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Laxman Tila Temple: गोमती नदी के किनारे मंदिर-मस्जिद विवाद में निगरानी याचिका पर बहस पूरी

लखनऊ गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड ( Laxman Tila temple mosque) शेष नागेश टीलेश्वर महादेव प्रकरण मामले में गुरुवार को कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है.

Laxman Tila Temple
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Published : Feb 8, 2023, 10:35 PM IST

लखनऊ: गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव प्रकरण की सिविल निगरानी याचिका पर गुरूवार को कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. अपर जिला जज की अदालत के फैसले के बाद यह तय होगा कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सिविल वाद में आगे सुनवाई होगी अथवा नहीं की जाएगी.


सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सिविल जज साउथ द्वारा 25 सितंबर 2017 को पारित एक आदेश को सिविल निगरानी याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. सिविल जज साउथ की अदालत में लॉर्ड नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल नियमित वाद में अदालत से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लार्ड शेषनाग का मंदिर है. जिसको नुकसान पहुंचाया गया है. जिसमें कहा गया है कि इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया जाए एवं पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए. सिविल वाद के विरुद्ध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत आपत्ति दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि हिंदू पक्ष का वाद काल बाधित है. हालांकि सिविल जज साउथ की अदालत ने सिविल वाद को विचारार्थ स्वीकार कर लिया था. इसके विरुद्ध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जिला जज की अदालत में सिविल निगरानी याचिका दायर की गई थी. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रीतेश रस्तोगी द्वारा सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलीलों का का विरोध किया गया है.


अदालत ने गत 25 जनवरी को हिंदू महासभा की ओर से अधिवक्ता शेखर निगम तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता मुनव्वर सुल्तान एवं सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रितेश रस्तोगी को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था.


यह भी पढे़ं- Meerut Road Accident: थार से दो लोगों को कुचलने के आरोपी भाजपा नेता पर इनाम घोषित, पत्नी और मां धरने पर बैठी

लखनऊ: गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव प्रकरण की सिविल निगरानी याचिका पर गुरूवार को कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. अपर जिला जज की अदालत के फैसले के बाद यह तय होगा कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सिविल वाद में आगे सुनवाई होगी अथवा नहीं की जाएगी.


सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सिविल जज साउथ द्वारा 25 सितंबर 2017 को पारित एक आदेश को सिविल निगरानी याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. सिविल जज साउथ की अदालत में लॉर्ड नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल नियमित वाद में अदालत से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लार्ड शेषनाग का मंदिर है. जिसको नुकसान पहुंचाया गया है. जिसमें कहा गया है कि इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया जाए एवं पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए. सिविल वाद के विरुद्ध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत आपत्ति दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि हिंदू पक्ष का वाद काल बाधित है. हालांकि सिविल जज साउथ की अदालत ने सिविल वाद को विचारार्थ स्वीकार कर लिया था. इसके विरुद्ध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जिला जज की अदालत में सिविल निगरानी याचिका दायर की गई थी. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रीतेश रस्तोगी द्वारा सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलीलों का का विरोध किया गया है.


अदालत ने गत 25 जनवरी को हिंदू महासभा की ओर से अधिवक्ता शेखर निगम तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता मुनव्वर सुल्तान एवं सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रितेश रस्तोगी को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था.


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