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लखनऊ: खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर महिला आयोग कर रहा है कार्रवाई

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि महिला आयोग कुछ खबरों पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई कर रहा है.

conversation with member of women commission sunita bansa
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग.
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Published : Jul 11, 2020, 10:18 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्य अखबारों और सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर उन पर कार्रवाई कर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान भी महिला आयोग ने पीड़ितों की सुनवाई ऑनलाइन और वाट्सएप के माध्यम से की थी.

महिला आयोग की सदस्य ने दी जानकारी.

'सोशल मीडिया के माध्यम से सुनीं समस्याएं'
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब ज्यादातर सरकारी और गैर सरकारी ऑफिस बंद थे. उस दौरान कुछ पीड़ितों की परेशानियां ऐसी भी थी, जिनका हल होना नितांत आवश्यक था. ऐसे में हमने टि्वटर, वाट्सएप और अपनी वेबसाइट के माध्यम से पीड़ितों की परेशानियां सुनीं और संबंधित अधिकारियों से उन पर एक्शन लेने की बात की. उन्होंने बताया कि महिला आयोग में पीड़ितों के माध्यम से एप्लीकेशन आती है-जैसे कि दुराचार के मामले, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा आदि. इन मामलों के बारे में महिलाएं हमारे पास एप्लीकेशन लेकर आती हैं, जिस पर हम सुनवाई कर कार्रवाई करने के लिए संबंधित अधिकारी को अग्रेषित कर देते हैं.

'स्वत: संज्ञान लेकर की कार्रवाई'
महिला आयोग की सदस्य सुनीता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से भी हमने शिकायतें सुनी और उनका निस्तारण करवाया. इसके अलावा कुछ न्यूज़ पेपर में भी ऐसे मामले हमारे सामने आए, जो महिलाओं से संबंधित है और जिनके बारे में हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई थी. ऐसे में हमने उन्हें स्वत: संज्ञान लेकर उन पर कार्रवाई की है.

'संबंधित अधिकारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण'
महिला आयोग की सदस्य ने बताया, 'पिछले कुछ दिनों में न्यूजपेपर के द्वारा हमें कुछ ऐसे प्रकरण भी पता चले हैं, जिन पर कार्रवाई करना बेहद आवश्यक है. यदि कुछेक मामलों की बात कही जाए तो इनमें लखनऊ में 'झलकारी बाई महिला चिकित्सालय में जच्चा-बच्चा की मौत' का प्रकरण सामने आया था. यह प्रकरण मई का है, जिस पर हमने स्वत: संज्ञान लिया है. इसके अलावा 'मासूम से मौसा के भाई ने किया दुराचार' और 'संदिग्ध अवस्था में युवती हुई लापता' भी लखनऊ से जुड़े हुए प्रकरण हैं. इन सभी प्रकरणों में हमने संबंधित अधिकारी को आख्या भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है.

इन घटनाओं का भी महिला आयोग ने लिया संज्ञान
महिला आयोग की सदस्य सुनीता ने बताया कि इसके अलावा भी उन्होंने प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में भी हुई कुछ ऐसी ही घटनाओं का संज्ञान लिया है. इनमें गोरखपुर से '7 साल की बच्ची के साथ हुआ दुराचार', लखीमपुर में 'मासूम के साथ हुई दरिंदगी', रायबरेली में 'मासूम के साथ हुआ दुराचार' और 'अपहरण कर किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म' जैसे मामले शामिल हैं. इन सभी मामलों में उन्होंने एसपी और संबंधित थानों में बात की है और आख्या मांग कर कार्रवाई करने पर जोर देने की बात कही है.

ये भी पढ़ें: एक किडनी भी नहीं डिगा पाई आत्मविश्वास

'मामले का जल्द निस्तारण करने पर जोर'
महिला आयोग की सदस्य कहती हैं कि इन मामलों पर हम जल्द से जल्द कार्रवाई करने पर जोर देते हैं. इसके अलावा कुछ गंभीर मामलों पर हम संबंधित अधिकारियों से टेलिफोनिक चर्चा भी करते हैं ताकि प्रकरण का जल्द से जल्द निस्तारण करने की कोशिश की जाए और पीड़ित को न्याय मिले. एक मामले में 3 से 4 दिन या 1 हफ्ते का समय लगता है. उन्होंने बताया कि निस्तारण करने तक हम उस मामले को प्राथमिकता से लेते हैं और पीड़ित का ध्यान रखते हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्य अखबारों और सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर उन पर कार्रवाई कर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान भी महिला आयोग ने पीड़ितों की सुनवाई ऑनलाइन और वाट्सएप के माध्यम से की थी.

महिला आयोग की सदस्य ने दी जानकारी.

'सोशल मीडिया के माध्यम से सुनीं समस्याएं'
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब ज्यादातर सरकारी और गैर सरकारी ऑफिस बंद थे. उस दौरान कुछ पीड़ितों की परेशानियां ऐसी भी थी, जिनका हल होना नितांत आवश्यक था. ऐसे में हमने टि्वटर, वाट्सएप और अपनी वेबसाइट के माध्यम से पीड़ितों की परेशानियां सुनीं और संबंधित अधिकारियों से उन पर एक्शन लेने की बात की. उन्होंने बताया कि महिला आयोग में पीड़ितों के माध्यम से एप्लीकेशन आती है-जैसे कि दुराचार के मामले, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा आदि. इन मामलों के बारे में महिलाएं हमारे पास एप्लीकेशन लेकर आती हैं, जिस पर हम सुनवाई कर कार्रवाई करने के लिए संबंधित अधिकारी को अग्रेषित कर देते हैं.

'स्वत: संज्ञान लेकर की कार्रवाई'
महिला आयोग की सदस्य सुनीता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से भी हमने शिकायतें सुनी और उनका निस्तारण करवाया. इसके अलावा कुछ न्यूज़ पेपर में भी ऐसे मामले हमारे सामने आए, जो महिलाओं से संबंधित है और जिनके बारे में हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई थी. ऐसे में हमने उन्हें स्वत: संज्ञान लेकर उन पर कार्रवाई की है.

'संबंधित अधिकारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण'
महिला आयोग की सदस्य ने बताया, 'पिछले कुछ दिनों में न्यूजपेपर के द्वारा हमें कुछ ऐसे प्रकरण भी पता चले हैं, जिन पर कार्रवाई करना बेहद आवश्यक है. यदि कुछेक मामलों की बात कही जाए तो इनमें लखनऊ में 'झलकारी बाई महिला चिकित्सालय में जच्चा-बच्चा की मौत' का प्रकरण सामने आया था. यह प्रकरण मई का है, जिस पर हमने स्वत: संज्ञान लिया है. इसके अलावा 'मासूम से मौसा के भाई ने किया दुराचार' और 'संदिग्ध अवस्था में युवती हुई लापता' भी लखनऊ से जुड़े हुए प्रकरण हैं. इन सभी प्रकरणों में हमने संबंधित अधिकारी को आख्या भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है.

इन घटनाओं का भी महिला आयोग ने लिया संज्ञान
महिला आयोग की सदस्य सुनीता ने बताया कि इसके अलावा भी उन्होंने प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में भी हुई कुछ ऐसी ही घटनाओं का संज्ञान लिया है. इनमें गोरखपुर से '7 साल की बच्ची के साथ हुआ दुराचार', लखीमपुर में 'मासूम के साथ हुई दरिंदगी', रायबरेली में 'मासूम के साथ हुआ दुराचार' और 'अपहरण कर किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म' जैसे मामले शामिल हैं. इन सभी मामलों में उन्होंने एसपी और संबंधित थानों में बात की है और आख्या मांग कर कार्रवाई करने पर जोर देने की बात कही है.

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'मामले का जल्द निस्तारण करने पर जोर'
महिला आयोग की सदस्य कहती हैं कि इन मामलों पर हम जल्द से जल्द कार्रवाई करने पर जोर देते हैं. इसके अलावा कुछ गंभीर मामलों पर हम संबंधित अधिकारियों से टेलिफोनिक चर्चा भी करते हैं ताकि प्रकरण का जल्द से जल्द निस्तारण करने की कोशिश की जाए और पीड़ित को न्याय मिले. एक मामले में 3 से 4 दिन या 1 हफ्ते का समय लगता है. उन्होंने बताया कि निस्तारण करने तक हम उस मामले को प्राथमिकता से लेते हैं और पीड़ित का ध्यान रखते हैं.

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