लखनऊः देश के ऊर्जा क्षेत्र के उत्पादन ट्रांसमिशन व बिजली कम्पनियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया है. वहीं दूसरी ओर आम घरेलू उपभोक्ता किसान व छोटे दुकानदारों को इस माहमारी में कैसे राहत दी जाए, इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा को एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें उन्होंने पूरे देश के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की है.
रिटर्न ऑफ इक्यिूवटी को रोका जाए
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा से मुलाकात कर एक जनहित प्रस्ताव सौंपा. इस दौरान उन्होंने मुद्दा उठाया कि देश व प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र के उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कोई भी बिजली कंपनी वितरण या उत्पादन किसी भी क्षेत्र में जो फायदा रिटर्न ऑफ इक्यिूवटी (आरओई) 16 से 20 प्रतिशत लेती है उसे रोका जाए.
मौजूदा बिजली दरों में लगभग 10 प्रतिशत की कमी
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर सरकार 1 साल तक के लिए आरओई को न ले तो पूरे देश में लगभग 40 हजार करोड़ का अतरिक्त बोझ उपभोक्ताओं के ऊपर से समाप्त हो जाएगा. सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो लगभग 2000 करोड़ आरओई का बोझ उपभोक्ता उठा रहे हैं. ऐसा करने से पूरे देश में उपभोक्ताओं की मौजूदा बिजली दरों में लगभग 10 प्रतिशत की कमी हो जाएगी. वहीं जिन केंद्रीय बिजली घरों से बिजली नहीं ली गई है उन्हे भी फिक्स्ड चार्ज व ट्रांसमिशन चार्ज कम से कम तीन माह न दिया जाए. इससे लगभग 1000 करोड़ के अतरिक्त भार से मुक्ति मिल जाएगी.
ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि ये जनहित प्रस्ताव उपभोक्ताओं के हित में है इस पर विचार किया जाएगा. साथ ही केंद्र सरकार को भी ये प्रस्ताव भेजा जाएगा.