लखनऊ : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Congress MP Rahul Gandhi's Bharat Jodo Tour) ने अपने दूसरे चरण में मंगलवार को उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया. गाजियाबाद से शुरू हुई यह यात्रा (Congress Bharat Jodo Yatra ) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (India Jodo Tour in Western Uttar Pradesh) के बागपत और शामली जिलों के 11 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी. इस दौरान 130 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी. राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस अपना खोया जनाधार लौटाना चाहती है. यही कारण है कि यात्रा में हर वर्ग, जाति धर्म और राजनीतिक दलों के लोगों को आमंत्रित किया गया है. कांग्रेस पार्टी अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए किसानों और खास तौर से इस क्षेत्र के प्रभावशाली जाट समुदाय का विश्वास जीतना चाहती है. राहुल की इस यात्रा को किसानों का समर्थन मिला है, तो वहीं सपा और बसपा जैसे भाजपा विरोधी दलों के नेताओं की शुभकामनाएं भी राहुल के साथ हैं. यात्रा के पहले दिन गाजियाबाद में बड़ी संख्या में लोग जुटे. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी राहुल के समर्थन में यात्रा में पहुंचे. कांग्रेस को राहुल की इस यात्रा से खासी उम्मीद है, लेकिन अभी या कहना जल्दबाजी होगा कि राहुल अपने मकसद में कितना कामयाब हो पाएंगे.
कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अब तक 3000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुकी है. एक वक्त था जब कांग्रेस पूरे प्रदेश के सत्ता पर राज करती थी. फिर धीरे-धीरे जाति और धर्म की राजनीति का उदय हुआ और कांग्रेस की जगह भाजपा, सपा और बहुजन समाज पार्टी ने ले ली. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस केवल दो सीटें जीतने में कामयाब हुई. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस सिर्फ सोनिया गांधी की परंपरागत रायबरेली सीट ही जीत सकी थी. अमेठी संसदीय सीट से राहुल गांधी को भी पराजय का सामना करना पड़ा था, जहां केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी (Smriti Irani and Rahul Gandhi) को उनके ही गढ़ में मात दे दी. विधान परिषद में भी अब कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं रहा है. स्वाभाविक है कि अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही इस पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए बड़े आंदोलन और जन जुड़ाव की जरूरत है. राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई देशव्यापी भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के लिए बड़ी उम्मीद बनी है. खास तौर पर यात्रा में राहुल गांधी को मिल रहा जनसमर्थन पार्टी के लिए उत्साह भरने वाला विषय है. हालांकि अभी यह कहना बेहद कठिन होगा किया भीड़ मतदान केंद्रों में कांग्रेस के लिए वोट भी करेगी. दरअसल जातीय राजनीति के इस दौर में कांग्रेस के लिए यह बताना मुश्किल है कि वह संतुलन की राजनीति करके कैसे किसी वर्ग को खुश कर पाएगी.
गाजियाबाद में मंगलवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi) ने यात्रा (bharat jodo yatra in ghaziabad) का स्वागत करते हुए कहा कि 'हमें सभी भारतयात्रियों पर गर्व है. हर उस भारतवासी पर गर्व है, जो इस यात्रा से जुड़ा. उन्होंने (Priyanka Gandhi in Bharat Jodo Yatra) राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे बड़े भाई, सबसे ज्यादा गर्व मुझे आप पर है. सत्ता का पूरा जोर लगाया गया. इनकी छवि खराब करने के लिए सरकार ने हजारों करोड़ खर्चे, इनके पीछे एजेंसियां लगाई गईं, लेकिन यह डिगे नहीं.' दरअसल प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi in UP) के इस भाषण से स्पष्ट है कि पार्टी का प्रयास है कि राहुल गांधी की छवि को निखार कर जनता के सामने एक बार पुनः यह बताया जाए कि उनमें उम्दा नेतृत्व क्षमता है और विषयों का ज्ञान भी. यही कारण है कि राहुल गांधी यात्रा के दौरान खुल कर बोल रहे हैं. उनके व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलू साफ देखे जा सकते हैं. कई बार युवाओं के साथ खेलते नजर आते हैं, तो कभी गंभीर विषयों पर चर्चा भी करते हैं. कांग्रेस को लगता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए कमजोर कड़ी बन सकता है. इसीलिए पार्टी ने यात्रा के चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ही छुआ है. लोकसभा चुनाव में अभी एक वर्ष से अधिक का वक्त है. ऐसे में कांग्रेस के पास पूरा मौका है कि वह अपनी छवि सुधारे और विपक्षी एकता को और दृढ़ कर यह बता दें कि अब भी कांग्रेस पार्टी में भारतीय जनता पार्टी का विकल्प बनने की क्षमता है. जाहिर है कि कांग्रेस का यह सपना बिना उत्तर प्रदेश को मजबूत किए पूरा होना कठिन है. इसलिए देखना होगा कि वह अपने प्रयासों में कितना कामयाब हो पाती है.
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. देवेश कुमार (Political Analyst Dr Devesh Kumar) कहते हैं कि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में हालात अब भी बहुत जटिल बने हुए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि राहुल गांधी की यात्रा को काफी जनसमर्थन मिल रहा है और हर वर्ग के लोग यात्रा से जुड़ रहे हैं. इसके बावजूद भीड़ का वोट में बदलना एक अलग बात होती है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सभाओं में भारी जनसमूह उमड़ता दिखाई देता था, लेकिन उन्हें इसके अनुरूप वोट नहीं मिल पाया और वह सत्ता से दूर ही रह गए. डॉ. देवेश कुमार कहते हैं कि जनता का मूड भांप पाना कोई आसान काम नहीं है. पिछले 15 वर्षों में जनता ने कई चौंकाने वाले फैसले दिए हैं. वर्ष 2007 में जब मायावती की पूर्ण बहुमत की सरकार सत्ता में आई, उस वक्त किसी मीडिया समूह और विश्लेषक को यह अनुमान नहीं था. वर्ष 2012 और वर्ष 2017 में भी यही स्थितियां रहीं और सपा व भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला. इसलिए अभी यात्रा के कई पड़ाव बाकी हैं. यह कहना कठिन है कि अपने अवसान तक पहुंचते-पहुंचते कांग्रेस और राहुल गांधी को कितना जन समर्थन मिलेगा, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस को इसका लाभ तो मिलेगा ही.
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