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कोरोना की मार: 5 हजार करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री चौपट, हजारों शिक्षित हो रहे बेरोजगार

उत्तर प्रदेश में कोचिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप हो गई है. उत्तर प्रदेश कोचिंग एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में यह करीब 5,000 करोड की इंडस्ट्री है. कृषि के बाद यह शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार का एक बड़ा माध्यम भी है. कोरोना संक्रमण के चलते यह इंडस्ट्री चौपट हो रही है. इन खराब हालातों में ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं.

कोरोना काल में  कोचिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप
कोरोना काल में कोचिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप
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Published : May 23, 2021, 2:23 PM IST

लखनऊ: राजधानी के हजरतगंज का नवल किशोर रोड क्षेत्र कोचिंग मंडी के तौर पर जाना जाता है. एसकेडी एकेडमी, आकाश, रेजोनेंस जैसे कई बड़े संस्थान इसी इलाके में हैं. इसके अलावा 25 से 30 छोटे-छोटे कोचिंग संस्थान भी संचालित किए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों में इस इलाके में करीब 25 हजार छात्र-छात्राएं कोचिंग करने आते थे. इससे कोचिंग इंडस्ट्री तो चलती ही थी. उसके सहारे चाय नाश्ते की दुकान, छोटे-मोटे स्टेशनरी विक्रेताओं का कारोबार भी चल जाता था. कोरोना संक्रमण के चलते ये पूरा कारोबार खत्म हो चुका है. आलम ये है की नवल किशोर रोड के जिस इलाके में पहले छात्रों से रौनक हुआ करती थी, वो आज सन्नाटे में है.

कोरोना काल में कोचिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप

5,000 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री ठप

ये तस्वीर सिर्फ लखनऊ में नहीं, बल्कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी देखने को मिल रही है. एक अनुमान के मुताबिक 30 फीसदी तक संस्थान बंद हो चुके हैं. वहीं, 80 फीसदी संस्थानों की हालत बेहद खस्ता है. उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के आंकड़े पर भरोसा करें तो प्रदेश में यह 5000 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री है. जो कि इस समय पूरी तरह से ठप हो चुकी है. वहीं, कोचिंग के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी अब इस पारंपरिक इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं.

2000 पंजीकृत संस्थान है
उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी और रेस आईएएस के निदेशक डॉ. राजेश शुक्ला बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में यह इंडस्ट्री संगठित से ज्यादा और असंगठित रूप में काम कर रही है. करीब 2000 पंजीकृत संस्थान हैं. इसके अलावा, छोटे-छोटे करीब 3000 गैर पंजीकृत संस्थान भी हैं. इन पर हजारों परिवार निर्भर हैं. वर्तमान में इस इंडस्ट्री के 80 फीसदी संस्थानों की हालत खराब हो चुकी है.

इसे भी पढ़ें-कोटा में कोचिंग की नींव रखने वाले वीके बंसल का काेराेना से निधन

शिक्षित बेरोजगारों के लिए सहारा
उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी और शारदा आईएएस के निदेशक अभय शुक्ला कहते हैं कृषि के बाद शिक्षित बेरोजगारों के लिए कोचिंग इंडस्ट्री एक बहुत बड़ा सहारा है. बड़े बड़े संस्थानों से लेकर घरों में ट्यूशन पढ़ाने वाले युवा अपना जीवन इसके सहारे चला रहे हैं. लेकिन पिछले 2 सालों में इनकी स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. 30 फीसदी छोटे संस्थान तो बंद हो चुके हैं. ज्यादातर सस्थान किराए के भवनों में चल रहे थे. आमदनी बंद होने और भवन के किरायों को देखते हुए लोगों ने उसे बंद कर दिया.

ऑनलाइन क्लासेस बड़ी चुनौती, छात्र बना रहे दूरी
मोशन कोचिंग इंस्टिट्यूट के संचालक नीरज गुप्ता ने बताया कि इस दौरान ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म की डिमांड बढ़ी है. मौजूदा व्यवस्था के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है. हालांकि, छात्रों की ओर से ऑनलाइन क्लासेस को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. ग्रामीण इलाकों के छात्र छात्राओं के लिए यह अभी भी बड़ी समस्या है. ऐसे में सामान्य होने पर कक्षाओं का नियमित संचालन किया जा सकेगा.

लखनऊ: राजधानी के हजरतगंज का नवल किशोर रोड क्षेत्र कोचिंग मंडी के तौर पर जाना जाता है. एसकेडी एकेडमी, आकाश, रेजोनेंस जैसे कई बड़े संस्थान इसी इलाके में हैं. इसके अलावा 25 से 30 छोटे-छोटे कोचिंग संस्थान भी संचालित किए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों में इस इलाके में करीब 25 हजार छात्र-छात्राएं कोचिंग करने आते थे. इससे कोचिंग इंडस्ट्री तो चलती ही थी. उसके सहारे चाय नाश्ते की दुकान, छोटे-मोटे स्टेशनरी विक्रेताओं का कारोबार भी चल जाता था. कोरोना संक्रमण के चलते ये पूरा कारोबार खत्म हो चुका है. आलम ये है की नवल किशोर रोड के जिस इलाके में पहले छात्रों से रौनक हुआ करती थी, वो आज सन्नाटे में है.

कोरोना काल में कोचिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप

5,000 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री ठप

ये तस्वीर सिर्फ लखनऊ में नहीं, बल्कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी देखने को मिल रही है. एक अनुमान के मुताबिक 30 फीसदी तक संस्थान बंद हो चुके हैं. वहीं, 80 फीसदी संस्थानों की हालत बेहद खस्ता है. उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के आंकड़े पर भरोसा करें तो प्रदेश में यह 5000 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री है. जो कि इस समय पूरी तरह से ठप हो चुकी है. वहीं, कोचिंग के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी अब इस पारंपरिक इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं.

2000 पंजीकृत संस्थान है
उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी और रेस आईएएस के निदेशक डॉ. राजेश शुक्ला बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में यह इंडस्ट्री संगठित से ज्यादा और असंगठित रूप में काम कर रही है. करीब 2000 पंजीकृत संस्थान हैं. इसके अलावा, छोटे-छोटे करीब 3000 गैर पंजीकृत संस्थान भी हैं. इन पर हजारों परिवार निर्भर हैं. वर्तमान में इस इंडस्ट्री के 80 फीसदी संस्थानों की हालत खराब हो चुकी है.

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शिक्षित बेरोजगारों के लिए सहारा
उत्तर प्रदेश कोचिंग वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी और शारदा आईएएस के निदेशक अभय शुक्ला कहते हैं कृषि के बाद शिक्षित बेरोजगारों के लिए कोचिंग इंडस्ट्री एक बहुत बड़ा सहारा है. बड़े बड़े संस्थानों से लेकर घरों में ट्यूशन पढ़ाने वाले युवा अपना जीवन इसके सहारे चला रहे हैं. लेकिन पिछले 2 सालों में इनकी स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. 30 फीसदी छोटे संस्थान तो बंद हो चुके हैं. ज्यादातर सस्थान किराए के भवनों में चल रहे थे. आमदनी बंद होने और भवन के किरायों को देखते हुए लोगों ने उसे बंद कर दिया.

ऑनलाइन क्लासेस बड़ी चुनौती, छात्र बना रहे दूरी
मोशन कोचिंग इंस्टिट्यूट के संचालक नीरज गुप्ता ने बताया कि इस दौरान ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म की डिमांड बढ़ी है. मौजूदा व्यवस्था के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है. हालांकि, छात्रों की ओर से ऑनलाइन क्लासेस को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. ग्रामीण इलाकों के छात्र छात्राओं के लिए यह अभी भी बड़ी समस्या है. ऐसे में सामान्य होने पर कक्षाओं का नियमित संचालन किया जा सकेगा.

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