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निदेशक उच्च शिक्षा को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमित कुमार भारद्वाज को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी.

हाईकोर्ट
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Published : May 29, 2021, 10:32 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमित कुमार भारद्वाज को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख नियत करते हुए उनसे कोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने पर स्पष्टीकरण तलब किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल पीठ ने डॉ. जय मंगल पांडेय की याचिका पर दिया.

याची का कहना था कि वह अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के एक कॉलेज में वर्ष 1990 से 2004 तक एडहॉक पर संस्कृत विषय के लेक्चरर के तौर पर नियुक्त था. वर्ष 2004 में उसे नियमित कर दिया गया. हालांकि सेवा लाभ के लिए उसने 1990 से 2004 तक के सेवा को भी उसकी सम्पूर्ण सेवा में जोड़े जाने की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल की. न्यायालय ने 6 जनवरी 2021 को उसकी याचिका को मंजूर करते हुए याची के नियमित होने से पूर्व की सेवा को भी सम्पूर्ण सेवा में जोड़ने का आदेश दिया.

पढ़ें: यूपी में शिक्षक भर्ती में हुआ आरक्षण घोटाला, बेसिक शिक्षा मंत्री पर लग रहे गंभीर आरोप

न्यायालय ने इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया था. याची का कहना था कि आदेश की जानकारी निदेशक को करा दी गई थी, बावजूद इसके न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के लिए उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. न्यायालय ने प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला पाते हुए निदेशक को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमित कुमार भारद्वाज को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख नियत करते हुए उनसे कोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने पर स्पष्टीकरण तलब किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल पीठ ने डॉ. जय मंगल पांडेय की याचिका पर दिया.

याची का कहना था कि वह अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के एक कॉलेज में वर्ष 1990 से 2004 तक एडहॉक पर संस्कृत विषय के लेक्चरर के तौर पर नियुक्त था. वर्ष 2004 में उसे नियमित कर दिया गया. हालांकि सेवा लाभ के लिए उसने 1990 से 2004 तक के सेवा को भी उसकी सम्पूर्ण सेवा में जोड़े जाने की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल की. न्यायालय ने 6 जनवरी 2021 को उसकी याचिका को मंजूर करते हुए याची के नियमित होने से पूर्व की सेवा को भी सम्पूर्ण सेवा में जोड़ने का आदेश दिया.

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न्यायालय ने इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया था. याची का कहना था कि आदेश की जानकारी निदेशक को करा दी गई थी, बावजूद इसके न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के लिए उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. न्यायालय ने प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला पाते हुए निदेशक को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

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