लखनऊ: उन्नाव दुष्कर्म कांड पीड़ित परिवार से मुलाकात कर प्रियंका गांधी वाड्रा ने जो राजनीतिक बढ़त हासिल की है, उसने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ा दिया है. कांग्रेस अब सीधे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर हमला बोल रही है और आरोप लगा रही हैं कि महिला सम्मान की रक्षा के लिए सपा-बसपा केवल फोटो खिंचवाने की राजनीति कर रहे हैं.
कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. उमा शंकर पांडे ने बताया कि प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने के साथ ही कांग्रेस को जिस तरह से लगातार सरकार विरोधी राजनीति में बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. उसने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह आसमान पर पहुंचा दिया है. सोनभद्र में ऊंभा गोलीकांड और शाहजहांपुर का चिन्मयानंद केस हो या मैनपुरी का नवोदय बालिका हत्याकांड सभी में कांग्रेस यह साबित करने में कामयाब रही है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ अगर कोई मजबूत विपक्ष है तो वह कांग्रेस ही है.
प्रियंका गांधी के इशारे पर कांग्रेस ने इन सभी मामलों में मुखर विरोध किया. सोनभद्र और शाहजहांपुर में प्रियंका गांधी पहुंची, मैनपुरी कांड के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सीधे पत्र लिखा और जब उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता को जलाया गया तो अचानक वह 7 दिसंबर को सीधे पीड़िता के परिजनों से मुलाकात करने उन्नाव पहुंच गई.
मायावती ने दिया ज्ञापन
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि उनके इस राजनीतिक मूव का असर भी देखने को मिला, जब बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती राजभवन में राज्यपाल से मिलने पहुंचे और उन्हें महिला सुरक्षा मामले में एक ज्ञापन भी सौंपा उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पहला मौका है, जब मायावती किसी मामले में ज्ञापन देने के लिए खुद राज भवन पहुंची हैं.
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जो लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या और धर्मेंद्र यादव पर हुए लाठीचार्ज के बाद सड़क पर नहीं उतरी, वह प्रियंका गांधी के उन्नाव पहुंचने के तुरंत बाद लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय 'लोक भवन' के सामने जाकर सड़क पर बैठ गए.
फोटो खिंचा कर घर लौटी बसपा और सपा
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल ने बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ता 7 दिसंबर के घटनाक्रम को प्रियंका गांधी के नेतृत्व की कामयाबी बता रहे हैं. कांग्रेसियों का मानना है कि प्रियंका के आक्रामक नेतृत्व से घबराकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने विरोध की रस्म अदायगी की और फोटो खिंचा कर घर लौट गए.
राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं की उन्नाव मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को पहली बार विपक्ष के कड़े तेवर का सामना करना पड़ा है. पहली बार सरकार किसी मुद्दे पर कमजोर दिखाई दी है. इससे पहले हालांकि सोनभद्र गोलीकांड में भी सरकार की किरकिरी हुई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुद वहां डैमेज कंट्रोल के लिए पहुंचना पड़ा था.
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