लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में सोमवार को काउंसलिंग एवं गाइडेंस सेल का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन हुआ. इसमें कुलपति आलोक कुमार राय, मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्य सचिव भारत सरकार आलोक रंजन और मुख्य वक्ता प्रोफेसर अर्चना शुक्ला आदि महत्वपूर्ण लोग जुड़े. इस दौरान सेल की निदेशक प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने काउंसलिंग एवं गाइडेंस सेल की संरचना एवं उसके उद्देश्यों के विषय में बताया.
हर मदद का आश्वासन दिया
कुलपति आलोक कुमार राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती है. इसलिए लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने काउंसलिंग एवं गाइडेंस सेल की शुरुआत की है. मनोविज्ञान विभाग की इस पहल की प्रशंसा करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया.
सफलता एवं असफलता दोनों करनी चाहिए स्वीकार
मुख्य अतिथि आलोक रंजन ने कहा कि विद्यार्थियों के समक्ष सर्वाधिक तनाव का कारण सफल होने का दबाव होता है, जिसका सामना न कर पाने के कारण वे हताश, निराश, कुंठित और विभिन्न व्यसनों के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बुद्धि केवल संज्ञानात्मक क्षमता तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि उसके अनेकों आयाम होते हैं. काउंसलिंग एवं गाइडेंस सेल का उद्देश्य विद्यार्थियों की आंतरिक क्षमताओं की पहचान कर उन्हें विकसित करने का प्रयास करना चाहिए. वर्तमान समय में संवेगात्मक एवं आध्यात्मिक बुद्धि की महत्ता संज्ञानात्मक बुद्धि एवं क्षमता से कहीं अधिक बढ़ चुकी है. माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों में सफलता एवं असफलता दोनों को ही स्वीकार कर आगे बढ़ने की क्षमता विकसित करनी चाहिए.
शिक्षा का उद्देश्य सकारात्मक सृजन
मुख्य वक्ता प्रोफेसर अर्चना शुक्ला ने कहा कि माता-पिता को बच्चों की क्षमताओं के विकास एवं उनके सपनों को पूरा करने में मददगार होना चाहिए न कि अपनी अपेक्षाओं को उन पर थोपना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य और कुशल क्षमता पर भी कार्य किया जाना आवश्यक है. ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि नई शिक्षा नीति के सुझावों को शैक्षणिक संस्थानों में लागू करने का माध्यम शिक्षक ही है. उनके अनुसार शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को सृजनात्मक एवं सकारात्मक बनाना है न कि एक रोबोट बनाना.
दस्तावेज अपलोड करने का बढ़ा समय
लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीजी प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम को लेकर सूचना जारी किया है. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि पीजी कार्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों द्वारा दस्तावेजों को अपलोड करने की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया गया है. 31 अक्टूबर 2020 तक जिन उम्मीदवारों का अंतिम वर्ष का परिणाम घोषित नहीं किया गया है, उन्हें पिछले सेमेस्टर वर्ष के अंकपत्र को यूएनएलओसी पर अपलोड करना होगा.