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इमाम हुसैन की याद में निकला काफिला, अजादार हुए सोगवार

तारीख के मुताबिक 2 मोहर्रम को यह काफिला कर्बला पहुंचा जहां यज़ीदी लश्कर ने कई दिन तक इमाम हुसैन और उनके साथियों को भूका प्यासा रखकर शहीद कर दिया था.

LUCKNOW NEWS
इमाम हुसैन की याद में निकला काफिला, अजादार हुए सोगवार
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Published : Mar 2, 2022, 10:22 PM IST

लखनऊ: हर साल की तरह इस साल भी कर्बला दियानुत्द्दौला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की याद में काफ़िला निकाला गया. इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत कर इमाम हुसैन के उस यात्रा को याद किया जो तकरीबन 1400 साल पहले इमाम हुसैन ने इस्लाम की हिफ़ाज़त की खातिर कर्बला जाने के लिए तय किया था.

इतिहास के अनुसार 28 रजब को इमाम हुसैन ने कर्बला के लिए यात्रा शुरू की थी जिसे तारिख में 28 सफ़र के नाम से भी जाना जाता है. इस काफिले में इमाम हुसैन के साथ औरतें, बच्चे और उनके करीबी दोस्त शामिल थे. तारीख के मुताबिक 2 मोहर्रम को यह काफिला कर्बला पहुंचा जहां यज़ीदी लश्कर ने कई दिन तक इमाम हुसैन और उनके साथियों को भूका प्यासा रखकर शहीद कर दिया था.

इसमें उनके 18 साल के बेटे से लेकर 6 महीने के अली असग़र तक शामिल थे. इसी की याद में आज भी अजादार इस दिन को बड़ी अक़ीदत और एहतराम के साथ याद किया जाता है. लखनऊ की कर्बला दियानुत्दौला में यह तारीखी जुलुस कई सालों से निकाला जाता है जिसमें उस मंज़र को याद करने की कोशिश की जाती है, जब इमाम हुसैन ने इस यात्रा का आगाज़ किया था.

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लखनऊ: हर साल की तरह इस साल भी कर्बला दियानुत्द्दौला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की याद में काफ़िला निकाला गया. इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत कर इमाम हुसैन के उस यात्रा को याद किया जो तकरीबन 1400 साल पहले इमाम हुसैन ने इस्लाम की हिफ़ाज़त की खातिर कर्बला जाने के लिए तय किया था.

इतिहास के अनुसार 28 रजब को इमाम हुसैन ने कर्बला के लिए यात्रा शुरू की थी जिसे तारिख में 28 सफ़र के नाम से भी जाना जाता है. इस काफिले में इमाम हुसैन के साथ औरतें, बच्चे और उनके करीबी दोस्त शामिल थे. तारीख के मुताबिक 2 मोहर्रम को यह काफिला कर्बला पहुंचा जहां यज़ीदी लश्कर ने कई दिन तक इमाम हुसैन और उनके साथियों को भूका प्यासा रखकर शहीद कर दिया था.

इसमें उनके 18 साल के बेटे से लेकर 6 महीने के अली असग़र तक शामिल थे. इसी की याद में आज भी अजादार इस दिन को बड़ी अक़ीदत और एहतराम के साथ याद किया जाता है. लखनऊ की कर्बला दियानुत्दौला में यह तारीखी जुलुस कई सालों से निकाला जाता है जिसमें उस मंज़र को याद करने की कोशिश की जाती है, जब इमाम हुसैन ने इस यात्रा का आगाज़ किया था.

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