की जमानत मंजूर करते हुए उन्हें 15 दिन में जुर्माने की धनराशि जमा करने का आदेश दिया था. हालांकि उस समय राजबब्बर की ओर से ट्रायल कोर्ट के 7 जुलाई के निर्णय को निलंबित करने की मांग नहीं की गई थी. इसी वजह से उनकी ओर से दूसरा प्रार्थना पत्र निर्णय के निलंबन की मांग के लिए दाखिल किया गया था. उल्लेखनीय है कि 2 मई 1996 को इस मामले की एफआईआर मतदान अधिकारी कृष्ण सिंह राना ने थाना वजीरगंज में दर्ज कराई थी.

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