जौनपुर: 5 सितंबर यानी टीचर्स डे से उत्तर प्रदेश सरकार, बेसिक शिक्षा परिषद और माध्यमिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए प्रेरणा ऐप का शुभारंभ करने जा रही है. टीचर इस ऐप के माध्यम से सेल्फी लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी.
प्रेरणा ऐप की शुरुआत के पहले ही प्रदेश भर के शिक्षकों ने इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. शिक्षकों का कहना है कि ये टीचरों की निजता का उल्लंघन है. यह एक सरकारी ऐप है जिसे हम अपने मोबाइल में डाउनलोड करेंगे तो हमारे मोबाइल का डाटा सरकार के पास पहुंच जाएगा.
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जालौन में शिक्षकों ने किया प्रदर्शन
जनपद के जिला कलेक्टर परिषद 22 सूत्री मांगों को लेकर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित सिंह के नेतृत्व में सैंकड़ों शिक्षक इस ऐप का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार को हमारी अटेंडेंस लेनी है तो वह औचक निरीक्षण कर हमारी चेकिंग करा सकती है. कार्यालयों में बायोमैट्रिक लगाकर अटेंडेंट्स ले सकती है. उनकी मांग है कि राज्य कर्मचारियों की तरह बेसिक परिषदीय शिक्षकों को भी चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए.
किसी शिक्षक की असमय मृत्यु हो जाने पर उसके परिजनों को योग्यतानुसार शिक्षक या लिपिक के पद पर नियुक्त किया जाए. कुछ जनपदों में छात्र नामांकन 15% वृद्धि न कर पाने के कारण विभागीय कार्रवाई वापस की जाए. साथ ही शिक्षकों की बीमा राशि 5 लाख की जाए.
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संतकबीर नगर में ऐप के विरोध में शिक्षकों ने दिया इस्तीफा
संतकबीर नगर जनपद में परिषदीय स्कूलों के शिक्षक प्ररेणा ऐप के विरोध में लामबंद हो गए हैं. संघ की जिला अध्यक्ष अंबिका देवी की अगुआई में शिक्षकों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए प्रेरणा ऐप के विरोध में कार्य बहिष्कार किया. इसके साथ ही शिक्षकों ने सरकार की नीतियों से खफा होकर सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दिया.
जिलाध्यक्ष अंबिका देवी ने बताया की प्रेरणा ऐप को सरकार द्वारा हम पर थोपा जा रहा है. इस ऐप को लागू करने से पहले सरकार द्वारा हमें समुचित व्यवस्था मुहैया करानी चाहिए. सरकार इस प्रकार से शिक्षकों का मानसिक शोषण कर रही है.
झांसी में प्रेरणा ऐप को लेकर शिक्षकों ने किया हंगामा
झांसी जिले की मोठ तहसील के बीआरसी केंद्र के बाहर शिक्षकों ने प्रेरणा ऐप के खिलाफ जमकर हंगामा किया. उन्होंने पांच सितंबर से दी जाने वाली लाइव सेल्फी को ऐप पर अपलोड करने से ही साफ इनकार कर दिया है. शिक्षकों ने इस दिन को 'शिक्षक सम्मान बचाओ दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. शिक्षकों का मानना है कि सरकार केवल परिषदीय शिक्षकों को ही निशाना बना रही है.