लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण वक्त-वक्त पर आम जनता के लिये कई अलग-अलग आवास योजनाएं निकालता रहता है ,लेकिन उन योजनाओं को सही समय पर कितने लोगों को दे पाता है, यह एक बड़ा सवाल है. ठीक यही वाक्या हुआ जानकीपुरम विस्तार में शुरु की गई सरगम अपार्टमेन्ट की योजना का, जो की वर्ष 2011 में शुरु की गई थी. हांलांकि आवंटन की रकम पूरी दी जा चुकी है ,जितने की नियम के तहत लागू था. लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों ने आज भी आवंटियों को उलझा रखा है, जिसके खिलाफ एक आवंटी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में याचिका दाखिल कर दी, जिस पर उपभोक्ता फोरम जज ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव इस मामले में आकर के खुद निजी तौर पर पेश नहीं होते है तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जायेगा. इस आदेश के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव ठीक वक्त पर पहुंचे और उपभोक्ता फोरम के न्यायलय में जज से माफी भी मांगी.
उपभोक्ता फोरम को आखिर क्यों होना पड़ा इतना सख्त
लखनऊ के जानकीपुरम विस्तार में सरगम अपार्टमेन्ट की योजना वर्ष 2011 में शुरू की गई थीं. उस समय फ्लैट की कीमत लगभग 30 लाख 90 हजार थी, जिसे 24 महीने में बना कर देना था. लेकिन वर्ष 2013 में देने के बजाय पांच साल और लग गए. मामले में वर्ष 2020 में प्राधिकरण ने आवंटी से रुपया 10 लाख 29 हजार,9 सौ चौरासी लेने थे, लेकिन 10 लाख 29 हजार 934 रुपये जमा हुआ. कुल 50 रुपये की वजह से लगभग 22 हजार रुपये से अधिक देना पड़ रहा है. कुल मिलाकर लगभग 30 लाख के फ्लैट की जगह 45 लाख से अधिक ले लिया, लेकिन फिर भी अभी तक आवंटी की रजिस्ट्री नहीं हुई. इसके चलते न्यायालय ने सचिव को अदालत में पेश होने के लिए कहा था, जिसके बाद भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिसके बाद अदालत ने सीधे तौर पर आदेश दिए कि अगर अगली तारीख को सचिव पेश नहीं होते हैं तो फिर इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए.