लखनऊ: वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की अध्यक्षता में रविवार को संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. लोक भवन स्थित ऑडिटोरियम में संविधान का पाठन किया गया. कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, विशिष्ट अतिथियों एवं विभिन्न स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं ने उनके साथ संविधान का पाठन किया. साथ ही संविधान के मूल्य और आदर्शों से संबंधित विषय पर आयोजित वाद विवाद और निबंध प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया.
पीएम मोदी ने शुरू की संविधान दिवस मनाने की परंपरा: संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने महात्मा गांधी जी के एक कथन का जिक्र करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जी ने संविधान बनने के पहले कहा था कि मैं ऐसे संविधान के लिए जोर लगाऊंगा जो भारत को दासत्व और संरक्षण से मुक्त कर दे. मैं ऐसे भारत के लिए काम करूंगा, जिसमें गरीब से गरीब आदमी को लगे कि अपने देश को बनाने में उसकी बात भी मानी जाती है. उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने संविधान दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत 2015 से की. भारत का संविधान लोकतांत्रिक व्यवस्था के शाश्वत और मूल सिद्धांतों की अभिव्यक्ति है. यह संविधान सभा के दूरदर्शी विद्वान सदस्यों के सामूहिक ज्ञान और बहुमूल्य अनुभवों का सार है. दुनिया के लगभग 60 देश के संविधानों में जो अच्छी बातें थीं, इसका समावेश इस संविधान में मिलता है.
संविधान भारत की सर्वोच्च विधि: भारत का संविधान सरकारी निकायों के राजनीतिक कोड, संरचना, प्रक्रिया, शक्तियों और कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करता है. देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार, मूल सिद्धांत और कर्तव्य भी प्रदान करता है. संविधान भारत की सर्वोच्च विधि है, जिससे शासन तंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका के कर्तव्य और दायित्व का निर्धारण हुआ है. संविधान से मिलने वाली शक्तियों से हमें हर कठिन कार्य को सरलता से करने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है. देश के 17 संसदीय चुनाव और 300 विधानसभाओं के सफल चुनाव संविधान में निहित शक्तियों को सत्यापित करते हैं.
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मंत्री ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित हम भारत के लोग शब्द से स्पष्ट है कि भारत के नागरिक ही संविधान के अंतिम संरक्षक हैं. उनमें ही संप्रभुता निहित है. उन्हीं के नाम पर संविधान का अंगीकार किया गया है. यह संविधान नागरिकों को सशक्त बनाता है. देश के नागरिक संविधान का अनुसरण, पालन और संरक्षण कर संविधान को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं. संविधान दिवस मनाने की परंपरा भारत सरकार ने इस उद्देश्य से शुरू की कि भारत के नागरिकों को अपने संविधान को जानने और उसके अधिकारों, कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए एक दिशा दी जा सके.
संविधान में 100 से अधिक संशोधन: संविधान में निहित मूल्य का संरक्षक आम नागरिक को बनाया गया है. आम नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान में निहित मूल्यों को संरक्षित करे. इस प्रकार हम सभी देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले और संविधान निर्माता को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान कर सकते हैं. समाज परिवर्तनशील है, ऐसी दूरदर्शिता रखते हुए अंबेडकर जी ने समय अनुसार संविधान में परिवर्तन हो सके इसके लिए इसे लचीला बनाया. अब तक हमारे संविधान में 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि संविधान में मूल अधिकार थे. लेकिन, मूल कर्तव्य नहीं थे. संशोधन के माध्यम से हमारे संविधान में मूल कर्तव्यों को समाहित किया गया. परिवर्तनशील समाज को देखते हुए आज आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को और महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया गया. संविधान निर्माता का उद्देश्य था कि समाज में किसी प्रकार की असमानता ना रहे, इसके लिए भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी निरंतर प्रयासरत हैं.
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि हमारे संविधान में स्थायित्व के साथ-साथ परिवर्तनशीलता का एक साथ समावेश किया गया है. हर नागरिक को राजनीतिक अधिकार देते हुए सभी को मताधिकार का अधिकार दिया गया है. भौगोलिक, सामाजिक और तकनीकी दृष्टिकोण से समय के साथ आए परिवर्तन के अनुसार हमारे संविधान में समय-समय पर संशोधन किया गया. इस दौरान मुख्य सचिव डीएस मिश्रा, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी, स्कूलों के छात्र-छात्राएं और अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत: लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसियेशन द्वारा पैकरामऊ में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व डीजीपी उपस्थित हुए. संविधान दिवस के अवसर पर डीजीपी सूर्य कुमार शुक्ला ने कहा कि आज के समय के अनुसार अब संविधान में संशोधन की आवश्यकता है. नौकरशाही प्रथा के चलते भ्रष्टाचार हो रहा है, घूसखोरी हो रही है. इन सबको देखते हुए संविधान की समीक्षा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है. इससे मानवाधिकार और सशक्त तरीके से काम करेगा.
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएस तोमर ने कहा कि विश्व के सभी संविधानों से अच्छे सूत्र लेकर हमारा संविधान बना है. प्रथमत: संविधान में 10 वर्ष के लिए आरक्षण लागू किया गया था, लेकिन, अभी तक आरक्षण की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं. हम सब को मिलकर इस विषय पर अपनी आवाज बुलंद करनी होगी, साथ ही एक जुट होकर काम करना होगा.
महिलाओं और वंचित वर्गों का हथियार है संविधान: सीमांत गांधी सोशल वेलफेयर ट्रस्ट की तरफ से रविवार को संविधान दिवस कार्यक्रम मनाया गया. इस मौके पर यूपी प्रेस क्लब में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान समाज सेविका ताहिरा हसन ने डॉक्टर अंबेडकर के संघर्षों का जिक्र करते हुए संविधान के देश की महिलाओं और वंचित वर्गों का सबसे बड़ा हथियार बताया. मौलाना सुफियान निजामी ने अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों से छेड़छाड़ को रोकने की जरूरत पर जोर दिया.