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नैनीताल हाईकोर्ट ने यूपी-उत्तराखंड के मुख्य सचिव को भेजा अवमानना ​​नोटिस

नैनीताल हाईकोर्ट ने जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी के मामले पर यूपी और उत्तराखंड के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस भेजा है. साथ ही जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. दरअसल, हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में इस मामले में अवमानना याचिका दायर की थी.

यूपी और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस.
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Published : Nov 7, 2019, 6:40 PM IST

नैनीतालः जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी को लेकर यूपी और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करना भारी पड़ा है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

याचिकाकर्ता ने दी जानकारी.

बता दें कि जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी के मामले पर हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट ने नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश दिए थे कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार बांध का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा करें.

साथ ही बांध निर्माण का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव केंद्र को भेजें और केंद्र इस पर शीघ्र निर्णय लें. ऐसे में कोर्ट ने 6 माह के भीतर बांध की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे. याचिकाकर्ता का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में हुआ था तब इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी.

याचिका में रविशंकर जोशी ने कहा कि साल 1982 में बांध निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया. तब से बांध का निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. ऐसे में कई बार डीपीआर बनाई गई, लेकिन बांध निर्माण का कार्य अधर में ही लटका रहा.

वहीं, एक बार फिर सरकार ने साल 2014 में बांध की डीपीआर बनाई. जिसमें इस बांध निर्माण की लागत बढ़कर 2350.56 करोड़ पहुंच गई. वहीं, साल 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई जिसमें बांध निर्माण का बजट 2800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नए नए डीपीआर बनाई जा रही है और बजट को फिर बढ़ाया जा रहा है, लेकिन बांध निर्माण कार्य में कोई प्रगति नहीं हो रही है.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड में नहीं पड़ेगा तूफान 'महा' का असर, ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी के आसार

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा है. उनके द्वारा बांध निर्माण में मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में सरकार द्वारा बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में बहुत सी संस्तुति बाकी है. जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है.

ऐसे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की है. वहीं, इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीतालः जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी को लेकर यूपी और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करना भारी पड़ा है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

याचिकाकर्ता ने दी जानकारी.

बता दें कि जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी के मामले पर हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट ने नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश दिए थे कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार बांध का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा करें.

साथ ही बांध निर्माण का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव केंद्र को भेजें और केंद्र इस पर शीघ्र निर्णय लें. ऐसे में कोर्ट ने 6 माह के भीतर बांध की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे. याचिकाकर्ता का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में हुआ था तब इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी.

याचिका में रविशंकर जोशी ने कहा कि साल 1982 में बांध निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया. तब से बांध का निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. ऐसे में कई बार डीपीआर बनाई गई, लेकिन बांध निर्माण का कार्य अधर में ही लटका रहा.

वहीं, एक बार फिर सरकार ने साल 2014 में बांध की डीपीआर बनाई. जिसमें इस बांध निर्माण की लागत बढ़कर 2350.56 करोड़ पहुंच गई. वहीं, साल 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई जिसमें बांध निर्माण का बजट 2800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नए नए डीपीआर बनाई जा रही है और बजट को फिर बढ़ाया जा रहा है, लेकिन बांध निर्माण कार्य में कोई प्रगति नहीं हो रही है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा है. उनके द्वारा बांध निर्माण में मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में सरकार द्वारा बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में बहुत सी संस्तुति बाकी है. जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है.

ऐसे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की है. वहीं, इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पड़ा भारी, कोर्ट से अवमानन नोटिश जारी।

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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्य सचिव को नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश का पालन न करना भारी पड़ गया क्योंकि नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं


Body:आपको बता दें कि नैनीताल के जमरानी बांध परियोजना में हो रही देरी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दोनों प्रदेश के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,
जमरानी बांध निर्माण में हो रही देरी के मामले पर हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि हाईकोर्ट ने नवंबर 2018 में जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश दिए थे कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार बांध का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा करें, और बांध निर्माण का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव केंद्र को भेजे और केंद्र इस पर शीघ्र निर्णय ले साथ ही कोर्ट ने 6 माह के भीतर डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे, याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि जमरानी बांध का निर्माण का प्रस्ताव 1975 में हुआ था तब से इसके निर्माण की लागत 61.25 करोड़ थी।
1982 में बांध निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ जिसमें करीब 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण हुआ और तब से बांध का निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ कई बार डीपीआर बनाई गई लेकिन बात निर्माण का कार्य अधर में ही रहा, वहीं एक बार फिर सरकार ने बांध की 2014 में डीपीआर बनवाई जिसमे लगता बढ़ कर 2350.56 करोड़ पहुच गई और अब 2019 में एक बार फिर डीपीआर बनाई गई जिसमें बांध निर्माण का बजट करीब 2800 करोड़ पहुच गया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हर साल नए नए डीपीआर बनाई जा रहे हैं और बजट बढ़ाया जा रहा है लेकिन मामले में कोई प्रगति नहीं हो रही।



Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बांध निर्माण में लापरवाही बरती जा रही और कोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा उनके द्वारा बांध निर्माण में मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में सरकार द्वारा बताया गया कि अभी बांध निर्माण के संबंध में बहुत सी संस्तुति बाकी है जिस कारण बांध निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा।
जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन ना करने के मामले पर अवमानना याचिका दायर की और आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- रवि शंकर जोशी,याचिकाकर्ता।
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